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सूरजपुर@कुख्यात आरोपी कुलदीप का पैसा होता है खत्म,तो पुलिस करती है गिरफ्तार…क्या अशफाक,संजीत का पैसा नहीं है खत्म इसलिए नहीं हुई उनकी गिरफ्तारी?

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-समरोज खान-
सूरजपुर,26 अक्टूबर 2024 (घटती-घटना)। पुलिसिंग को लेकर सभी के मन में एक बात आ जाती है की पुलिस कहीं ना कहीं आरोपियों को संरक्षण देती है, क्योंकि आरोपी को पकड़ने में पुलिस की नाकामी ही इस बात की गवाह है, इस समय प्रदेश में जो पुलिसिंग की स्थिति है वह किसी से छुपी नहीं है प्रदेश में प्रदेश के पुलिस विभाग के मुखिया डीजीपी बिना जांच अभी तक हो रहे वारदातों पर चुप्पी साधे बैठे हैं, बाकी किया धराया गृहमंत्री के ऊपर भी ठीकरा फोड़ा जा रहा है, सरकार के फर्स्ट फ्हेज में स्वास्थ्य विभाग सुर्खियों में था और अब गृह विभाग सुर्खियों में है, अभी हाल ही में एक प्रधान आरक्षक की पत्नी व बेटी की हत्या करने वाला कुख्यात आरोपी कुलदीप साहू जो पुलिस के चंगुल से भाग गया था पर पैसा खत्म होने की वजह से पुलिस के हत्थे चढ़ गया, यह कहानी हमारी नहीं पुलिस की ही बनाई हुई कहानी है जिसे मानना या न मानना अपनी मर्जी है, पर यदि इस बात को मान भी लिया जाए तो एक बड़ा सवाल यह भी है कि यदि कुलदीप का पैसा खत्म हुआ तो वह गिरफ्तार हुआ, वहीं यदि ऐसा ही है तो क्या सूरजपुर के दो ठगी करने वाले व्यक्ति अशफाक व संजीत लोगों का करोड़ों रुपए लेकर गायब है क्या उनका पैसा खत्म नहीं हो रहा है? इसलिए पुलिस की पकड़ से वह दूर हैं? वैसे असफाक और संजीत के मामले में पहले तो शिकायत के लिए मोहताज थी पुलिस,अब जब शिकायत हो गई है तो उन्हें पकड़ने में नाकाम है पुलिस,पर वही कुख्यात आरोपी कुलदीप के पकड़े जाने के बाद लोगों को इस बात का एहसास हो गया है की ठगी करने वाले दोनों आरोपियों के पास लोगों से ठगा गया खूब पैसा है जो खत्म नहीं हुआ, जिस वजह से पुलिस उन्हें पकड़ नहीं पा रही है, आरोपियों का पैसा जिस दिन खत्म होगा उस दिन वह पुलिस के हत्थे चढ़ेंगे? अब ठगी के शिकार हुए लोगों को इस बात का इंतजार है की कब ठगी करने वालों का पैसा खत्म होगा और कब पुलिस के हत्थे चढ़ें?
पुलिस कि समय पर कार्यवाही न करने की वजह से ही हो रही है घटनाएं
अपराध मामलों में पुलिस की उदासीनता कार्यवाही को लेकर ही अपराधों के घटित होने की वजह बन रही है। पुलिस अपराध मामले में कार्यवाही में विलंब करती है और अपराधी को अपराध के बाद मौका मिलता है वह अन्य अपराध करता है और वह धीरे धीरे अपराध मामले में निडर होता जाता है क्योंकि उसे पुलिस की कार्यवाही की लेट लतीफी समझ में आ चुकी होती है। वैसे कई बड़ी घटनाएं इसी की वजह से हो रही हैं यह भी कहना गलत नहीं होगा। सुरजपुर की ताजा घटना जो दोहरे हत्याकांड की घटना है वह इसी की परिणीति है। वैसे पुलिस यदि अब भी सचेत हो जाए कार्यवाही त्वरित करने लगे तो अपराध में कमी आएगी यह तय है।
अशफाक के शान शौकत का गुब्बारा फूटा
असफाक उल्लाह जब तक चिटफंड व्यवसाय से पैसा पाता रहा वह शान शौकत से ही नजर आता रहा। वह महंगी विदेशी गाडि़यों, सहित ज़रूरत की सभी आवश्यक चीजों की के लिए भी विदेशी उत्पाद पर ही निर्भर रहा,देश में निर्मित गाडि़यों की भी सभी रेंज उसके शान शौकत के लिए हाजिर थीं वहीं वह विदेश यात्रा भी लगातार करता रहा और अपनी रहिशी जाहिर करता रहा। लेकिन अब वही असफाक शान शौकत की सभी चीजों से दूर हो चुका है। विदेशी गाडि़यों सहित देशी सभी महंगी गाडि़यां अब उसकी बड़े निवेशक उठा ले गए हैं वहीं अब वह घर आने में भी डरता है और उसे खुद के साथ अपने परिवार की भी सुरक्षा की चिंता होने लगी है। असफाक उल्लाह के अब विदेश यात्राएं बंद हो चुकी हैं,देश के ही किस कोने में उसे छिपना है यही उसकी चिंता है। कुल मिलाकर एक शान शौकत वाला असफाक आज खाक छान रहा है।
क्या ठगी करने वालों को पुलिस फरार रहने का मौका देकर कोई अप्रिय घटना होने देने का इंतजार कर रही है?
