नई दिल्ली@ एआईएमआईएम ने लगाया दागी चेहरे पर दांव

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@शाहरुख-ताहिर जैसे दागी चेहरे…
@ दिल्ली में कितना कमाल कर पाएंगे ओवैसी
नई दिल्ली,31 दिसम्बर 2024(ए)।
केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली चुनाव की दहलीज पर है और सभी सियासी पार्टियां मैदान में उतरकर लोगों को अपनी तरफ खींचने में लग गई हैं। आम आदमी पार्टी एक बार फिर से लोक लुभावनी स्कीमों का ऐलान कर रही है। आप की इन स्कीमों पर भारतीय जनता पार्टी तरह-तरह के सवाल उठा रही है, साथ ही कांग्रेस भी दिल्ली सरकार की इन स्कीमों को गलत बताने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। दिल्ली के पिछले कुछ चुनावों पर नजर डालें तो अब तक दिल्ली की राजनीति में आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस ही मुख्य पार्टियां हुआ करती थी लेकिन इस बार असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम भी राजधानी में अपने लिए सियासी जमीन तलाशने में लग गई है।
ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन इससे पहले यूपी, बिहार, महाराष्ट्र,गुजरात जैसे राज्यों के विधानसभा में चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुकी है। कुछ राज्यों में पार्टी को उम्मीद के मुताबिक नजीते मिले हैं, जबकि कुछ राज्यों में तो सूपड़ा ही साफ हो गया। हालांकि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी अभी तक राष्ट्रीय राजधानी के चुनावों से दूर थी लेकिन इस बार उन्होंने इस दंगल में कूदने का इरादा बना लिया और उम्मीदवारों के नाम भी ऐलान करने शुरू कर दिए हैं। हालांकि एआईएमआईएम पर विवादत चेहरों की बदौलत दिल्ली में अपना दम दिखाने का आरोप लग रहा है।
शाहरुख का नाम
भी आया चर्चा में

कहा जा रहा है कि एआईएमआईएम शाहरुख को भी अपना उम्मीदवार बना सकती है। शाहरुख पर दिल्ली दंगों के दौरान पुलिसकर्मी पर पिस्टल तानने का आरोप था। हाल ही में एआईएमआईएम के दिल्ली इकाई के अध्यक्ष शोएब जामई
से शाहरुख के परिवार वालों ने मुलाकात की थी। इसके बाद खुद एआईएमआईएम प्रदेश अध्यक्ष शोएब ने शाहरुख के परिवार से बात की थी। इस दौरान जामई ने संकेत दिए थे कि अगर उनका परिवार और स्थानीय लोग चाहते हैं तो हम उन्हें चुनाव लड़वा सकते हैं। ऐसे मे एआईएमआईएम पर सभी यह सवाल उठा रहे हैं कि पार्टी विवादित चेहरों पर किस्मत आजमाकर साबित क्या करना चाहती है?
मुस्लिमों नेतृत्व क्यों नहीं?
बता दें कि राजधानी का मुस्लिम वोटर कभी कांग्रेस का हुआ करता था लेकिन पिछले कुछ चुनावों से ये वोट आम आदमी की तरफ हो गया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगरएआईएमआईएम
को दिल्ली के चुनावी रण में अपनी जगह बनानी है तो ताहिर हुसैन और शाहरुख जैसे चेहरे अहम हो जाते हैं। इस तरह के चेहरों को मैदान में उतारकर एआईएमआईएम खुद को मुस्लिम समाज के बीच उनके सच्चे हितैषी के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रही है। ताहिर हुसैन के समर्थन में रैली को संबोधित करते हुए ओवैसी ने भी कहा कि हर समुदाय के लिए राजनीतिक नेतृत्व है तो मुस्लिमों के लिए क्यों नहीं।
कितना कमाल करेगी एआईएमआईएम ?
ये बता पाना तो थोड़ी मुश्किल है कि एआईएमआईएम कितना कमाल कर पाएगी। हालांकि उसके अन्य राज्यों के प्रदर्शन पर नजल डाली जा सकती है। हाल ही में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने 16
उम्मीदवार उतारे थे लेकिन 1 ही सीट जीत पाई। जबकि पिछली बार एआईएमआईएम ने 44 उम्मीदवार उतारे थे और सिर्फ 2 सीटें ही अपने नाम कर पाए थे। इसके अलावा बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एआईएमआईएम ने 20 उम्मीदवार मैदान उतारे थे और यहां उसे 5 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इससे भी पहले गुजरात के चुनावों की तरफ देखें तो वहां एआईएमआईएम को नोटा से भी कम वोट मिले थे। आंकड़ों के मुताबिक ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में 0.29 फीसद वोट शेयर मिला है। यह आंकड़ा नोटा को मिले वोट प्रतिशत से भी कम है। गुजरात चुनाव में 1.58 प्रतिशत वोट शेयर नोटा मिला है।.
आप ने छोड़ा, एआईएमआईएम ने अपनाया
ओवैसी की पार्टी ने दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में जेल में बंद आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद रहे ताहिर हुसैन को मुस्तफाबाद सीट से अपना उम्मीदवार बना दिया है। ताहिर हुसैन दिल्ली दंगों में आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के आरोप में जेल में हैं। अपने पार्षद पर आरोप लगने के बाद आम आदमी पार्टी ने उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया था. बात सिर्फ एक चेहरे पर खत्म नहीं हो रही, क्योंकि एक और विवादित चेहरे को पार्टी की तरफ टिकट दिए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं।
दिल्ली किसका खेल बिगाड़ेगीएआईएमआईएम?
राजधानी दिल्ली में एआईएमआईएम पहली बार चुनाव लड़ेगी। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी हो जाता है कि आखिर वो किसके वोट काटने जा रही है। सबसे पहले बात करते हैं राज्य में मुस्लिम वोटों की। 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में 12 फीसद मुस्लिम हैं। एआईएमआईएम मुस्तफाबाद, सीलमपुर, बाबरपुर, चांदनी चौक, ओखला, जंगपुरा और बल्लीमारान जैसी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है। ये सीटें लगभग आम आदमी पार्टी के खाते में हैं, ऐसे में जाहिर है किएआईएमआईएम आम आदमी पार्टी के लिए नुकसानदह साबित होने जा रहे हैं।


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