कोरिया@ राष्ट्रीय पशु बाघ की मौत पर क्या हो गई लीपापोती?

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-रवि सिंह-
कोरिया,12 नवम्बर 2024 (घटती-घटना)। टाइगर यानी कि बाघ सभी को पता है कि राष्ट्रीय पशु है, राष्ट्रीय पशु होने की वजह से टाइगर को बचाना और उसकी निगरानी और भी बड़ी जिम्मेदारी वन विभाग की हो जाती है, पर क्या अपने ही राष्ट्रीय पशु को बचाने में विभाग पूरी तरह असफल है? टाइगर की मौत सिर्फ जहर खाने से हो गई, यह कहकर क्या वन विभाग बच सकता है? सवाल तो कई खड़े हैं कि आखिर कोरिया वन मंडल बाघों के लिए असुरक्षित वन मंडल तो नहीं? क्योंकि इस क्षेत्र में बाघ की मरने की घटनाएं बढ़ गई है, दो बार बाघ के मरने में जहर की बात सामने आई है पर सवाल यह है कि आखिर बाघ तक जहर कैसे पहुंच रहा? क्या कोई बड़ा गिरोह बाघ को मार कर उसके कीमती अवशेष ले जाकर पैसे कमाने में लगे हुए हैं? और यदि ऐसा हो भी रहा है तो फिर वन विभाग बाघ को लेकर क्या निगरानी कर रहा? और बाघ की सुरक्षा कैसे दे रहा है की बाघ सुरक्षित नहीं है? जबकि यह कहा जा रहा है कि जंगल में तमाम तरह के बाघ को ट्रैक करने के लिए उपकरण लगाए गए हैं फिर भी बाघ की मौत व हत्या हो जाना कहीं ना कहीं विभाग की लापरवाही को बताता है। कोरिया जिले में कुछ दिन पहले बाघ की मौत को लेकर कई सवाल खड़े हो चुके हैं, पहला सवाल तो यह है कि जब बाघ के मौत में भी विभाग की संलिप्तता व लापरवाही देखी जा रही थी वैसी स्थिति में बाघ का पीएम किसी बाहर की टीम से करना था, ताकि वास्तविक स्थिति का पता चल सके पर ऐसा होता दिख नहीं रहा है, यहां तक की बाघ के शव को जलाने में काफी हड़बड़ी दिखाई गई। क्या बाघ के साथ सारे सबूत भी जल गए?


क्या वन विभाग केवल निर्माण विभाग बनकर रह गया है,क्या अधिकारियों कर्मचारियों को वन सहित वन्य जीवों से कोई सरोकार नहीं?
बाघ की मौत जहर से होने के बाद यह भी स्पष्ट हुआ कि वन विभाग को वन्य जीवों सहित वन से कोई लेना देना नहीं है वहीं अब यह भी सवाल उठता है कि वन विभाग केवल निर्माण एजेंसी बनकर रह गया है। वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी निर्माण कार्यों के अलावा अपने मूल कर्तव्य का त्याग कर चुके हैं यह कहना गलत नहीं होगा। वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी जिस लगन से निर्माण कार्य का संपादन करते हैं उतनी ही लगन से वन्य जीवों सहित वन की रक्षा करते यह स्थिति नहीं आती न बाघ मरते न जंगल कटते यह लोगों का कहना है।आज अधिकारियों की बेहिसाब संपçा वन्य जीवों वनों की तिलांजलि करके प्राप्त की गई है यह लोग कहने लगे हैं।


जब टाइगर के शव का हो गया अंतिम संस्कार फिर कैसे होगी उच्च स्तरीय जांच?
कोरिया के युवा भाजपा नेता शारदा गुप्ता ने वन मंत्री को पत्र लिखकर इस मामले में उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की है यह मांग जिले से कई लोगों के द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से भी की जा रही है, पर सवाल यह उठ रहा है कि जब बाघ का कुछ बचा ही नहीं क्योंकि अंतिम संस्कार हो चुका है तब फिर जांच क्या चीज का होगा? अब तो जो पीएम रिपोर्ट दे दिया गया है उसी को मानना पड़ेगा और जो वन विभाग के लोग कहेंगे वही सुनना होगा? क्या उच्च स्तरीय जांच ना हो इसीलिए आनन-फानन में शव को दफनाने के जगह जलाकर अंतिम संस्कार किया गया? यदि यही घटना किसी व्यक्ति के साथ होती तो उसके शव को दफनाया जाता ताकि कभी भी दोबारा पीएम करना हो या फिर किसी और चीजों की जांच ना हो पाई हो तो उसके शव को निकाल कर दोबारा पीएम किया जाता था पर, क्या ऐसा ही राष्ट्रीय पशु के मौत पर नहीं किया जा सकता था या फिर सबूत जलकर खत्म हो जाए नष्ट हो जाए इसलिए आनन-फानन में शव का अंतिम संस्कार किया गया?
