जिले के राजस्व विभाग ने शासन को 32 करोड़ का पहुंचाया नुकसान
राजा मुखर्जी-
कोरबा 24 सितम्बर 2021 (घटती-घटना)। कलेक्टर के प्रतिबंध के बावजूद सड़क निर्माण के लिए 13 गांवों में भू -खंडों का बटांकन (छोटे छोटे टुकड़े ) कर 153 रजिस्ट्री (पंजीयन) एवं 168 नामांतरण कर अतिरिक्त मुआवजा के तौर पर यह नुकसान पहुंचाया । प्रदेश के राजस्व मंत्री के जिले में राजस्व अधिकारियों ने सफेद पोशों के साथ मिलीभगत कर शासन को 32 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है। शासन से जांच के आदेश के बाद कलेक्टर ने आवश्यक कार्यवाई के लिए प्रतिवेदन शासन को भेज दि है। इस हाई प्रोफाईल प्रकरण में जिम्मेदारों पर वैद्यानिक कार्यवाई को लेकर निगाहें टिकी होंगीं।
यहाँ बताना होगा कि इंडस्ट्रीयल सड़क कॉरिडोर निर्माण योजना के तहत कोयलांचल क्षेत्र की 3 सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। 26.7 किलोमीटर लंबी एक फेस, सर्वमंगला से तरदा 8 किलोमीटर ,तरदा से हरदीबाजार13 .2 किलोमीटर एवं सर्वमंगला से कुसमुंडा 5 .5 किलोमीटर शामिल है। सर्वमंगला से कुसमुंडा मार्ग को फोरलेन तो शेष दोनों सड़कों को टू लेन तैयार किया जाना है। इसके लिए एसईसीएल ने 200 करोड़ रुपए की प्रतिबद्धता राशि दे दी है। पीडब्ल्यूडी को सड़क निर्माण का क्रियान्वयन एजेंसी नियुक्त किया गया है ।गत वर्ष टेंडर भी फाईनल कर कार्य शुरू कर दिया गया । नागपुर की फर्म एमएमएस यह कार्य कर रही है। मार्च 2023 तक एक फेस में तीनों सड़क को तैयार किया जाना है। लेकिन सड़क अभी तैयार ही नहीं हुआ,कि राजस्व विभाग की एक बड़ी गड़बड़ी सामने आ रही है। यह गड़बड़ी हरदीबाजार से तरदा मार्ग 13 .2 किलोमीटर में सामने आया है। पीडब्ल्यूडी ने इस मार्ग के अंतर्गत आने वाले 13 गांव के भू -अर्जन के लिए प्रस्ताव दिया था। इनमें कटकीडबरी ,नवापारा ,मुड़ापार,मुढाली,गांव के भू -अर्जन का प्रस्ताव 30 दिसंबर 2020 को ,तो दर्री ,भर्राकुड़ा,मौहाडीह ,अखरापाली ,गंगदेई बिरदा का प्रस्ताव 31 दिसंबर को, तो सराईसिंगार ,रंगबेल तथा भलपहरी का प्रस्ताव 14 जनवरी को भेजा गया था। इसके पूर्व अक्टूबर 2020 से उक्त 13 गांवों में भूमि के क्रय -विक्रय ,नामांतरण एवं बंटवारे पर कलेक्टर द्वारा प्रतिबंध लगा दी गई थी। लेकिन इसके बावजूद नियम कायदों की परवाह न करते हुए उपपंजीयक हरदीबाजार ने 115 तो उप पंजीयक कोरबा ने 38 रजिस्ट्री कर दी। वहीं पंजीयन के बाद 168 रजिस्ट्री भी किए गए। जिसकी शिकायत प्रतिष्ठित समाजसेवी केदारनाथ अग्रवाल ने मुख्यमंत्री से की थी। जिसके तहत कलेक्टर को जांच कर प्रतिवेदन भेजने के आदेश दिए गए थे। कलेक्टर ने जांच कर आवश्यक कार्यवाई की अनुशंसा सहित प्रतिवेदन राज्य शासन को भेज दी है। कलेक्टर ने एसीएस सीएम के साथ एसीएस गृह एवं जेल विभाग को पत्र लिखा है। प्रकरण में सरकार की तरफ से जल्द वैद्यानिक कार्यवाई किए जाने की भी चर्चा है।
इस तरह पहुंचाया नुकसान
जांच के दौरान लोक निर्माण विभाग द्वारा जिन खसरा नम्बरों पर प्रतिबंध लगाया गया , उन्हीं खसरों पर खरीदी बिक्री व नामांतरण किया गया । अन्य गांव के खसरों में नहीं। सरईसिंगार ,भर्राकुड़ा,अखरापाली में सर्वाधिक 112 बटांकन हुए हैं। इन गांवों में वर्गमीटर की दर अन्य गांवों से अधिक है। इस तरह भू -खंडों का बटांकन कर कॉलोनाइजर एक्ट का उल्लंघन किया गया । केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड रायपुर के मूल्यांकन के आधार पर उक्त भूखंडों के आधार पर उक्त भूखंडों के क्रय विक्रय और नामांतरण करने के मुआवजे की राशि 1.9 करोड़ और बाद में 35 .15 करोड़ आंका गया है। इससे सरकार को 18 गुना अर्थात 32 करोड़ का वित्तीय भार आएगा।
बताया जा रहा है इस हाई प्रोफाईल प्रकरण में सफेदपोश सख्सियतों सहित प्रशासन के तत्कालीन अधिकारियों की बड़ी भूमिका है। जिन्होंने अपने लोगों के जरिए भूखंडों की कौड़ी के दाम पर खरीद की है । जिसका उन्हें अर्जन उपरांत एक बड़ी राशि मुआवजा के तौर मिली है। सूत्रों की मानें तो प्रकरण में राजस्व विभाग के निचले कर्मचारियों से लेकर उच्च अधिकारी के हाथ भ्रष्टाचार के रंग से रंगे हुए हैं। जिसका शासन स्तर से पारदर्शितापूर्ण ढंग से जांच व कार्यवाई होने पर पूरे प्रदेश के राजनीतिक गलियारों से लेकर प्रशासनिक महकमों में मचेगा हड़कम्प ।