सुरजपुर पुलिस अभी हाल ही में बड़ी घटना और वारदात से दो चार हो चुकी हैं जहां पुलिस का संरक्षण एक युवक को इतना मनोबल प्रदान करता नजर आया कि उसने एक पुलिसकर्मी की ही पत्नी और पुत्री की निर्मम हत्या कर दी वहीं एक पुलिसकर्मी की उसने हत्या करने या उसे जान से मारने का भी प्रयास किया खौलता तेल उसके ऊपर डाल दिया साथ ही कई अन्य पुलिस कर्मियों पर उसने गाड़ी चढ़ाकर जान से उन्हें मारने का उसने प्रयास किया। एक युवक का इतना हिम्मत प्रदर्शन साथ ही एक बड़े अपराध को कारीत करने के पीछे की वजह यह थी कि वह पुलिस के साथ ऐसे संबध शायद बना चुका था कि वह उनसे निडर हो चुका था उनसे वह कितना दंडित होगा वह जान चुका था।असफाक और संजीत का मामला भी यदि देखें तो कहीं न कहीं पुलिस की भूमिका यहां भी सहयोगी ही नजर आ रही है और जब एक ठगी का व्यवसाय फल फूल रहा था और घटती-घटना लगातार इस मामले में ठगी का मामला उजागर कर रहा था तब जिले की पुलिस मौन थी और ठगों को संरक्षण देने का काम कर रही थी उनके कहने कर पत्रकार को ही सवाल जवाब के लिए बुलाकर परेशान कर रही थी । अब खबर दैनिक घटती घटना की सही साबित हुई और कई सौ करोड़ की ठगी जिले में दो लोगों ने की यह जाहिर हो चुका है साथ ही यह भी जाहिर हो चुका है कि पैसा अब दोनों के पास उतना नहीं जितने लेनदार हैं। अब मामले में शिकायत भी हुई है लेकिन पुलिस दोनों पर कार्यवाही से बच रही है और यदि यह सही है तो क्या वह किसी बड़ी घटना के लिए ठगों को मौका दे रही है या उनके ही विरुद्भ कोई बड़ी घटना हो जाए इसका इंतजार कर रही है। कुल मिलाकर इस मामले में पुलिस किसके निर्देश का या इंतजार कर रही है या पालन कर रही है यह भी एक बड़ा प्रश्न है।
अशफाक के विरुद्ध दो मामले दर्ज
असफाक उल्लाह ने वैसे तो कई सौ करोड़ की ठगी की है और एक दो नहीं सैकड़ों की संख्या में लोग उसके ठगी के शिकार हैं लेकिन अभी तक असफाक उल्लाह के विरुद्ध दो ही मामले शिकायत बतौर पुलिस को प्राप्त हुए हैं। शेष अन्य उसके निवेशकों को अभी भी उसके द्वारा पैसा लौटाए जाने का भरोसा है और और इसलिए अभी तक शिकायत और मामले में वृद्धि दर्ज नहीं हुई है। वैसे जिन्होंने मामले दर्ज कराए हैं वह भाग्यशाली साबित हो सकते हैं यदि पुलिस की जद में आया असफाक उल्लाह तो कुल दो ही देनदार होंगे असफाक के लिए और वह उनके पैसे लौटाकर बच निकलेगा और फिर और अन्य का पैसा रुक जाएगा और कभी नही मिल सकेगा।
संजीत के विरुद्ध एक मामला दर्ज
असफाक की तरह की सूरजपुर का एक और ठग है जो करोड़ों लेकर फरार है जो असफाक के बाद चिटफंड व्यवसाय में अपनी जड़ें जमाया और काफी कुछ इक्ट्ठा किया और उसका नाम संजीत है। संजीत भी बताया जाता है कि सैकड़ों लोगों का पैसा लेकर फरार है और वह भी अब तक केवल एक ही शिकायत में आरोपी है, अन्य मामले में वह इसलिए बरी क्योंकि उसके भी निवेशक अभी उससे आशा उम्मीद लगाए हुए हैं और वह इस उम्मीद में हैं कि वह कहीं न कहीं कभी न कभी उनका पैसा लौटाएगा और इसी कारण लोग उससे अभी उम्मीद लगाए बैठे हैं।
खराब पुलिसिंग को लेकर प्रदेश बदनाम,विपक्ष हावी
प्रदेश में पुलिसिंग को लेकर विपक्ष हावी है। विपक्ष खराब पुलिसिंग को लेकर सरकार को लगातार घेर रहा है और यह अब नजर भी आ रहा है कि पुलिस अपराधों पर पूरी तरह अंकुश नहीं लगा पा रही है। एकमात्र सूरजपुर की घटना दोहरे हत्याकांड वाली ऐसी घटना है जिसमे विपक्ष सरकार को नहीं घेर सका क्योंकि सभी आरोपी पार्टी के ही उनके सक्रिय पदाधिकारी थे सदस्य थे जिम्मेदार पदों पर वह आसीन थे। वर्तमान सरकार के कार्यकाल के 9 महीने में कानून व्यवस्था की स्थिति चिंतनीय है और यदि यही हाल रहा तो स्थिति और खराब होगी। अब देखना है कि क्या अब भी पुलिस सचेत होती है और कानून व्यवस्था को लेकर वह सुधार लाती है।
नगर सेठ बनने वाले अशफाक खाक सेठ हो गया
असफाक उल्लाह कभी का नगर सेठ था,आज वह खाक सेठ हो गया है। कभी शहर सहित जिला मुख्यालय साथ ही जिलेभर में बैनर पोस्टर लगते थे उसके अब उसे गुमनामी की जिंदगी जीनी पड़ रही है। असफाक उल्लाह दुकान को अपने इतना हाई फाई बनवा चुका था वह अब दुकान में बैठ नहीं पा रहा है वहीं यह कहना भी गलत नहीं होगा कि यदि वह पकड़ा गया और सभी लेनदार पहुंच गए उसे दी दुकान भी बेचना पड़ेगा।


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