छोटे कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही, वनपाल एवं वनरक्षक हुआ निलंबित
इस संबंध में स्पष्टीकरण का प्रतिउत्तर पत्र प्राप्ति के 03 दिवस के भीतर वन संरक्षक कोरिया वन मण्डल बैकुण्ठपुर के कार्यालय को प्रेषित करने कहा है प्रतिउत्तर समय पर प्राप्त नहीं होने और संतोषजनक नहीं होने पर एक पक्षीय कार्यवाही की जाएगी। वहीं कोरिया वनमण्डल बैकुण्ठपुर अंतर्गत परिक्षेत्र सोनहत के रामगढ़, सर्किल, बीट गरनई, क से लगे हुये असीमांकित वनभूमि कुदरी में खनखापेड नाला के किनारे 01 टाईगर मृत्यु (उम्र लगभग 4-5 वर्ष) की सूचना प्राप्त हुई है, जिससे प्रतीत होता है कि श्री रमन प्रताप सिंह, वनपाल परिक्षेत्र रामगढ़ एवं श्री पिताम्बर लाल राजवाड़ें, वनरक्षक बीट प्रभारी गरनई के द्वारा वनक्षेत्र में बाघ होने के बावजूद भी नियमित रूप से वनक्षेत्र का भ्रमण नहीं किया गया, जो शासकीय कर्तव्यों के प्रति इनकी घोर लापरवाही एवं उदासनीता प्रदर्शित करता है। इस तरह श्री रमन प्रताप सिंह वन पाल एवं श्री पिताम्बर लाल राजवाड़े, वनरक्षक को अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन में उदासीनता एवं घोर लापरवाही बरते जाने के कारण छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 का उल्लंघन/कदाचरण पाये जाने के कारण प्रथम दृष्ट्या दोषी पाये जाने के फलस्वरूप छाीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के तहत नियम 9 (1)(क) के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए उनकी मुख्यालय, बैकुण्ठपुर वनमण्डल कोरिया निर्धारित किया गया है।
राष्ट्रीय पशु की मौत पर चीफ जस्टिस ने लिया संज्ञान कहा टाइगर हिंदुस्तान में जल्दी मिलता नहीं…अफसोस ये कि जो है उसे भी नहीं बचा पा रहे…
छत्तीसगढ़ के जंगल में वाइल्ड लाइफ को सुरक्षित रखने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सोमवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने सूरजपुर जिले के गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व एरिया में बीते दिनों टाइगर की मौत को लेकर जवाब-तलब किया। चीफ ने टाइगर की मौत को लेकर नाराजगी जताई। सीजे ने कहा कि छत्तीसगढ़ में जंगल और वन्य प्राणियों को नहीं बचा पाएंगे तो करेंगे क्या। नाराज चीफ जस्टिस ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। डिवीजन बेंच ने पीआईएल की सुनवाई के लिए 21 नवंबर की तिथि तय कर दी है। चीफ जस्टिस ने वन विभाग और राज्य शासन के अधिवक्ताओं से पूछा कि वाइल्ड लाइफ के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में क्या कदम उठाए जा रहे हैं। विभाग के साथ ही राज्य शासन की क्या योजना है। हर हाल में जंगल और वन्य प्राणियों की सुरक्षा जरुरी है। इसके लिए ठोस कदम उठाने होंगे। राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने टाइगर की मौत को लेकर कोर्ट को जानकारी दी। विभाग की ओर से टीम गठित कर जांच पड़ताल की जानकारी भी दी। महाधिवक्ता के जवाब के बाद डियाजन बचन प्रधान मुख्य वन सरक्षक का शपथ-पत्र के साथ जानकारी दिया है। चीफ जस्टिस ने वन विभाग के अफसरों से पूछा कि वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। अगली सुनवाई के दौरान पूरी योजना के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया है।
कब और कितने दिन पुरानी घटना?
वन विभाग की विज्ञप्ति में बाघ की मौत का समय दिन नही बताया गया है, क्योंकि बाघ के शव की दुर्गंध एक किमी के क्षेत्र में फैली हुई थी, जिससे साफ है कि बाघ की मौत दो से तीन दिन पूर्व हो चुकी है। परंतु विभाग बाघ की मौत की सही जानकारी छुपाने की कोशिश कर रहा है।वही वन कर्मचारी पदस्थ मुख्यालय में नही रहने से बाघ जैसे संवेदनशील मामले में सड़क किनारे बाघ की मौत व बाघ के विचरण तक कि जानकारी इन्हें नही है जिससे वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका को लेकर भी सवाल उठना लाजमी हैं !
