@ शपथ ग्रहण से दूरी बनाने वाले मनोनीत भाजपा समर्थक पार्षदों का बयान,शपथ ग्रहण में हमे सीएमओ ने नहीं बुलाया:सूत्र
@ यदि सीएमओ ने अनदेखा किया तब तो सीएमओ की गलती है यदि सीएमओ ने बुलाया मनोनीत पार्षद नहीं गए उनकी गलती है
@ सभी मनोनीत पार्षदों को आमंत्रण भेजा गया यह कहना है सीएमओ का यदि आमंत्रण भेजा गया और भाजपाई मनोनीत पार्षद नहीं पहुंचे तो क्या पार्टी अनुशासन हीनता की कार्यवाही करेगी?
@ कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता भी हुए थे शामिल,क्या उन्हें नहीं पता था कि मनोनीत पार्षदों को नहीं मिला है आमंत्रण
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर/पटना,14 दिसम्बर 2024 (घटती-घटना)। नगर पंचायत पटना का गठन और गठन का विरोध कब तक जारी रहने वाला है यह तो अब नहीं कहा सकता लेकिन नए नवेले नगर पंचायत के प्रथम अध्यक्ष उपाध्यक्ष और पार्षद का जिन्हें दर्जा मिलने वाला था उन्होंने इस दर्जे को लेने से स्वीकारने से इंकार कर दिया और इंकार और बहिष्कार की रणनीति तो सभी ने सामूहिक बनाई लेकिन जब आलोचना हुई और जब बात का बतंगड़ बना तब अब अलग अलग बात कहकर सफाई देने का सिलसिला जारी है जो सूत्रों के द्वारा बताई जा रही बात है। 13 दिसंबर को प्रथम नगर पंचायत अध्यक्ष उपाध्यक्ष और मनोनीत पांच पार्षदों का शपथ ग्रहण समारोह विधि विधान से आयोजित था और बकायदा कार्ड छपवाया गया था लेकिन कार्ड में बाबू से नए नए सीएमओ मनोनीत हुए सीएमओ साहब से भी गलती ही हुई कि उन्होंने कुछ त्रुटियां कार्ड में की कुछ उन्होंने व्यवहारिक की और शपथ ग्रहण में खुद की स्वेक्षा से न आने वाले और एक तरह से उसका बहिष्कार करने वाले मनोनीत सभी ने पूरा जिम्मा सीएमओ पर डाल दिया और उन्हें दोषी बता दिया। वैसे जबसे सीएमओ के पद पर बाबुओं को जिम्मेदारी मिल रही है तबसे यह देखा जा रहा है कि गतिरोध बढ़ रहा है और बाबू से सीएमओ बने सीएमओ साहबगिरी झाड़ने के चक्कर में सभी को नाराज करते जा रहे है जबकि यह ऐसा कार्यक्षेत्र है जहां सामंजस्य से ही काम सभी संभव हो सकते हैं। खैर बात पटना नगर पंचायत के शपथ ग्रहण से जुड़ी है और जहां अध्यक्ष जो वर्तमान सरपंच थीं उन्हें ही शासन ने मनोनीत किया है उपाध्यक्ष पांच पार्षदों सभी का मनोनयन शासन से ही हुआ है में से अध्यक्ष नगर पंचायत के गठन के विरोध में हैं और वह पूरी तरह इस प्रयास में लगी हुई हैं कि नगर पंचायत से पुनः पटना ग्राम पंचायत घोषित हो जाए और उन्होंने बकायदा इसके लिए माननीय उच्च न्यायालय में भी अपने शुभचिंतकों के माध्यम से अर्जी दी हुई है नगर पंचायत के पक्ष में उपसरपंच मनोनीत उपाध्यक्ष भी नहीं हैं वहीं कुछ मनोनीत पार्षद जो सरपंच के खास हैं और भाजपाई हैं वह भी नहीं हैं और जिसकी ही परिणीति देखी गई और शपथ ग्रहण में कोई शपथ लेने नहीं पहुंचा।

भाजपाई मनोनीत पार्षद पहुंचेंगे यह सोचकर भाजपा नेता पहुंचे पर मनोनीत पार्षद नहीं आए
वैसे भाजपाई मनोनीत पार्षद पहुंचेंगे यह सोचकर भाजपा नेता सभी पहुंचे और एक तरह से उन्होंने पार्टी और अपनी पार्टी की सरकार के निर्णय का समर्थन किया लेकिन जब मनोनीत पार्षद नहीं पहुंचे तब भाजपा नेता भी निराश और अचंभित हुए और उन्होंने भी कार्यकम में केवल उपस्थिति प्रदान कर रवानगी ले ली। वैसे भाजपाई पार्षदों को जब पता चला कि शपथ ग्रहण में नहीं जाना पार्टी के नीति रीति का ही विरोध करना माना जाएगा तब उन्हें होश आया और अब वह नई नई बातें करते सुने जा रहे हैं जिसमें वह यह भी कह रहे हैं कि उन्हें कार्ड ही नहीं मिला और उनका शपथ होगा यह उन्हें सुचित नहीं किया गया। वैसे इस संदर्भ में सीएमओ पटना का कहना है कि सभी मनोनीत पार्षदों को भी आमंत्रण कार्ड भिजवाया गया था और वह क्यों नहीं आए यह उन्हें नहीं पता। वैसे सीएमओ का कार्ड में पार्षदों का शपथ ग्रहण है ऐसा उल्लेख नहीं कराना एक त्रुटि जरूर है लेकिन यदि वह त्रुटि थी तो उसे समय रहते भाजपा के मनोनीत पार्षद बात करके सुधरवा सकते थे जिसके लिए किसी ने प्रयास नहीं किया यह बताया जा रहा है स्पष्ट है। कुल मिलाकर सभी ने मनोनीत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, पार्षदों ने एकराय होकर ऐसा निर्णय लिया और कार्यक्रम का बहिष्कार किया वहीं इस बहिष्कार से उन्हें किसी ने नहीं रोका खुद बड़े वरिष्ठ भाजपाई नेताओं ने भी नहीं यह भी देखा गया।
सरकार के निर्देश को आदेश को मानने की बजाए उसकी धज्जियां उड़ा रहे हैं?
