- क्या पुलिस होना ही तालिब का गुनाह था जिसकी सजा पत्नी और बेटी को मिली?, क्या सूरजपुर दोहरे हत्याकांड मामले में पत्रकार ही देना चाह रहे हैं अपराधियों को संरक्षण?
- सूरजपुर मां बेटी की जघन्य और निर्मम हत्या मामले में एक प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल ने चलाई अजीब खबर पुलिस को सिर्फ मामले में मान रहे दोषी?
- जघन्य हत्या के अपराधी को मासूम और पीडि़त बताने की योजना जैसी लगी खबर
- क्या प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल की खबर आरोपियों के लिए सहानुभूति बटोरने प्रसारित की गई?
- क्या सूरजपुर मां-बेटी हत्या मामले में इस तरह की खबर सही है,क्या इसे सही पत्रकारिता कहा जा सकता है?
- जघन्य अपराध निर्मम अपराध मामले में आरोपियों अपराधियों के लिए केवल कठोर दंड की ही मांग होनी चाहिए…
- क्या मां बेटी हत्या मामले में न्यूज़ चैनल हत्यारे को केवल इसलिए मासूम बताना चाह रहा है क्योंकि पीडि़त पुलिस परिवार है?
-समरोज खान-
सूरजपुर,05 नवम्बर 2024 (घटती-घटना)। सुरजपुर जिले का दोहरा हत्याकांड अब हमेशा याद रखा जाएगा,यह हत्याकांड कई मामलों में याद रखा जाने वाला है, जहां इस पूरे मामले में पुलिस और नेताओं के द्वारा अपराधियों को संरक्षण देने की बात कही जा रही है तो वहीं पत्रकारों ने भी संरक्षण दिया यह भी कहना गलत नहीं होगा, जब पुलिस और नेता संरक्षण दे रहे थे तो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ यानी कि पत्रकारिता क्या कर रही थी? क्यों वह इन सब मामलों को उजागर नहीं कर रही थी? लगातार खबर प्रकाशित क्यों नहीं कर रही थी? इस मामले में पत्रकारों के भी संरक्षण देने की बात अब सामने आने लगी है। क्योंकि मीडिया भी मूकदर्शक बनी हुई थी और सारा तमाशा देख रही थी,यदि दीगर मीडिया ईमानदारी से काम करती तो शायद पुलिस व नेताओं का भी संरक्षण नहीं मिलता इस मामले के आरोपियों को? जैसे कि आज भी कुछ पत्रकार इस गंभीर मामले में आरोपियों को सहानुभूति देने का भी प्रयास करते नजर आ रहे हैं। कुलदीप जैसे आरोपियों को कुख्यात बनाने में किसी एक का हाथ नहीं है,कई लोगों जिम्मेदार हैं, इसमें पुलिस प्रशासन व नेता तो जिम्मेदार है ही वह लोग भी जिम्मेदार हैं जो कुख्यात आरोपी कुलदीप के कुकृत्यों पर मजा लिया करते थे,उन्हें वह अच्छा लगता था क्योंकि उनके ऊपर वह नहीं बीती थी। कुलदीप जब भीड़ के बीच किसी को मारता था तो लोग उसे बचाने तक नहीं जाते थे और न ही कुलदीप को ऐसी घटनाओं से रोकने का प्रयास करते थे। सिर्फ पुलिस प्रशासन व नेता ही जिम्मेदार नहीं है इसके पीछे सभी वर्गों की जिम्मेदारी है, जिसने कुलदीप को इतना बड़ा खूंखार आरोपी बनाया, सभी ने थोड़ी-थोड़ी सहभागिता निभाई तब आज उसने इतना बड़ा कांड करने की हिम्मत की। आज पुलिस पर भले ही कबाडि़यों को संरक्षण देने की बात कही जा रही है और यह बात मीडिया कह रही है पर कबाडि़यों को संरक्षण पत्रकारों व मीडिया का नहीं मिला था? जो वह उनके गलत कामों को प्रकाशित नहीं कर रहे थे उनसे वह भी मोटी रकम वसूल रहे थे। इसलिए मीडिया भी बराबर की दोषी है,सिर्फ पुलिस व नेताओं पर ही क्यों ऐसे में आरोप जब मीडिया ने भी अपनी जिम्मेदारी उस मामले में भली भांति नहीं निभाई।
पूर्व डिप्टी सीएम भी पहुंचे थे तालिब के घर
पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव भी मनेंद्रगढ़ में तालिब शेख के घर पहुंचे थे। सिंहदेव ने कहा कि पुलिस परिवार पर हमला अत्यंत निंदनीय है। उन्होंने कहा कि आरोपियों को कानूनी प्रक्रियाओं के तहत मौत की सजा होनी चाहिए।
क्या सूरजपुर मां बेटी हत्या मामले में इस तरह की खबर सही है,क्या इसे सही पत्रकारिता कहा जा सकता है?
