एमसीबी@कलेक्टर एमसीबी राहुल वेंकट की जीवनशैली,कार्यप्रणाली लोगों के बीच बन रही है चर्चा का विषय,कर रही लोगों को प्रभावित

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-न्यूज डेस्क-
एमसीबी,05 जनवरी 2025 (घटती-घटना)।
छत्तीसगढ़ के नवीन जिला एमसीबी के कलेक्टर अपने कार्यों को लेकर सुर्खियों में तो हैं ही और हो भी क्यों ना…क्योंकि उन्होंने काम ही कुछ ऐसा किया है इस समय वह पूरे छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं, ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि यह युवा कलेक्टर अपने कलेक्टर होने का रुतबा भी नहीं दिखाते हैं, और अपनी पद का सही उपयोग जनता के लिए करते हैं, जहां उनके अधीनस्थ कार्य कर रहे कई अधिकारी अपने वाहन में बड़ा-बड़ा पदनाम का बोर्ड लगाकर चलते हैं और बताते हैं कि वह काफी बड़े व रसूखदार अधिकारी हैं, काफी महंगी गाडि़यों पर उनका आना-जाना होता है, कई कलेक्टर या अधिकारी तो अपने मन मुताबिक महंगी गाडि़यां अपने लिए अधिकृत करते हैं, पर यह ऐसे कलेक्टर हैं जो काफी साधारण गाड़ी से अपने कार्यालय पहुंचते हैं, और अपने गाड़ी के सामने कोई भी उन्होंने पदनाम का बोर्ड लगाकर नहीं रखा है, कोई यह नहीं कह सकता कि इस गाड़ी में एमसीबी के कलेक्टर चल रहे है, जबकि उन्हें जो गाड़ी मिली है इस गाड़ी पर वह नियमित अपने कार्यालय आते हैं और जाते हैं, पर वही उनके अधीनस्थ अधिकारी और कर्मचारी उनसे भी महंगी गाड़ी पर कार्यालय आते हैं व जाते हैं, अब ऐसे में एमसीबी कलेक्टर की सादगी कहें या फिर उनकी अच्छी सोच को सलाम करें, जो शायद बाकियों के लिए प्रेरणा ही साबित होंगे।
सभी कलेक्टर की गाड़ी के सामने एक बड़ा सा प्लेट लगा रहता है
एमसीबी कलेक्टर की गाड़ी के आगे कोई नेमप्लेट नहीं लगा है वरना अन्य उदाहरण देखे जाए तो कई कलेक्टरों की गाड़ी में पुलिस अधीक्षक सहित सीईओ जिला पंचायत की गाडि़यों में यहां तक कि नायब तहसीलदार,जिला शिक्षा अधिकारी की गाडि़यों के सामने बड़े बड़े अक्षरों में पदनाम लिखा मिल जाएगा।
कलेक्टर हो तो राहुल वेंकट जैसा…सादगी भरपूर और लोक सेवक ईमानदार
राहुल वेंकट जैसा आईएएस शायद ही देखने को मिले। एक कलेक्टर होने के बावजूद जिले के मुखिया का पद होने के बाद भी उनकी सादगी ऐसी की उनके नीचे के अधिकारियों का रुतबा शौक उनसे ज्यादा नजर आता है। वैसे वह एक ईमानदार लोकसेवक भी हैं यह उनकी खूबी है।
सरगुजा संभाग के सभी कलेक्टर इनोवा जैसी गाडि़यों से चलते हैं…
सरगुजा संभाग के एमसीबी कलेक्टर की गाड़ी काफी छोटी गाड़ी है। वहीं सम्भाग के अन्य सभी कलेक्टर इनोवा जैसी बड़ी गाडि़यों में सवारी करते हैं। एक तरह से कलेक्टर एमसीबी भविष्य के लिए संसाधनों की बचत के पक्षधर हैं और शासकीय राशि के दुरुपयोग के विरोधी इसलिए वह मितव्ययिता बरतते नजर आते हैं।
सही काम के लिए नेताओं की पैरवी को भी ठुकरा देते हैं…
कलेक्टर एमसीबी को लेकर बताया जाता है कि वह सही काम होने पर किसी की नहीं सुनते। जो सही होगा वही वह करते हैं। बताया जाता है कि काम सही है वह होगा उनके कार्यकाल में फिर क्यों न कोई नेता ही काम में बाधा डालने प्रयास करे।
युवाओं के लिए भी प्रेरणा हैं एमसीबी कलेक्टर
