बैकुण्ठपुर@पटवारियों का ट्रांसफर क्या उगाही का बना जरिया?

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-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,11 दिसम्बर 2024 (घटती-घटना)। तबादला नीति हमेशा ही निष्पक्ष रहे इसी उद्देश्य से बनाई गई थी, ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके, तबादला नीति को अमली जामा पहनाने वाले जिम्मेदार निष्पक्ष तरीके से तबादला कर एक स्वस्थ प्रशासन बना सके यह तबादला नीति का उद्देश्य था पर क्या इस उद्देश्य का परिपालन हो रहा है या फिर सिर्फ यह तबादला नीति लुट खसोट करने के लिए रह गई है, कुछ ऐसा ही जिला कोरिया में राजस्व विभाग की मनमानी कहना गलत नहीं होगा, क्योंकि पटवारियों की तबादला सूची जारी तो होती है व्यवस्थाओं के तहत पर पटवारी सिर्फ वही नवीन पदभार ग्रहण करते हैं जिनके पास कोई प्रभाव भी नहीं होता है, बाकी प्रभाव वाले  पैसा देकर अपना स्थानांतरण यथावत करने वाले सिर्फ उस सूची में नाम गिनवाने के लिए होते हैं, बाकि स्थिति क्या है यह किसी से छुपी नहीं है अब अधिकारी भी ऐसी सूची क्यों जारी करते हैं यह भी जांच का विषय है? क्या अधिकारी अपनी कमाई के लिए ऐसी सूची जारी करते हैं ताकि लोग अपने कमाई वाले जगह से जाने की बजाय दान दक्षिणा चढ़ा कर जाएं?
सूत्रों की माने तो जिले में राजस्व विभाग में ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है। राजस्व विभाग में यदि पटवारियों के स्थानांतरण से जुड़ा मामला कुछ महीने के दौरान का देखा जाए तो 3 महीने में तीन तबादला सूची जारी हुई और कुल 37 पटवारियों व बाबू का तबादला सूची अनुसार हुआ लेकिन जारी सूची और कुल सही मायने में तबादले वाली जगह जाकर कार्यभार ग्रहण करने वाले पटवारियों की संख्या में काफी अंतर है। कार्यभार नई जगह ग्रहण करने वाले पटवारियों की कुल संख्या कुल स्थानांतरित किए गए पटवारियों से काफी कम है और जब इसके कारण का पता करने का प्रयास किया गया तो यह बात सामने आई कि जो पटवारी जुगाड़ू हैं या जो अपना पुराना जगह नहीं छोड़ना चाहते वह अधिकारियों से मिलकर अपना भारमुक्ति का आदेश रुकवा लेते हैं वहीं जो पटवारी इसमें सफल नहीं हुए उन्हें जाना पड़ता है नई जगह। कुल मिलाकर माना जा रहा है कि तबादला सूची जारी ही लेनदेन के लिए किया जा रहा है और पूरा मामला चढ़ावा वाला समझ में आ रहा है। वैसे देखा जाए तो कई पटवारी ऐसे हैं जो वर्षों से एक जगह हैं या फिर यदि उन्हें हटाया भी गया है तो वह ऐसी जगह गए हैं जहां उन्हीं की मांग या मंशा रही है।
क्या रसूखदार पटवारी व बाबू के चंगुल में अधिकारी?
स्थानांतरण आदेश को जिस तरीके से उल्लंघन पटवारी व बाबू कर रहे हैं उसे देखकर यही लगता है कि पटवारी व बाबू के चंगुल में अधिकारी हैं? स्थानांतरण आदेश जारी तो होता है पर उससे पहले उनकी पैरवी आ जाती है सिर्फ उनका नाम सूची में गिनने के लिए ही दर्ज रहता है, फिर भारमुक्त आदेश जो आता है उसमें सिर्फ नौ लोग ही भारमुक्त होते हैं बाकी न जाने किसके प्रभाव में 15 यथावत हो जाते हैं, क्यों इन्हें भारमुक्त नहीं किया गया यह बड़ा सवाल है? पर सवाल के साथ अधिकारियों के कार्य प्रणाली भी संधास्पत लग रही है।
क्या सिर्फ वही पटवारी जिले के अंतिम छोर में जाएंगे जिनके पास नहीं है कोई पैरवी?
अंतिम छोर में यदि तबादले के बाद किसी को भेजा जाता है तो वह व्यक्ति जाता है जो प्रभावशील नहीं होता है या फिर उसकी पैरवी तगड़ी नहीं होती है, जिस पटवारी व बाबू के पास अच्छी पैरवी व प्रभावशील व रसूखदार होता है उसे जिले के अंतिम छोर में नहीं भेजा जाता है, जबकि उसके जगह महिलाएं भले से अंतिम छोर में चले जाएंगी, भले ही उनके लिए क्यों ना परेशानी का सब बन जाए।
मलाई वाले जगह सिर्फ वही पटवारी पदस्थ होंगे के जिनके पास है पैररवी व अधिकारियों पर चढ़ावा चढ़ाने की कला?सूत्रों का कहना है कि स्थानांतरण सूची भले जारी हो जाती है पर जिसका चढ़ावा पहुंच जाता है और पैरवी हो जाती है उसे यथावत रहना पड़ता है, कुछ ऐसा ही एक सहायक ग्रेड 3 बाबू है जो तहसील कार्यालय बैकुंठपुर में पदस्थ हैं इनका नाम है मोहम्मद शाकिर हुसैन अंसारी प्रमोशन पाते हैं तो भी यहां से नहीं जाते हैं और तबादला सूची में नाम आता है तो भी नहीं जाते हैं, 2023 में इनका प्रमोशन होता है और इन्हें बेचारा पौड़ी स्थानांतरित किया जाता है पर यह अपना प्रभाव में इतने मशगूल हैं इसे यह प्रतीत होता है कि यह कितने प्रभावशील बाबू हैं जिनके लिए अधिकारियों का आदेश कोई मायने नहीं रखता?


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