- भाजपा शासनकाल में कांग्रेस नेता होने के बावजूद आमंत्रण कार्ड में वेदांती तिवारी का नाम छपा होना तो यही बताता है…
- तत्कालीन विधायक अपने ही दल के लोगों नेताओं को करती थीं उपेक्षित जिला प्रशासन से भी उपेक्षा का करवाती थीं प्रयास…यह स्पष्ट हुआ…!
-रवि सिंह-
कोरिया,07 नवम्बर 2024 (घटती-घटना)। कोरिया जिले में पांच वर्ष कांग्रेस शासनकाल का भी लोगों ने देखा और अब पुनः भाजपा का शासनकाल लोग देख रहे हैं जिसमे वह अंतर पा रहे हैं। यह अंतर जनप्रतिनिधियों के सम्मान को लेकर लोग देख-समझ पा रहे हैं। कांग्रेस शासनकाल में जनप्रतिनिधियों का सम्मान न तो स्थानीय विधायक करती थीं न ही जिला प्रशासन से ही उन्हें सम्मान मिलता था और इसके पीछे की वजह यह थी कि कहीं न कहीं जिला प्रशासन स्थानीय तत्कालीन विधायक के निर्देश पर ऐसा करता था। वैसे यह हम नहीं कह रहे हैं यह जिला प्रशासन द्वारा राज्योत्सव 2024 के आयोजन के लिए प्रकाशित आमंत्रण कार्ड बता रहा है कि कांग्रेस शासनकाल में जनप्रतिनिधियों खासकर कांग्रेस पार्टी के ही अन्य जनप्रतिनिधियों जिसमे जिला जनपद के जनप्रतिनिधि शामिल थे कि उपेक्षा होती रहती थी और यह उपेक्षा उनकी विधायक बैकुंठपुर के निर्देश पर होती थी और कई शासकीय कार्यक्रमों में आमंत्रण कार्ड की बात हो या मंच पर प्रोटोकॉल की कांग्रेस के ही नेताओं का न नाम ही होता था न ही उनकी मंच पर जगह ही होती थी और विधायक का अन्य से द्वेषभावना साफ नजर आती थी वहीं साा परिवर्तन होने उपरांत ही यह नजर आने लगा कि भाजपा में जहां भाजपा नेताओं के सम्मान का ध्यान रखा जा रहा है वहीं उन जनप्रतिनिधियों के भी सम्मान का ध्यान रखा जा रहा है जो दलीय रूप से कांग्रेस या अन्य दलों से जुड़े हैं और फिलहाल जिला जनपद में जिम्मेदार पदों पर आसीन हैं।
राज्योत्सव 2024 का आमंत्रण कार्ड जिला कोरिया का बताता है कि जिला प्रशासन ने सभी के सम्मान का ध्यान रखा है पक्ष विपक्ष सभी के वहीं स्थानीय विधायक ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया है इस संदर्भ में जो नजर आता है और राजनीतिक सुचिता भी बताता है। वैसे पिछले पांच वर्ष की तुलना में जनप्रतिनिधियों का मान सम्मान बढ़ा है और विधायक से भी सभी प्रसन्न संतुष्ट हैं यह सुना देखा जा रहा है और यह भी माना जा रहा है कि पिछला पांच साल राजतंत्र था और अब पुनः लोकतंत्र की स्थापना हुई है और तानाशाही खत्म हुई है। वैसे वेदांती तिवारी जिला पंचायत उपाध्यक्ष के तारतम्य में भी यदि बात करें तो वह पांच साल पिछला शायद ही याद करना चाहेंगे जब उन्हें जिला पंचायत उपाध्यक्ष रहते हुए भी केवल विधायक के कारण जिला प्रशासन से उपेक्षित होना पड़ता था और मंच पर जगह बनाने के लिए पहले जमीन पर बैठकर विरोध दर्ज करना पड़ता था तब जाकर उन्हें मंच पर जगह मिल पाता था वहीं ऐसा एक दो बार नहीं कई बार उनके साथ हुआ जब उन्हें जिला प्रशासन ने विधायक के निर्देश पर उपेक्षित किया कार्यक्रमों में उनके नाम को वह क्रम या स्थान प्रदान नहीं किया जिस क्रम स्थान पर उनका नाम होना चाहिए था। वैसे भाजपा शासनकाल में जिला प्रशासन में भी एक बदलाव दिखने लगा है वह यह है कि अब द्वेष भाव का अभाव है और अब सभी का बराबर सम्मान जिले में हो रहा है वह पक्ष का हो या विपक्ष का।