सूरजपुर,@ये कैसी वाहन चलाने की ट्रेनिंग? ट्रेनिंग के दौरान है एक बेजुबान जानवर की हुई मौत?

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-ओमकार पांडेय-
सूरजपुर,19 दिसम्बर 2024 (घटती-घटना)। परिवहन विभाग ड्राइविंग लाइसेंस देने के लिए ड्राइविंग स्कूल का प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र मांगता है, जिसके लिए सूरजपुर जिले में भी वाहन प्रशिक्षण के लिए एक एजेंसी को अधिग्रहित किया गया है, जो वाहन चलाने का प्रशिक्षण देती है पर वाहन चलाने का प्रशिक्षण मैदान में दिया जाता है ना की शहर के भीड़ भाड वह ट्रैफिक वाले जगह पर? यह सवाल इसलिए उत्पन्न हो रहा है क्योंकि ड्राइविंग स्कूल कि वाहन से एक कुो की मौत हो गई, वह भी पुराने बस स्टैंड में इसके बाद यह सवाल उठने लगा कि क्या वहां का प्रशिक्षण भी भारत वाले इलाके में देना नियम में है या फिर नियम विरुद्ध यदि ऐसा हो रहा है तो ऐसे प्रशिक्षण देने वाले की मान्यता रद्द क्यों नहीं की जा रही?
मिलिजनाकारी के अनुसार सूरजपुर जिले के पुराने बस स्टंड पर एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां एक गाड़ी चलाना सिखाने वाले ट्रेनिंग स्कूल की गाड़ी ने सड़क पर एक बेजुबान जानवर को कुचल दिया। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने इस लापरवाही के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
क्या ऐसे ड्राइविंग सिखाने वाले गाड़ी चालकों ऊपर प्रशासन कार्यवाही कर पाएगी या फिर एक बड़ी अनहोनी हो का इंतजार कर रही है प्रशासन?
प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती। आखिर ये कब तक चलता रहेगा? क्या जानवरों की जान की कोई कीमत नहीं? अगर प्रशासन की यह चुप्पी नहीं टूटी, तो आज जानवर और कल इंसान भी इसी लापरवाही का शिकार होगा। क्या तभी प्रशासन जागेगा? या फिर हमेशा की तरह मामले को नजरअंदाज कर दिया जाएगा?
कैसे हुआ हादसा?
जानकारी के अनुसार, पुराने बस स्टेंड के पास गाड़ी क्रमांक सीजी 20 जे 45 03 वाहन चालक गाड़ी कूद चाल रहा था इसी दौरान, सड़क पर बैठा एक बेजुबान जानवर उनकी गाड़ी के नीचे आ गया और कुचला गया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि प्रशिक्षक ने न तो वाहन की गति धीमी की और न ही किसी प्रकार की सतर्कता बरती।
वाहन चालक नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां
स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस तरह के ट्रेनिंग स्कूलों प्रशिक्षक यातायात नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। आमतौर पर गाड़ी चलाना सिखाने के लिए निर्धारित सुरक्षा नियम होते हैं, जिसमें सड़क पर सतर्कता और जानवरों या पैदल चलने वालों का विशेष ध्यान रखना शामिल है। जब गाड़ी चलाना सिखाने वाले ही लापरवाही की मिसाल बन जाएं, तो सोचिए उनके सिखाए हुए चालक सड़कों पर क्या कहर बरपाएंगे। जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाने वाले खुद नियम तोडें, तो सड़कें सिर्फ रास्ता नहीं, खतरे का जाल बन जाती हैं। ये लापरवाही नहीं, बल्कि आने वाले हादसों की आहट है।


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