कुल मिलाकर पटना में भाजपा के भीतर अनुशासन की कमी साफ नजर आई और नियंत्रण अपने ही पदाधिकारियों सहित सदस्यों पर नहीं है यह मानना सही है। अब तरह तरह के बहाने करने वाले मनोनीत पार्षद यदि बड़े नेताओं के साथ मिलकर सीएमओ से बात करते शायद ही गतिरोध रहता है और बाबू से सीएमओ बने सीएमओ साहब की भी ज्ञान इन्द्रियां खुलती और मामले में बेहतर निष्कर्ष सामने होता। वैसे मनोनीत पार्षदों में से एक को बड़ी हड़बड़ी है अध्यक्ष बनने की कुछ को पुनः पार्षद बनने की लेकिन क्या अब पार्टी ऐसे लोगों पर विश्वास जताएगी जो पहले ही पार्टी और पार्टी की सरकार के निर्देश को आदेश को मानने की बजाए उसकी धज्जियां उड़ा रहे हैं उसकी अवहेलना कर रहे हैं?

खबर प्रकाशन के बाद नवगठित पार्षदों ने सीएमओ के द्वारा आमंत्रण नहीं दिए जाने का लगाया आरोप- खबर प्रकाशन के बाद और अपनी ही पार्टी की सरकार और शासन के आदेश की कार्यक्रम की अवहेलना करने वाले मनोनीत पार्षदों ने अब नया पैंतरा अपने बचाव के लिए खेला है। उनका कहना है कि उन्हें आमंत्रण नहीं मिला। अब उन्हें आमंत्रण बकायदा भेजा गया यह सीएमओ का कहना है तो अब झूठ सच की जांच तो सम्भव नहीं है लेकिन वह विरोध दर्ज कर सकते थे और अपनी पार्टी की सरकार रहते हुए उनकी नाराजगी जरूर हल होती यह तय था इसलिए उनका सीएमओ पर ठीकरा फोड़ना गलत है।उन्होंने पार्टी की सरकार के निर्देश आदेश कार्यक्रम को असफल करने का प्रयास किया यही सत्य है।
भाजपा समर्थित पंच जिन्हें किया गया था पार्षद मनोनीत, अपनी लाज बचाने सीएमओ पर फोड़ रहे ठीकरा?
भाजपा नेता साथ ही ग्राम पंचायत के दौरान पंच रहे वर्तमान में मनोनीत पार्षदों का खबर प्रकाशन के बाद हाल बेहाल है। नियम से उन्होंने पार्टी के हित में कार्य नहीं किया पार्टी के निर्णय के विरुद्ध कार्य किया यही सभी का मत होगा जो भी राजनीति की समझ रखेगा।सीएमओ ने नहीं बुलाया और यदि उनकी अनदेखी उन्हें समझ में आई तो उन्हें तत्काल अपने वरिष्ठ नेताओं को अवगत कराना था और वरिष्ठ को निर्वाचित विधायक सहित संगठन के अन्य वरिष्ठ तक बात पहुचानी थी और जरूर समाधान निकलता हो सकता था सीएमओ को फटकार भी मिलती लेकिन तब उन्होंने नगर पंचायत गठन के विरोध के कारण शपथ ग्रहण का विरोध किया और एक तरह से पार्टी के निर्देश आदेश को अनदेखा किया वहीं जब खबर प्रकाशित हुआ और उनकी गलती पार्टी तक पहुंच जाएगी उन्हें आभास हुआ वह पूरा ठीकरा अब सीएमओ पर फोड़ रहे हैं।
नव मनोनीत नगर पंचायत अध्यक्ष ने इस पूरे मामले में बनाई दूरी
पूरे मामले से जो भाजपाई मनोनीत पार्षदों ने बनाया है माहौल कार्ड में अपना नाम न होने को लेकर से मनोनीत अध्यक्ष ने दूरी बना ली है। वह कुल मिलाकर पटना को ग्राम पंचायत बनाए रखना चाहती हैं और इस कार्य मनोनीत भाजपा पार्षद उनके सहयोगी हैं और इस कारण वह मौन हैं।
एक भाजपा समर्थक पंच ने कहा सीएमओ की अपनी चल रही मनमानी, जल्द आ सकते है दूसरे सीएमओ
एक पंच ने कहा जो भाजपा नेता है कि सीएमओ की अपनी चल रही है नगर पंचायत में और अब जल्द उन्हें बदलने की तैयारी है। उनका कहना है कि चरचा से शशि नाम के किसी को वह सीएमओ बनवाकर बुलाएंगे और अपनी सरकार में वह अपने पार्टी वाले सीएमओ को ही कार्यभार दिलवाएंगे।