सूरजपुर में एक पुलिसकर्मी की पत्नी और उसकी बेटी की जघन्य हत्या शायद ही किसी को इसलिए सही नजर आए क्योंकि पीडि़त पुलिसकर्मी है उसके परिजन हैं। कानून का मन पिघले न पिघले मानवता शर्मशार हुई है यह कहना कहीं से गलत नहीं होगा। पुलिसकर्मी से यदि पीडि़त था या पुलिस से ही पीडि़त था कुलदीप और उसका परिवार और वह ज्यादा पैसा देकर कबाड़ का अवैध कारोबार घाटे में कर रहा था तो वह अवैध कारोबार कर ही क्यों रहा था? निजी समाचार चैनल ने जो खबर चलाई उसके अनुसार कुलदीप और उसके परिवार का एकाधिकार होना चाहिए था,कबाड़ के कारोबार पर या अवैध कारोबार पर? किस तरह एक अवैध कारोबार को सही बताने एक जघन्य अपराध के आरोपी को मासूम बताने एक कहानी बनाई कुछ लोगों ने और उसे एक सीरियल बनाया और न्यूज बनाई। खबर देखकर सुनकर यही कहना सही होगा कि वह पेड न्यूज थी। वैसे जिन्होंने भी यह स्कि्रप्ट बनाई खबर के लिए वह क्या साबित करना चाह रहे हैं यह स्पष्ट नहीं है, खबर देखकर सुनकर यही कहना सही होगा कि खबर केवल इस उद्देश्य से चलाई गई कि कुलदीप को एक सहानुभूति मिल सके। कहीं से खबर न तो सही न जायज कही जाएगी, यह हम नहीं यह खबर देखने वालो का कहना है।
जघन्य अपराध निर्मम अपराध मामले में आरोपियों अपराधियों के लिए केवल कठोर दंड की ही मांग होनी चाहिए…
पुरे प्रदेश के लोगो का इस मामले यही कहना है की एक निजी न्यूज चैनल के द्वारा सूरजपुर दोहरे हत्याकांड मामले में जिस तरह की खबर का प्रकाशन किया गया वह अनुचित ही कहा जाएगा जिसका कोई औचित्य नहीं था। हत्या दो महिलाओं की हुई,तब हुई जब वह घर में अकेली थीं, एक नाबालिक युवती थी उसमें जिसने अभी दुनिया देखी नहीं थी। उन्हें जिन्होंने मारा उनका द्वेष पुलिस से था और उन्हें जब पुलिस अपने सामने मजबूत नजर आई उन्होंने महिलाओं को निशाना बनाया। कुल मिलाकर कायराना हरकत ही थी यह और यह घटना भी कायरता की मिशाल थी। वैसे ऐसे मामलों में जहां क्रूरता की बात हो और क्रूरता नजर आए किसी घटना में वहां न्याय की बात केवल यही हो सकती है मीडिया और समाज का भी यही फर्ज होना चाहिए कि वह ऐसे अपराधियों आरोपियों के लिए कठोर से कठोर दंड की मांग करे और उसके अलावा वह अन्य कोई सहानुभूति प्रकट करने का बिलकुल प्रयास न करे। वैसे ऐसे मामलों में खुद को पीडि़त मानकर भी सोचना समझना चाहिए कि यदि पीडि़त वह होते जिन्हें सहानुभूति वाला मामला लग रहा है यह तब वह क्या ऐसी खबर चलाते।
ऐसे पक्ष प्रकाशित न हों की आरोपियों अपराधियों का मनोबल बढ़े
लोगो का कहना है की मीडिया का कर्तव्य है कि जघन्य अपराध या किसी भी अपराध में ऐसे तथ्य पक्ष प्रकाशित न हों पक्ष प्रकाशित न हों जिससे अपराधियों या आरोपियों का मनोबल बढ़े। मीडिया समाज का दर्पण है और एक जिम्मेदार वह अंग है व्यवस्था का जिसका काम है कि वह व्यवस्था को अपराध मामले में सहयोग करे जिससे अपराध रोके जा सकें और अपराधियों पर लगाम लग सके। जब माडिया अपने भीतर ऐसे बदलाव लाएगी और जब वह आरोपियों अपराधियों को लेकर सहानुभूति के भाव का प्रकटीकरण बंद करेगी तभी वह जिम्मेदार मानी जायेगी और तभी अपराध पर अंकुश लग सकेगा।
