कविता @ आओ इनसे सीखें…

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पहले शिक्षक हैं हमारे मात पिता
जिन्होंने अच्छे हमें संस्कार सिखाए।
दूसरी शिक्षक है यह दुनिया सारी
जो रोज़ हमें कुछ नया सिखाए।
क्या कहना है गुलाब के फूलों का
जो कांटों में रहकर भी सदा मुस्काए।
छोटी सी कीड़ी है हमारी बड़ी शिक्षक
जो रात दिन कुछ ना कुछ करती जाए।
क्या कहना है इस छोटी सी मधुमक्खी
का जो हमें मीठा मीठा शहद खिलाए।
कमाल है इस ऊंचे ऊंचे आसमान का
जो हमें तरक्की करने की राह दिखाए।
सबसे बड़ा शिक्षक है हमारा यह समुद्र
जो इंसान को बड़ा दिल रखना सिखाए।
शिक्षा देने में बांसुरी नहीं है किसी से पीछे
जो कई छेद के बावजूद
मधुर संगीत सुनाए।
कौन करेगा धरती माता का कभी मुकाबला
जो गर्मी सर्दी सहकर भी अनाज खिलाए।
सीखना है तो सीख लो
चलती हवा से यारों
जो हर वक्त चलकर हमको सांस दिलाए।
हम सब कृतज्ञ हैं इन दयालु शिक्षकों के
जिन्होंने हमारे जीवन को स्वर्ग बनाए।
प्रो. शामलाल कौशल
रोहतक (हरियाणा)


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