अम्बिकापुर,12 नवम्बर 2024 (घटती-घटना)। बंगाली शणार्थियों ने डिगमा स्थित शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए आवंटित भूमि पर दावा जताया है। बंगाली शणार्थियों ने मंगलवार को आयोजित जनदर्शन में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर अवगत कराया है कि वर्ष 2009-10 में तत्कालीन कलेक्टर द्वारा 10.27 हेक्टेयर भूमि को इंजीनियरिंग महाविद्यालय को आवंटित कर दिया गया है। बंगाली शणाार्थियों ज्ञापन सौंपकर आवंटित हुए उक्त भूमि को विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग कॉलेज के कजे से मुक्त कराने की मांग की है।
अंबिकापुर लॉक के ग्राम डिगमा के ग्रामीणों ने मंगलवार को आयोजित जनदर्शन में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर अवगत कराया है कि हमलोग बंगाली शणार्थी के रूप में ग्राम डिगमा में 16.33 हेक्टेयर भूमि पर विगत 50-60 वर्षों तक काबिज होकर लगभग 42 परिवार घर बनाकर एवं खेती बाड़ी कर जीवन यापन कर रहे हंै। तत्कालीन कलेक्टर सरगुजा द्वारा राजस्व प्रकरण क्रमांक 54/3-19/2009-10 में पारित आदेश 20 अगस्त 2010 द्वारा खसरा क्रमांक 134, 170, 223, 224, 289, 290, 291, 293 एवं 294 भूमि 10.27 हेक्टेयर भूमि को इंजीनियरिंग महाविद्यालय को आवंटित कर दिया गया है। वर्तमान में राजस्व प्रकरण क्रमांक 02/3-19/2024-25 आदेश दिनांक 15 अक्टूबर 2024 द्वारा खसरा क्रमांक 288, 287, 286, 225, 226, 228, 178 एवं 177 भूमि जिसका कुल हेक्टेयर 6.060 भूमि है। जबकि आवंटन से पूर्व से ही उक्त भूमि पर ग्रामीणों द्वारा खेती बड़ी कर काबिज कास्त थे। ग्रामीणों ने ज्ञापन में अवगत कराया है कि कलेक्टर द्वारा भूमि आवंटन से संबंधित जो आदेश पारित किया है उस आदेश में हल्का पटवारी व तहसीलदार अंबिकापुर द्वारा झूठ बोलकर एवं गुमराह करते हुए प्राचार्य विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग कॉलेज से सांठ- गांठ कर भ्रामक प्रतिवेदन बनाकर कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया है वह पूरी तरीके से फर्जी है। क्योंकि उक्त भूमि पर 42 परिवारों द्वारा 50-60 वर्षों से घर बनाकर व खेती कर जीवन यापन करते चले आ रहे हैं। एवं भूमि अधिग्रहण से संबंधित ऐसी कोई भी जानकारी हल्का पटवारी व राजस्व अमला द्वारा आसपास के ग्रामीणों एवं ग्राम पंचायत को कोई जानकारी नहीं है। ग्रामीणों ने ज्ञापन के माध्यमय से कलेक्टर को अवगत कराया है कि उक्त समस्त भूमि को महाविद्यालय इंजीनियरिंग कॉलेज को आवंटन के पश्चात यहां के ग्रामीण निवासियों को कॉलेज प्रबंधन द्वारा शासन की समस्त सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। जिसमें की भारत सरकार व छाीसगढ़ शासन द्वारा नल जल योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना एवं प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक योजना से वंचित रखा गया है। ऐसे कई प्रकार की योजनाओं का लाभ कॉलेज प्रबंधन द्वारा रोक दिया गया है। बल्कि उक्त भूमि पर कजा हटाकर चले जाने व निर्मित मकानों एवं दुकानों को जेसीबी मशीनों द्वारा ध्वस्त करने की धमकी दी जा रही है। कई मकानों को प्राचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज द्वारा बिना किसी शासकीय आदेश के तोड़ दिया गया। ग्रामीणों ने आवंटित हुए उक्त भूमि को विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग कॉलेज के कजे से मुक्त कराने की मांग की है।
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