7 अक्टूबर को जब कुलदीप साहू के भाई ने एक युवक की जान लेनी की की थी कोशिश,तब क्यों नहीं प्रकाशित की थी निजी न्यूज चैनल ने खबर
7 अक्टूबर दोहरे हत्याकांड से कुछ दिन पहले का ही दीन कुलदीप साहू के भाई ने एक युवक की जान लेने की कोशिश की थी। उस मामले में उसके भाई के ऊपर अपराध भी दर्ज था लेकिन तब किसी भी अखबार न्यूज चैनल ने खबर प्रकाशित करने की जहमत नहीं उठाई थी, यहां तक कि वह भी न्यूज चैनल जो आज कुलदीप को पुलिस से पीडि़त बता रहा है और जघन्य हत्याकांड को एक तरह से जायज और प्रतिक्रिया बता रहा है। उस दिन यदि इस चैनल ने खबर चलाई होती निश्चय ही आज की खबर इस चैनल की जायज भी कही जाती।
प्रतिष्ठित न्यूज चैनल के अनुसार पुलिस की वसूली से कुलदीप था परेशान,यदि यही सत्य है तो पहले क्यों नहीं चलाई न्यूज चैनल ने खबर
प्रतिष्ठित न्यूज चैनल का दावा है कि पुलिस की वसूली से परेशान था कुलदीप और यही कारण था कि उसने जघन्य अपराध को अंजाम दिया और एक पुलिस कर्मी की पत्नी बच्ची को बेरहमी से मार दिया। वैसे खबर में किस कारण ऐसे तथ्य सामने रखे गए क्यों मामले में न्यूज चैनल ने आरोपी को मासूम बताया यह तो वही जाने लेकिन यदि उन्हें मालूम था कि पुलिस कुलदीप से वसूली करके उसे परेशान भी कर रही है अवैध कारोबार नहीं करने दे रही है तो तब जब यह जानकारी न्यूज चैनल के पत्रकार ने क्यों नहीं तब प्रकाशित की। वैसे कितने लाख में अवैध कारोबार होते हैं तय और कितने में नए को मिलता है मौका यह बात पत्रकार या मीडिया समूह इतनी बारीकी से यदि जानते हैं तो कोई अपराध घटने से पहले वह प्रकाशित करते तो सही जान पड़ता।
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के एक नेता पर भी कर चुका था हमला
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के एक नेता जो पुराने बस स्टैंड के पास गाड़ी में बैठकर फोन पर बात कर रहे थे और उनका कुलदीप से कोई आमना सामना नहीं था पर अचानक कुलदीप आता है उनके पास और उनके टेलिफोनिक बात में बाधा बनता है, वह उसकी बातों को नजरअंदाज करते हैं और वह उनके गाड़ी का कांच तोड़ देता है, इसके बाद बात बिगड़ जाती है और मामला थाने तक पहुंचता है, उस मामले में अपराध भी दर्ज होता है उस दिन भी लोग सिर्फ मजे ही लेते हैं, और वह मामला फिर आगे उसको ऐसे कार्यों के लिए प्रेरित करता है। कुलदीप साहू ऐसे ही जिला बदर नहीं हुआ उसके ऊपर कई अपराध दर्ज हुए तब वह जिला बदर हुआ।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल तालिब शेख और परिवारजनों से मिले थे…
शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल तालिब शेख और परिवारजनों से मिले थे। उन्होंने घटना को लेकर दुख जताया। सूरजपुर में हेड कांस्टेबल तालिब शेख की पत्नी और बेटी की हत्या के आरोपियों को सजा को लेकर मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल मुख्यमंत्री से चर्चा करेंगे। उन्होंने तालिब शेख की पत्नी और मासूम बेटी की हत्या की घटना पर शोक संदेवदना व्यक्त की। श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले, इसके लिए वे मुख्यमंत्री से मुलाकात कर मांग रखेंगे।
कुलदीप के भाई की में गिरफ्तारी बेचारगी दिखाई गई,अपराध और अपराध की गंभीरता पर कोई बात नहीं रख सका प्रतिष्ठित न्यूज चैनल
कुलदीप साहू के भाई की गिरफ्तारी में बेचारगी दिखाने का प्रयास किया गया और बताया गया कि पुलिस उसके भाई को टॉर्चर कर रही थी,पर यह नहीं बताया की कुलदीप के भाई ने कौन सा कृत्य किया था,किसी की जान लेने का प्रयास किया था,दोहरे हत्याकांड से कुछ दिन पहले कुलदीप के भाई ने एक व्यक्ति को छत से फेंक दिया था,जिसमें उसकी जान जाते-जाते बची और उसे गंभीर चोट आई थी, इस वजह से पुलिस ने उसके भाई को गिरफ्तार कर जेल भेजा था,शायद यह बात भी बताना जरूरी था,पुलिस ने अपना काम ही किया था जो उसके भाई को गिरफ्तार किया। वैसे यह भी एक वजह थी कुलदीप पुलिस के प्रति वैमनस्य रखने लगा और उसने एक पुलिसकर्मी की पत्नी बच्ची को मौत के घाट उतारा।
जिस बोखी कबाड़ी को निजी न्यूज चैनल ने बताया था कबाड़ व्यवसाय करने का इक्षुक…वह लकवा ग्रसित है और मानसिक रूप से अस्वस्थ है…
बोखी कबाड़ी को पुलिस या तालिब शेख संरक्षण देना चाहता था और उससे अवैध कारोबार करवाना चाहता था यही निजी न्यूज चैनल की स्कि्रप्ट है,कुलदीप को बेकसूर मासूम बताने के लिए। वैसे बोखी नाम का व्यक्ति लकवा ग्रसित है वहीं मानसिक रूप से भी बीमार है यह बताया जा रहा है। वह अवैध कारोबार करने लायक ही नहीं और उसे इस अपराध का कारण बता रहा है न्यूज चैनल, वैसे यदि यह सही भी है तो भी क्या निजी न्यूज चैनल की इस खबर को इस तरह कुलदीप को मासूम बताने के प्रयास को सही कहा जाएगा? कतई नहीं, कुलदीप का कृत्य जघन्य है और उससे पुलिस के वसूली को जोड़कर कुछ कहना या साबित करना गलत होगा पक्षपात होगा आरोपियों को बचाने का प्रयास होगा। जिस कबाड़ी के यहां प्रधान आरक्षक रहता था उसे भी ऐसा दिखाया गया कि वह कुलदीप के परिवार के कबाड़ के धंधे में प्रतिद्वंद्वी बनना चाह रहा है जबकि जिस कबाड़ी के यहां प्रधान आरक्षक रहता था वह कबाड़ का काम 2 साल पहले ही छोड़ दिया था, इसके बाद से वहां पर प्रधान आरक्षक रह रहा था, क्योंकि वह व्यक्ति लकवा से ग्रसित है और वह शारीरिक व मानसिक कमजोर है और ऐसा व्यक्ति बड़े पैमाने पर कबाड़ का काम कर पाए यह लगता नहीं? जो बात पूरे शहर सहित पुलिस को भी पता है तो वैसा व्यक्ति को पुलिस वाला कैसे संरक्षण देंगे? कुलदीप के परिवार के कबाड़ के धंधे का कमजोर व्यक्ति प्रतिद्वंद्वी कैसे बनता? इतने बड़े कांड के बाद कुलदीप के घर के किसी व्यक्ति के च चेहरे पर कोई सिकन तक नही ।
जिस पुलिसकर्मी को खतरनाक आरोपी की वजह से अपनी पत्नी व बेटी को खोना पड़ा… आज उसी पर ही लांछन क्यों?