युवाओं के लिए प्रेरणा हैं एमसीबी कलेक्टर…आज जब दिखावे की चाह में युवा गलत राहों पर भी निकल पड़ते हैं वह यह देखकर सीख सकते हैं कि कैसे अपनी मेहनत से कोई कलेक्टर बना और जब उसे सभी सुविधाएं मनमाफिक मिल सकीं वह उनका उपभोग भी इस हिसाब से करने लगा जिसमें मितव्ययिता का पूरा ध्यान रखा गया। कुल मिलाकर कैसे संसाधनों की बचत के साथ आने वाली पीढ़ी को कुछ बेहतर छोड़कर जाना है यह एमसीबी कलेक्टर से सीखा जा सकता है।
कलेक्टर की गाड़ी साधारण गाड़ी है और जिसमे नम्बर प्लेट मात्र लगा है…
नवीन जिला एमसीबी को हाल फिलहाल में ऐसा कलेक्टर मिला है जिसकी जीवनशैली कार्यप्रणाली लोगों के बीच चर्चा का विषय है उससे और उनसे लोग प्रभावित हो रहे हैं प्रेरणा लेने का भी प्रयास कर रहे हैं और अन्य को भी प्रेरणा लेने की सलाह दे रहे हैं। लोग अन्य छोटे-छोटे उन अधिकारियों को उनसे सीख लेने प्रेरणा लेने के लिए कहते नजर आ रहे हैं जो हैं तो छोटे-छोटे शासकीय पदों पर लेकिन उनकी गाड़ी की नेमप्लेट और गाड़ी का मॉडल और फीचर काफी एडवांस है काफी महंगी गाडि़यां हैं वह जबकि खुद कलेक्टर की गाड़ी साधारण गाड़ी है और जिसमे नम्बर प्लेट मात्र लगा है कोई नेमप्लेट लगाकर वह रुतबा नहीं बघारते यह देखा जा सकता है। बता दें कि एमसीबी कलेक्टर राहुल वेंकट काफी सादगी से जीवन जीते नजर आते हैं और उनकी कार्यप्रणाली भी काफी प्रेरणा देने वाली है,न दिखावा न कोई पद को लेकर कोई घमंड या गर्व काम के प्रति जिम्मेदारियों के प्रति लगनशीलता और जिले के संचालन में निष्ठा उनकी खूबी देखी जा रही है।
निर्णय के लिए स्पष्टवादी हैं…
बताया तो यह भी जाता है कि वह अपने निर्णय के लिए स्पष्टवादी हैं और उन्हें दिखावा कम से कम बिल्कुल पसंद नहीं है। उनके ही अधीनस्थ अधिकारियों की बात करें जो अन्य विभागों के जिला अधिकारी हैं वह काफी महंगी गाडि़यों में चलते हैं और उसमें वह पदनाम का बोर्ड भी लगाकर चलते हैं। कई ब्लॉक स्तर अनुविभाग स्तर के अधिकारी भी अपनी बड़ी गाडि़यों के सामने पदनाम लिखना नहीं भूलते वैसे यह केवल एमसीबी जिले की ही बात नहीं है, अन्य जिलों के छोटे बड़े सभी अधिकारी अधिकारी होने के घमंड में चूर रहते हैं और वह दिखावे के लिए लाखों खर्च कर देते हैं जबकि वह चाहते जिले के विकास में उस राशि को खर्च कर सकते हैं। बड़े अधिकारियों से ज्यादा रुतबा छोटे छोटे अधिकारियों का देखने को मिलता है वह पदनाम बोर्ड के बिना शायद जीना भी अपना सम्भव नहीं मानते इसलिए निजी वाहनों के सामने खुद के आकार से अधिक आकार का वह पदनाम बोर्ड लगाकर चलते हैं। वैसे एमसीबी कलेक्टर से कितने लोग प्रेरणा ले पाते हैं यह देखने वाली बात है क्योंकि लालबत्ती हटने के बाद पदनाम पट्टिका का हटना शायद अधिकारियों को नागवार गुजरे।
कार्यवाहियों के लिए जाने जाते हैं एमसीबी कलेक्टर
एमसीबी कलेक्टर त्वरित कार्यवाहियों के लिए जाने जाते हैं,वह शासन आदेश के पालन में पूरी तरह तत्परता बरतते हैं। वह शासन आदेश की अनदेखी स्थानीय स्तर की नेतागिरी से न होने पाए यह बखूबी ख्याल रखते हैं। अधिकारी कर्मचारी उनके कार्यकाल के दौरान काफी स्वतंत्र होकर कार्य कर पा रहे हैं। वैसे वह गलतियों पर भी तत्काल कार्यवाही करते हैं।


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