- आखिर अधिकारी किस कारण कार्यवाही से बचना चाह रहे
- क्या हर मामले में न्यायालय का ही लेना पड़ेगा सहारा क्योंकि कोरिया के अधिकारियों को नही पड़ता कोई असर?
- लिपिक के बोझ तले अधिकारी का दबे रहना समझ से परे?
-रवि सिंह-
कोरिया,08 दिसंबर 2024 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के आदिवासी विकास विभाग में पदस्थ लिपिक दया साहू पर आखिर कौन अधिकारी मेहरबान है? कि उसे कुछ भी करने की छूट मिली हुई है, नियम को ताक पर रखकर एक लिपिक वर्गीय कर्मचारी विदेश भ्रमण कर लेता है लेकिन अधिकारी को इसकी भनक भी नही लगती, कर्मचारी ऐसे कई काम करता है जो कि सिविल सेवा नियम के एकदम विपरीत है उसके बाद भी उस पर कार्यवाही नही होना समझ से परे है। समझा जा सकता है कि उक्त् कर्मचारी पर विभागीय अधिकारी समेत जिला प्रशासन की कृपा भी बरस रही है जिससे कि उसके खिलाफ आज तक कार्यवाही नही हुई। फिलहाल कर्मचारी के हौसले बुलंद हैं और वह खुद को सुपर साबित करते फिर रहा है। खबरे तो छपती है खबरों से कोई फर्क नही पड़ता ऐसा उक्त कर्मचारी का सोचना है व उसके सिपहसलार भी उसे कुछ इसी तरह की सलाह देते हैं। लेकिन लोकतंत्र के चैथे स्तंभ की आवाज में ताकत होती है देर सही लेकिन कार्यवाही होगी यह तय है। घटती घटना अखबार ने अपने अंक में कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग कोरिया में पदस्थ लिपिक दया साहू द्वारा किये जा रहे सिविल सेवा आचरण संहिता के उल्लंघन को लेकर खबर का प्रकाशन किया था। सूत्रों के हवाले से प्राप्त खबरों का प्रकाशन किया गया एवं उसकी कारगुजारिया लिखी गई थी बतलाया गया था कि उसके द्वारा किस प्रकार विभागीय कर्मचारियों को परेशान किया जा रहा है। लिपिक द्वारा शासन की अनुमति के बगैर विदेश यात्रा की गई,लाखों की जमीन,मकान क्रय किया गया। आलीशान मकान का निर्माण किया गया। लंबे समय से एक ही कार्यालय में पदस्थापना के कारण उसके हाव भाव बढे हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि जिन शाखाओ का प्रभार उसे दिया गया है उसमें तो उसकी मनमानी चलती है लेकिन जिनका प्रभार नही है ऐसे शाखा के प्रभारियों को भी वह परेशान करता रहता है और उन पर पूरा नियंत्रण रखता है। विभागीय बजट से लेकर स्थापना जैसा महत्वपूर्ण कार्य उसी को सौंपा गया है जिसकी बदौलत वह खुद को विभाग का सर्वे सर्वा समझता है। छोटे कर्मचारियों से ठीक से बात ना कर उन्हे अपमानित करना उसकी आदत में शुमार है।
क्या खबर पर संज्ञान लेगा जिला प्रशासन या लिपिक पर बरसेगी कृपा?
घटती घटना अखबार द्वारा खबरों का प्रकाशन कर लिपिक दया साहू द्वारा किये जा रहे मनमाफिक कार्यो एवं सिविल सेवा आचरण संहिता के उल्लंघन की जानकारी प्रशासन तक पहुंचाई जा रही है जाहिर सी बात है उक्त लिपिक विभागीय अधिकारी के लिए आय का जरिया बना हुआ है जिसकी वजह से विभागीय अधिकारी द्वारा लिपिक के बचाव मे कोई कार्यवाही नही की जाएगी लेकिन जिला प्रषासन से यह उम्मीद की जा सकती है कि खासकर जिले की मुखिया कलेक्टर से कि जिस प्रकार उनके द्वारा सुषासन की दिषा में जनहित के कार्य करने का प्रयास किया जा रहा है उसी प्रकार यदि लिपिक द्वारा इस प्रकार का कार्य व्यवहार किया जा रहा है तो उसके खिलाफ जांच कराकर उचित कार्यवाही कराई जाए।
लाखों की संपत्ति क्रय करने का दावा
लिपिक दया साहू के बारे में विभागीय सूत्रों का दावा है कि दया साहू खुद मंहगी कार मे चलता है, इसके साथ ही उसके द्वारा खुद एवं परिजन के नाम पर कई जगह पैसा लगाया गया है। लगभग 40 लाख की लागत से मकान हाईवा वाहन में भी पैसा लगाया गया है। लाखों का जमीन क्रय किया गया है। अपने निवास स्थल सोनहत विकासखंड के ग्राम कुषमाहा में भी दया साहू के द्वारा आलिषान मकान बनवाया गया है। उसके द्वारा इसके लिए नियमानुसार विभागीय अनुमति नही ली गई है। दया साहू द्वारा आय की तुलना में काफी संपत्ती इकट्ठा करना जांच का विषय है।
छात्रावास अधीक्षकों को करता है प्रताडि़त
जिले में जितने भी छात्रावास,आश्रम हैं अधिकारी के निर्देष पर सारा काम दया साहू ही देखता है। अधिकारी के नाम पर हर माह अधिकारी के नाम पर पैसे की मांग करता है ना देने पर विभिन्न तरह से प्रताडि़त किया जाता है,कार्यवाही करने की बात कही जाती है। अधीक्षक ने कहा कि छात्रावास में गरीबी आदिवासी बच्चो के भोजन एवं अन्य सुविधा के लिए शासन द्वारा राषि जारी की जाती है लेकिन उस पर भी उसकी नजर रहती है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि कई वरिष्ठ लिपिक सेवानिवृा हो गए एवं कुछ अनुभवी लिपिकों का स्थानांतरण हो गया जिसके बाद से दया साहू खुद को सर्वे सर्वा समझने लगा है।
विदेश यात्रा की नही ली थी अनुमति
लिपिक दया साहू ने शासकीय सेवा में आने के बाद वर्ष 2017 में विदेश की यात्रा की थी। सूत्रों का कहना है कि विदेष यात्रा के लिए दया साहू ने नियमानुसार राज्य शासन से अनुमति नही ली थी,जो कि सिविल सेवा आचरण संहिता का खुला उल्ल्ंघन है। इस मामले की भी जांच किये जाने की आवश्यकता है। लेकिन अधिकारी हैं कि उन्हे इससे कोई लेना देना नही।
पत्नी के नाम बीमा एजेंसी
दया साहू के द्वारा पत्नी के नाम पर बीमा का व्यवसाय भी किया जा रहा है। विभागीय सूत्रों ने बतलाया कि विभाग में कार्यरत कर्मचारियों पर ही दबाव डालकर दया साहू द्वारा जबरन बीमा किया जाता है। यह भी जांच का विषय है।