हम उस मामले की बात कर रहे हैं जिस मामले में जिलाबदर का कुख्यात आरोपी दोहरे हत्याकांड को अंजाम देता है, कुख्यात आरोपी जब जिलाबदर अवधि के दौरान घूम रहा था तब मीडिया भी इस खबर को प्रकाशित करने से डर रही थी,पत्रकार दहशत में थे या फिर आरोपी को संरक्षण दे रहे थे? आज जो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ इस पूरे मामले में पुलिस व नेताओं को इस मामले का दोषी बता रहा है, क्या वह भी दोषी नहीं? जो इस पूरे मामले में अपनी कलम को बेच दिए थे? यह हत्याकांड पुलिसकर्मी से या पुलिस वालों से द्वेष के कारण कारीत किया गया, लेकिन हत्या का शिकार पुलिसकर्मी के घर की महिला और उसकी नाबालिक बेटी को बनाया गया और उनकी जघन्य और निर्मम हत्या की गई और उनके शवों को भी घसीटा गया और दूर ले जाकर फेंका गया, वहीं इस मामले में कुछ मीडिया समूह ने अपराधियों को ही मासूम और निर्दोश साबित करने का प्रयास किया, जबकि इस क्रूरतम हत्या के लिए उनके प्रति किसी सहानुभूति की कतई जरूरत नहीं होनी चाहिए थी,न ऐसे किसी प्रयास को ही सही कहा जाएगा कभी। वैसे जिस मीडिया समूह ने ऐसा किया और क्रूर हत्यारों को मासूम और पुलिस से पीडि़त बताया वह संयोग से एक प्रतिष्ठित मीडिया समूह है और जिम्मेदार प्रकाशन उसकी जिम्मेदारी है,जिससे वह भटका नजर आया। वैसे इस घटना के बाद पुलिस और जिला प्रशासन साथ ही नगर पालिका अपने ही अंदाज में अपनी कार्यवाही संपन्न कर रही है और इसी तारतम्य में जिला मुख्यालय में कबाडि़यों के विरुद्ध उनके अवैध निर्माण के विरुद्ध बुलडोजर कार्यवाही सम्पन्न की गई और कई जगह बुलडोजर कार्यवाही देखी गई।
सूरजपुर मां बेटी की जघन्य और निर्मम हत्या मामले में एक प्रतिष्ठित समाचार चैनल ने चलाई अजीब खबर
सूरजपुर दोहरा हत्याकांड जिसमें प्रधान आरक्षक की पत्नी व बेटी की जान चली जाती है उस मामले में एक प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल की 13 मिनट की खबर में ऐसा प्रतीत हुआ कि वह आरोपी को सहानुभूति देने का प्रयास कर रहे हैं, उस न्यूज़ चैनल ने बताया कि पुलिस लाखों रुपए लेकर कबाड़ का काम करवाती थी,नेताओं का भी संरक्षण था पर सवाल यह उठता है कि यदि पुलिस लाखों रुपए लेकर कबाड़ का काम करवा रही थी और यह बात वह मीडिया समूह जनता था,तो उसने अपने कर्तव्य का निर्वाहन करते हुए समाचार क्यों प्रकाशित नहीं किया इस आशय का? वहीं लोकतंत्र का चौथा स्तंभ ऐसी खबरों को प्रकाशित क्यों नहीं कर रहा था और क्यों नहीं कबाड़ के काम को बंद करने के लिए खबर चलाकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहा था? यदि वह ऐसी जिम्मेदारी निभाया होता तो क्या इतने बड़े पैमाने पर संरक्षण मिल पाता है? यदि जिम्मेदार पुलिस व नेता है तो बाकी जिम्मेदार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के लिए काम करने वाले मीडिया व पत्रकार भी है? जिन्होंने अवैध कारोबार को संरक्षण देने के लिए खबर पर रोक लगा रखी थी और आज सिर्फ इसका ठीकरा पुलिस व नेताओं पर फोड़ रहे हैं, अपनी जवाबदेही से बच रहे हैं। जांच को प्रभावित करने के लिए वह आरोपी को सहानुभूति देने के लिए खबर चला रहे हैं।
