कविता @ देवारी तिहार आवत हे…

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हरियर हरियर लुगरा पहिरके
दाई बहिनी मन नाचत हे
आरा पारा खोर गली मोहल्ला
सुवा गीत ल गावत हे
सुग्हर संदेश के नेवता देवत
देवारी तिहार आवत हे
घर अंगना कोठा कुरिया
पेरौवसी माटी म छबावत हे
जाला जक्कड़ खोंदरा कुरिया
निसैईनी चड़के झटावत हे
लाली सफेद पिंवरी छुही
घर अंगना ल लिपावत हे
कोल्लर कोल्लर माटी लाके
गईरी माटी ल मतावत हे
ओदरे खोदरे भाड़ी ल
चिक्कन चिक्कन चिकनावत हे
घर मुहाटी के तुलसी चउंरा
मारबल पथरा म बनावत हे
खिड़की फुल्ली कपाट चौखट
रंग रंगके कलर म पोतावत हे
पिंवरी छुही महर महर
चारो खुंट म ममहावत हे
सुरहिन गईया के गोबर म
अंगना ल खुंटियावत हे
गउं माता बर राउत भैया
सुग्हर सोहई ल बनावत हे
रंग रंगके मंजुर पिक
कउंड़ी माला ल सजावत हे
करसा,कलौरी,ग्वालिन,दीया
गांव म बेचाय बर आवत हे
कुमड़ा कोचई सुपा डलिया
खिचरी खवाए बर बिसावत हे
जिंस टीशर्ट कपड़ा लत्ता
लईका मन लेवावत हे
सुरसुरी चकरी बम आनारदाना
फटाखा बाजार म बेचावत हे
लईका मनके नखरा अब्बड़
बड़े फटाखा म अंगरी ल देखावत हे
सुग्हर संदेश के नेवता देवत
देवारी तिहार आवत हे!!


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