विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत से वन्यजीव संरक्षण योजनाओं पर संकट
-सोनू कश्यप-
प्रतापपुर,10 नवम्बर 2024 (घटती-घटना)। प्रतापपुर विकासखंड के रमकोला तमोर पिंगला अभ्यारण्य,जिसे वन्यजीव संरक्षण और प्रजनन के उद्देश्य से महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में विकसित किया गया है, भ्रष्टाचार और विभागीय लापरवाही का शिकार बनता जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा यहां वन्यप्राणियों की देखरेख और उनके प्रजनन को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपये की योजनाएं चलाई जा रही हैं, परंतु अधिकारियों और कर्मचारियों की उदासीनता और मिलीभगत के कारण ये योजनाएं मात्र कागजों तक ही सीमित होकर रह गई हैं।
जनता में रोष और वन्यजीव संरक्षण पर गंभीर संकट
वन्यजीव संरक्षण में हो रही इस घोर लापरवाही को लेकर जनता में आक्रोश है। तमोर पिंगला अभ्यारण्य जैसे महत्वपूर्ण स्थान पर वन्यप्राणियों की देखरेख और सुरक्षा की जिम्मेदारी का पालन न होना न केवल कानून व्यवस्था का मजाक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की गंभीरता पर भी प्रश्न खड़ा करता है। वन्यप्राणियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग अब जोर पकड़ रही है। इस विषय में तमोर पिंगला वन अभ्यारण डीएफओ टी श्रीनिवास ने बताया कि संबंधित वन प्राणियों का संरक्षण होना था इस विषय में जांच करके समस्त बिंदुओं पर कार्यवाही करते हुए जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, तथा उक्त जानवरों की जंगल में मुनादी कराई जाएगी हालांकि जंगल में वन प्राणी कम नजर आ रहे हैं। जिस पर कड़ी जांच कार्रवाई करते हुए शासन को अवगत कराकर दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी, तथा गेम रेंजरों पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
वन्यप्राणियों का शिकार… संरक्षण के बजाय विनाश
सूत्रों के अनुसार, तमोर पिंगला अभ्यारण्य में शाकाहारी वन्यप्राणी, जैसे चीतल, नीलगाय, और कोटरी प्रजाति के जानवरों को संतुलित खाद्य श्रृंखला के उद्देश्य से सन 2022-23 में घास के मैदान में छोड़ा गया था। इन सभी जानवरों का पहले मेडिकल परीक्षण किया गया और उसके बाद उनके प्रजनन एवं भोजन की सुविधाएं मुहैया कराई गईं। लेकिन अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही का परिणाम यह हुआ कि इन वन्यजीवों का अवैध शिकार लगातार होता रहा।
मेहमानों के निवाले बने वन्यजीव, मांस और खाल की तस्करी
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, कई वन्यजीवों को जंगल में घूमने वाले शिकारियों ने निशाना बनाया, वहीं कुछ जानवर अभ्यारण्य में आने वाले विशिष्ट मेहमानों का निवाला बन गए। अवैध शिकार के बाद इन जानवरों की खाल को लाखों रुपये में खरीदा गया और तस्करों द्वारा ऊँचे दामों पर बाहरी बाजारों में बेचा गया। ये घटनाएं विभागीय कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत की ओर इशारा करती हैं, जिन्होंने इस अवैध कार्य को रोकने के बजाय बढ़ावा दिया।
विभागीय मिलीभगत से योजनाएं कागजों में सिमटी
केंद्र सरकार द्वारा वन्यप्राणियों के संरक्षण और प्रजनन को बढ़ावा देने हेतु चलाई जा रही योजनाओं पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। परंतु इस अभ्यारण्य में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई। नतीजतन, वन्यजीवों का संरक्षण और संवर्धन कार्यक्रम भ्रष्टाचार और लापरवाही के चलते विफलता की कगार पर है।
जांच की मांग, लेकिन दोषी अधिकारी अब भी बचे हुए
विगत घटनाओं के बावजूद, विभागीय अधिकारियों के खिलाफ निष्पक्ष जांच न होने के कारण दोषी कर्मचारी लगातार बचते आ रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा वन्यजीव प्रजनन और संरक्षण योजनाओं के लिए आवंटित भारी भरकम बजट का दुरुपयोग हो रहा है। विभागीय अधिकारियों की अनदेखी और शिथिलता के कारण संरक्षण की सारी योजनाएं विफल होती दिख रही हैं।