बाला साहेब ठाकरे ने 17 नवंबर 2012 को 86 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कहा था। बाला साहब की छवी एक कट्टर हिंदू नेता के तौर पर रही। बाला साहब बाहर से आकर मुंबई में बसने वाले लोगों के खिलाफ थे। ठाकरे साहेब की छवि हमेशा कट्टर हिंदू राष्ट्रवादी नेता की रही हैं। बाला साहेब ने अपना करियर एक कार्टूनिस्ट के रूप में एक अंग्रेजी अखबार दैनिक द फ्री प्रेस जर्नल इन बॉम्बे से आरंभ किया था। इसके बाद 1960 में वे राजनीति में आ गए और पत्रकारिता को अलविदा कह दिया। करीब चार दशक तक महाराष्ट्र की राजनीति को अपने इशारों पर नचाने वाले शिवसेना संस्थापक बाला साहब ठाकरे की आज पुण्यतिथि है। शिवसेना संस्थापक बाला साहब ठाकरे की छवि एक कट्टर हिंदूवादी नेता की रही, उन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा लेकिन हमेशा किंग मेकर की भूमिका में रहे। बाला साहब करीब 46 वर्षों तक सार्वजनिक जीवन में रहे। न तो उन्होंने कभी कोई चुनाव लड़ा, न ही कोई राजनीतिक पद स्वीकार किया, फिर भी महाराष्ट्र की राजनीति में अहम भूमिका निभाते रहे। मुंबई को अपना गढ़ बनाकर काम करने वाले बाल ठाकरे अपने विवादित बयानों की वजह से अक्सर सुर्खियां बटोरते रहे। वो हमेशा अपनी शर्तों पर जीते थे और चांदी के सिंहासन पर बैठते थे। उनके इशारों पर महाराष्ट्र की राजनीति घूमती थी।। वे महाराष्ट्र के किंग मेकर थे। सरकार में ना रहते हुए भी सभी फैसले लेते थे। 23 जनवरी 1926 को महाराष्ट्र के पुणे में जन्मे बाला साहब ने अपने करियर की शुरुआत एक पत्रकार और कार्टूनिस्ट के तौर पर की थी। उन्होंने द फ्री प्रेस जर्नल से करियर की शुरुआत की। इसके बाद उनके कार्टून टाइम्स ऑफ इंडिया में भी छपे। 1960 में उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी और मार्मिक नाम से अपनी खुद की पॉलिटिकल मैगजीन शुरू की। दरअसल, बाला साहब अपने पिता की विचारधारा से प्रभावित थे। 1966 में शिवसेना के नाम से बनाई राजनीतिक पार्टी उन्होंने 1966 में शिवसेना के नाम से राजनीतिक पार्टी बनाई। उन्होंने अपनी विचारधारा आम जन तक
पहुंचाने के लिए 1989 में सामना नामक अखबार लॉन्च किए। उनके राजनीतिक कद का अंदाजा इस बात से लग सकता है कि उनके निधन की खबर सुनते ही मुंबई में चारों ओर सन्नाटा पसर गया था। अंतिम संस्कार के दिन भी आलम वैसा ही रहा। अंतिम यात्रा में दो लाख से ज्यादा लोग शामिल थे। सड़कें खाली पड़ी रहीं और गाडç¸यों की आवाजाही न के बराबर थी।सभी के आँखे नम थी जैसा लगा क़ोई तूफान आया है ऐसा था बाला साहेब ठाकरे से सभी का लगाव.क्योंकि यदि उन्होंने म्मान लिया की पाकिस्तान हमारा दुश्मन है और नहीं खेलना है तो बिल्कुल नहीं और उनकी ही ताकत थी मुंबई में पाकिस्तान के साथ एक दिवसीय मैंच नहीं हो सका यानि एक देशभक्त ही थे।
संजय गोस्वामी
मुंबई,महाराष्ट्र
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