जघन्य हत्या के अपराधी को मासूम और पीडि़त बताने की योजना जैसी लगी खबर
जिस प्रकार से अपराधी को मासूम बताने के लिए न्यूज़ चैनल ने अपने सोर्सेस से खबर चलाई उस खबर के 13 मिनट में 2 मिनट कहीं न कहीं आरोपी को योजनाबद्ध तरीके से सहानुभूति देने का प्रयास था और पूरे मामले में पुलिस को दोषी बताने का प्रयास था, साथ ही आरोपी को बेचारा बताने का प्रयास किया गया। आरोपी को सहानुभूति मिले सके यही खबर का सार था। वैसे खबर को पेड न्यूज की संज्ञा देना भी गलत नहीं होगा।
कई पत्रकार भी मार खा चुके थे कुलदीप से…फिर भी साध रखी थी चुप्पी
कुख्यात आरोपी कुलदीप शुरू से ही गुंडा प्रवृत्ती का था,मारपीट करना उसकी आदतों में शुमार था,यहां तक की मारपीट के लिए नेता भी उसे आगे रखा करते थे,वहीं पिछली सरकार के वहीं वर्तमान में विपक्ष के नेता भी उसको संरक्षण देते थे,यदि अच्छी जांच हुई उनका नाम उजागर होगा, कुलदीप कांग्रेस के नेताओं का काफी चहेता बना हुआ था,जो पत्रकार आज पुलिस व नेताओं के संरक्षण को लेकर खबर लिख रहे हैं, वह उस दिन कहां थे जब पत्रकार को एक कुलदीप ने धान मंडी से फेंकने की कोशिश की थी उसमें उसकी जान भी जा सकती थी और यह वाक्या तब हुआ था जब वह धान खरीदी केंद्र का खबर बनाने गया था, एक पत्रकार ने कोयला व कबाड़ कारोबार की खबर लगाई थी जिस पर वह उस पत्रकार को कुलदीप उठाकर ले गया और उसके साथ खूब मारपीट की थी,उस पत्रकार को अधमरा समझकर छोड़ दिया था,यह घटना दो-तीन साल पूर्व की बताई जा रही है पर उस समय भी किसी पत्रकार ने इसके विरुद्ध खबर लिखने की हिम्मत नहीं जुटाई थी, कहीं ना कहीं इसे संरक्षण ही कहा जाएगा।
संजय कबाड़ी व उसके बेटे का यदि निकल जाए सीडीआर तो पत्रकारों के द्वारा भी संरक्षण प्रदान किए जाने की बात का चलेगा पता
सुरजपुर के कबाड़ी संजय व उसके बेटे की यदि सीडीआर निकाली जाए तो पत्रकारों से सांठगांठ की भी बात सामने आएगी। किन किन पत्रकारों से वह संपर्क में हैं वहीं किन किन से उनकी लगातार बात हो रही है यह सीडीआर से ही पता चल सकेगा। सीडीआर से जानकारी मिलने उपरांत यह भी पता चलेगा कि किन किन से वह तब से सम्पर्क में हैं जबसे कुलदीप हत्याकांड में जेल में बंद है। वैसे यदि सूत्रों की माने तो संजय कबाड़ी और उसका बेटा लगातार पत्रकारों से सम्पर्क में हैं और वह खबरों को अपने हिसाब से प्रकाशित करवा रहे हैं और इसके लिए वह पत्रकारों को खरीदने का काम कर रहे हैं।