मंटोरा के मन टोर दिए गय रहिस काबर के ओकर मन के बिहाव नइ होय रहिस फेर ददा के गोठ बात ल माने के मजबूरी रहिस,कोनो परकार ले खोलबहरा संग बिहाव कर लिहिस फेर मन नइ रहिस थोरकिन शुरू म ठीके ठाक रहिस फेर आजेकल के स्वछंद जिनगी अउ महतारी मन के दखल म ससुरारी जिनगी बनेच बिगड़त हे फेर मंटोरा करा भी ओइसन नवा नवा घटना होइस ।फेरबिहाव के जिनगी अब वोला जेल बरोबर लागे लगिस,ओला लइका मन खातिर गृहस्थी जिनगी म आघू आ के सुग्घर दाई ददा बने ल रहिस काबर की लइका के जिंनंगी म कोनो असर झन पड़य फेर होनी ल तो ऊपर वाला भी टारे नइ सकय। खोलबहरा ह अपन बुता ले घर आइस। मंटोरा डेहरी चढ़े नइ पाये हे खोलबहरा करा लड़ाई कर अतलंग मचा दारिस।काबर के ओहर अपन घरवाला ल भात नइ रहिस।खोलबहरा कहिस मोला भूख लागत हे भात दे। मंटोरा बोलिस मोला सुते धक नींद आत हे निकाल के खा ले।खोलबहरा सुनत रहिस मंटोरा टिरटिर खिसियाते रहिस।
बिहन्ना जुवार खोलबहरा फेर रोटी पीठा खायें ल मांगिस।
मंटोरा बनेच खिसियात बोलिस तोर सेतर मोर जिनगी लेसा गे तै मर जाते त बने रतिस। खोलबहरा कुछु नइ बोलिस अउ मुक्का आफिस बर निकलगे। मंटोरा लइकामन ल इस्कूल ले घर लेके आत रहिस त देखिस घर के बाहर लोगन मन के बनेच भीड़ सकेलाय हे फेर लकठा म जा के देखिस त ओकर घरवाला के मुरदा लास रहय,अब तो ओकर उपर जइसे दुख के पहाड़ गिरगे।
लोगन मन खुसुर फुसुर गोठियात रहिंन की कार ले एक्सीडेंट होय हे।
मंटोरा जोर ले किकियाय लगिस खोलबहरा उठ जा। तोर ले कभू नइ लड़व तोला कभू नइ खिसियाव,तोला भूख लागे हे त भात दे देथव फेर तै उठ जा। फेर खोलबहरा कइसे उठतीस ओला तो घरवाली मंटोरा के बददुए ह मार दारिस।खोलबहरा के जाए ले मंटोरा लअब दुनिया के रंग हर समझ म आय लागिस लोगनमन के बेवहार ह बलदत दिखिस। नता गोता मन घलौक बलदगे अउ पाछु छोडाय लगिस। अउ तो अउ लोगन मन खराब नजर ले घलौ देखे ल लागिस कुछु दिन म घरो घलो छीनगे बाहटा म जो आइस ससुरार के मन दे दिस।
फेर घरवाला खोलबहरा के मरे के बाद मंटोरा ल पता चलिस की घरवाला जइसे रहय घरवाली के मुड़ी के मुकुट रहिथे। फेर अब काय करतिस बिहाव ल तो पुतरा पुतरी के खेल समझे रहिस।
त्रिभुवन लाल साहू
बोड़सरा जाँजगीर छत्तीसगढ़
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