भारत ने चीन के साथ सीमाओं पर होने वाले युद्ध की आशंका को समाप्त करते हुए बातचीत से समझौते का सही रास्ता अख्तियार कर सीमांत मोर्चे पर बजट पर होने वाले चीन से युद्ध की आशंका पर खर्च को काफी हद तक बचा लिया है एवं एक मोर्चे से भारत अब निश्चिंत होकर अपनी आर्थिक प्रगति की ओर अग्रसर हो सकता है। यह तय है कि यदि चीन भारत से युद्ध नहीं कर सकता तो पाकिस्तान की इतनी हैसियत नहीं है कि वह चीन के बिना भारत से युद्ध करने की कभी कल्पना भी कर सके । इन परिस्थितियों में भारतीय अर्थशास्ति्रयों का अनुमान है की भारत अब विश्व की तीसरी महाशक्ति बनने से काफी नजदीक पहुंच जाएगा और अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस कनाडा जैसे देश जो भारत की प्रगति को बहुत ज्यादा पसंद नहीं करते हैं को भारत चीन के इस समझौते से बड़ा झटका ही लगा है। निश्चित तौर पर ये अंग्रेज देश नहीं जाएंगे कि भारत उनकी बराबरी के साथ खड़े होकर आंखों में आंखें डाल कर बात करे सके। भारत स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद अथक प्रयास करने के पश्चात आधुनिक भारत के स्वप्न दृष्टा प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी कार्यप्रणाली इसी सोच के साथ आगे बढ़ाई थी कि भारत आने वाले समय में एक समृद्ध, शक्तिशाली एवं आर्थिक रूप से संपन्न राष्ट्र के रूप में वैश्विक स्तर पर उभर कर आएगा। इसी तारतम्य में 1952 से प्रारंभ की गई पंचवर्षीय योजनाओं के तहत कृषि, उद्योग, विज्ञान और स्वास्थ्य में वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा सोच को मूर्त रूप दिया गया था। समय समय मैं सरकारें बदलती रहे और भारत विकास की ओर धीरे-धीरे बढता रहा। आज वर्तमान में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में आर्थिक स्थिति में जबरदस्त विकास किया है, भारत विश्व में पांचवी आर्थिक स्थिति बन चुका है दूसरी तरफ विज्ञान तथा टेक्नोलॉजी में भी अहम स्थान रखता है। सामरिक तौर पर भी भारत की सेना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना विशेष स्थान रखती है ।अब पाकिस्तान या चीन की इतनी हिम्मत नहीं है कि वह सीधा भारत पर आक्रमण कर सकें। भारत ने विकास कर यह साबित कर दिया है भारत अब पुराना भारत नहीं रहा है और अब किसी भी विषम परिस्थिति मैं भारत सीना तान कर खड़ा हुआ है।
मैं किसी पार्टी विशेष का पक्षधर नहीं हूं जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी ,अटल बिहारी वाजपेई, डॉ मनमोहन सिंह और अब नरेंद्र मोदी जी ने भारत को वैश्विक पटल पर एक सम्मानजनक इस स्थिति में ला खड़ा किया हैद्य अटल बिहारी जी के नेतृत्व में हम परमाणु शक्ति संपन्न देश बने थे और इंदिरा गांधी जी के नेतृत्व में हमने 1971 में पाकिस्तान को बुरी तरह हराकर कर उसका विभाजन कर बांग्लादेश नामक नए देश का जन्म करवाया था।
पर मैं यहां बात विकास के वास्तविक धरातल और देश में गरीबी तथा बेरोजगारी उन्मूलन की करना चाह रहा हूं. हमारा देश अभी भी गरीबी,बेरोजगारी,भुखमरी, असमानता, अंध विश्वास,आडंबर और धार्मिक कट्टरपंथ का सामना करते हुए उस गति से विकास नहीं कर पा रहा है जिसके लिए वह अत्यंत समर्थ हैद्य आज भारत की धमक अमेरिका से लेकर जापान तथा अफ्रीकी देशों में भी है भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी का स्वागत अमेरिका फ्रांस ऑस्ट्रेलिया इंग्लैंड ब्राजील इजरायल और सऊदी अरेबिया देश के अनेक राज्यों के राष्ट्रीय प्रमुख हुक्मरानों ने दिल खोलकर किया है, नरेंद्र मोदी की वैश्विक हैसियत इसी बात से पता चलती है कि बाहुबली अमेरिका के राष्ट्रपति ने उनका ऑटोग्राफ लेने की गुजारिश की है और पापुआ न्यू गिनी के राष्ट्र प्रमुख ने उनके चरण छूकर उनका अभिवादन किया ,यह संभवत चमत्कारिक प्रभाव भारत के शक्तिशाली होने एवं वैश्विक शांति के प्रति देश की प्रतिबद्धता के कारण ही हुआ है पर दूसरी तरफ भारत की अंदरूनी स्थिति में भारत 140 करोड़ की जनसंख्या वाला देश हो गया हैद्य विकास की कल्पना में भारत आर्थिक तौर पर एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित हो, इस स्थान पर गरीबी बेरोजगारी असमानता का उन्मूलन हो चुका हो।
संजीव ठाकुर,
रायपुर छत्तीसगढ़,
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