नाखून दांत को लेकर संशय
वन विभाग के एक अधिकारी पर पशु विभाग के डायरेक्टर रहते भ्रष्टाचार के कई मामलों को दबाने का आरोप लगता रहा है। यही कारण है कि उनके द्वारा बाघ को मीडिया की नज़रों से दूर रखा ताकि नाखून दांत मूंछे के गायब होने की जानकारी सामने न आ सके। सोशल मीडिया में आई बाघ की तस्वीरों से साफ देखा जा सकता है कि उसकी मूंछे दांत गायब दिख रहे है। यही कारण हैं कि सूचना पर आए अधिकारी ने मृत बाघ के पास कोई नही जा सके बेरिकेट्स लगवा दिए, मीडिया को मृत बाघ को नही दिखाया। जब बाघ के शव को आग के हवाले कर दिया गया तब मीडिया को बुलाया गया।ताकि विभाग की छवि बनी रहे ।
बाघ के विचरण की जानकारी
प्रेस विज्ञप्ति में दोनो विभाग ने बाघ के विचरण की जानकारी छिपाई है। टाइगर रिज़र्व बनने के लिए अग्रसर गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में बाघों के विचरण गतिविधियों की जानकारी में लापरवाही बरती जा रही है यही कारण है कि मृत बाघ की आवाजाही का रिकॉर्ड विभाग के पास नही है।
बाघ की मौत का कारण जहर खुरानी से और इस अनसुलझे सवालों का नही है कोई जवाब?
कोरिया वन क्षेत्र में मिला बाघ का शव जहर खुरानी की आंशका की खबर पर लगी मुहर पर सवाल यह है कि बाघ तक जहर कैसे पहुंच रहा है? कोरिया जिले के कोरिया वन मंडल के सोनहत में बाघ की मौत को लेकर कोरिया वन मंडल और गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बाघ की मौत का संभावित कारण जहरखुरानी बताया है, परंतु विभाग प्रेस के सवालों से अब भी भाग रहा है। वही कई अनसुलझे सवालों का जवाब विभाग के अधिकारियों के पास नही है। बाघ की मौत कहीं हत्या तो नहीं जो जहर से हुई?
क्या बताया गया विज्ञप्ति में
कोरिया वन मण्ड़ल और गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि दिनांक 08.11.2024 को समय अपरान्ह 1.00 बजे ग्रामीणों से परिसर रक्षक गरनई को सूचना प्राप्त हुई कि ग्राम कटवार के पास खनखोपड़ नाला के किनारे एक बाघ की मृत्यु हुई है। घटना स्थल बीट गरनई, सर्किल रामगढ़, परिक्षेत्र सोनहत, कोरिया वनमण्डल के असीमांकित वनक्षेत्र (कक्ष कमांक पी 196) के समीप है। संबंधित वनरक्षक के द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया गया। तत्काल वनमण्डलाधिकारी कोरिया, संचालक गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान बैकुन्ठपुर, उपवनमण्डलाधिकारी उार बैकुन्ठपुर, मुख्य वन संरक्षक सरगुजा वन वृत्त अम्बिकापुर, वन संरक्षक (वन्यप्राणी) सरगुजा मौके पर पहुंचे। वन विभाग के कर्मचारियों की टीम के द्वारा घटना स्थल के आसपास 1.5 से 2 कि.मी. परिधि में तलाशी की गई। प्रथम दृष्टया शव 2-3 दिन पुराना प्रतीत होता है। दिनांक 09.11.2024 को वन विभाग, पुलिस विभाग, एनटीसीए प्रतिनिधि एवं ग्रामीणों की उपस्थिति में 4 सदस्यीय पशु चिकित्सकों की टीम द्वारा शव विच्छेदन किया गया। उक्त टीम के अभिमत अनुसार बाघ की मृत्यु का कारण जहरखुरानी संभावित है। शव विच्छेदन उपरांत शव को नियमानुसार दाह संस्कार किया गया। शव विच्छेदन के दौरान मृत टाईगर के आवश्यक अंगों को प्रयोगशाला परीक्षण के लिए प्रिजर्व किया गया। घटना स्थल के आसपास के क्षेत्र में गोमार्डा अभ्यारण्य के डॉग स्मयड टीम द्वारा पतासाजी किया गया तथा कोरिया वनमण्डल एवं गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान बैकुन्ठपुर की संयुक्त टीम के 4 दलों के द्वारा आसपास के क्षेत्रों में निरीक्षण किया गया। सम्पूर्ण कार्यवाही के दौरान अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) रायपुर उपस्थित रहे एवं समस्त वन अधिकारियों/ कर्मचारियों को अपराधियों की पतासाजी करने एवं वाईल्ड लाईफ काईम नियंत्रण के लिए निर्देश दिया गया। मृत टाईगर के स्किन, नाखून, दॉत एवं सभी अंग सुरक्षित थे, किसी भी प्रकार का अंग-भंग नहीं पाया गया। टाईगर मृत्यु के सभी संभावित कारणों की विवेचना की जा रही है।


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