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बैकुण्ठपुर@आदिवासी विकास विभाग के दया बाबू पर आखिर किसकी बरस रही मया?

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-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,23 अक्टूबर 2024 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग में पदस्थ लिपिक विभागीय अधिकारियों के लिए वसूली का साधन बना हुआ है, कार्यालय के विभिन्न शाखाओं का काम उसे आबंटित किया गया है जिसके माध्यम से वह अधिकारियों का पूरी तरह से ख्याल रखता है, एक ही जगह पर लंबे समय से जमे होने के कारण उसका चाल चलन भी बदल गया है, खुद को विभाग का सर्वे सर्वा समझने वाले उक्त लिपिक के द्वारा बिना विभागीय अनुमति के लाखों की संपत्ती खुद और परिजन के नाम पर क्रय की जा रही है,जो कि जांच का विषय है। मंहगी चार पहिया वाहन में चलने वाला यह लिपिक विभागीय कर्मचारियों से लेकर छात्रावास अधीक्षकों के लिए भी परेशानी का सबब बना हुआ है, अधिकारी को अपनी गिरफ्त में लेकर उक्त कर्मचारी मनमानी भी करता है लेकिन अधिकारी उसकी बोझ तले दबे होने के कारण कुछ भी कहने से बचते हैं। लिपिक का मासिक वेतन 50 हजार भी नही है जबकि उसके द्वारा लाखों रूपये की संपçा क्रय की गई है। चर्चा है कि अवैध कमाई के जरिए उक्त लिपिक आय अर्जित कर रहा है। उक्त लिपिक ने विदेश की यात्रा भी की है उसने इसके लिए राज्य सरकार से अनुमति ली थी या नही यह भी मामला संदेहास्पद है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में मनेंद्रगढ जनपद पंचायत में पदस्थ लिपिक को एसीबी ने पैसे का लेनदेन करते हुए रंगे हाथ पकड़ा था जिसके बाद उसके घर से लाखों रूपये की बरामदगी हुई यही नही लगभग 10 करोड़ रूपये की संपत्तीयों का भी पता चला है। जिसके बाद से यह चर्चा है कि अविभाजित कोरिया के कई ऐसे अधिकारी और कर्मचारी हैं जो कि बेलगाम होकर इसी प्रकार की अवैघ कमाई से फल फूल रहे हैं ईडी और आईटी को ऐसे कर्मचारियों पर अब बारीकी से नजर रखने की आवष्यकता यहां भी महसूस होने लगी है।
एक ही जगह पर लंबे समय से पदस्थ है दया बाबू
कोरिया जिले में सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग का कार्यालय कलेक्टोरेट परिसर में ही स्थित है, इस विभाग में पदस्थ सहायक ग्रेड 2 दया बाबू विगत कई वर्षो से एक ही जगह पर अंगद के पैर की तरह जमा हुआ है। लंबे समय से एक ही कार्यालय में पदस्थापना के कारण उसके हाव भाव बढे हुए हैं, सूत्रों का कहना है कि जिन शाखाओ का प्रभार उसे दिया गया है उसमें तो उसकी मनमानी चलती है लेकिन जिनका प्रभार नही है ऐसे शाखा के प्रभारियों को भी वह परेशान करता रहता है और उन पर पूरा नियंत्रण रखता है। विभागीय बजट से लेकर स्थापना जैसा महत्वपूर्ण कार्य उसी को सौंपा गया है जिसकी बदौलत वह खुद को विभाग का सर्वे सर्वा समझता है। छोटे कर्मचारियों से ठीक से बात ना कर उन्हे अपमानित करना उसकी आदत में शुमार है।
लाखों की संपत्ति क्रय करने का दावा
लिपिक दया ने अपने नौकरी कार्यकाल में आय से अधिक संपत्ती भी क्रय कर ली है ऐसा सूत्रों का दावा है। विभागीय सूत्रों का दावा है कि दया बाबू खुद मंहगी कार मे चलता है, इसके साथ ही उसके द्वारा खुद एवं परिजन के नाम पर कई जगह पैसा लगाया गया है, अभी हाल ही मे छिंदडांड़ में लगभग 40 लाख की लागत से मकान क्रय किया गया है, इसके पूर्व गत वर्ष हाईवा वाहन में भी पैसा लगाया गया है। खरवत बाईपास में भी लाखों का जमीन क्रय किया गया है। अपने निवास स्थल सोनहत विकासखंड के ग्राम कुशमाहा में भी दया बाबू के द्वारा आलिशान मकान बनवाया गया है। मजेदार बात यह है कि उसके द्वारा इसके लिए नियमानुसार विभागीय अनुमति नही ली गई है। पिता एक सामान्य दूध व्यवसायी हैं लेकिन दया बाबू द्वारा आय की तुलना में काफी संपत्ती इकट्ठा करना जांच का विषय है।
छात्रावास अधीक्षकों को करता है प्रताडि़त
सूत्रों का दावा है कि जिले में जितने भी छात्रावास,आश्रम हैं उनका प्रभार किसी अन्य के पास है लेकिन अधिकारी के निर्देष पर सारा काम दया बाबू ही देखता है। एक छात्रावास अधीक्षक ने नाम ना छापने की शर्त पर बतलाया कि दया बाबू अधिकारी के नाम पर हर माह अधिकारी के नाम पर पैसे की मांग करता है ना देने पर विभिन्न तरह से प्रताडि़त किया जाता है, कार्यवाही करने की बात कही जाती है। अधीक्षक ने कहा कि छात्रावास में गरीबी आदिवासी बच्चो के भोजन एवं अन्य सुविधा के लिए शासन द्वारा राशि जारी की जाती है लेकिन उस पर भी उसकी नजर रहती है। बच्चों का हक मार कर उसे राषि देना मजबूरी है।
विभागीय कर्मचारी भी हैं परेशान
लिपिक दया बाबू कोरिया जिले की संयुक्त भर्ती अभियान में सहायक ग्रेड 3 के पद पर पदस्थ हुआ था और अब सहायक गे्रेड 2 बन चुका है। शूरू से एक ही स्थान पर पदस्थ है जिससे वह अन्य कर्मचारियों को भी परेशान करने में कोई कमी नही छोड़ता है। वेतन, भो समेत अन्य कार्य भी उसके द्वारा किया जाता है और उसमें मनमर्जी की जाती है।
अधिकारियों के लिए उगाही करता है दया बाबू
जैसा की सूत्रों का दावा है लिपिक दया अधिकारियों के लिए पूरी ईमानदारी से वसूली का काम करता है जिसकी वजह से अधिकारी द्वारा उसे भरपूर संरक्षण दिया जा रहा है। कभी शिकायत आने पर भी उसे या तो नजर अंदाज किया जाता है या फिर मैनेज करा दिया जाता है। दया की शिकायत कलेक्टर या कि अन्य उच्च अधिकारी तक ना पहुंच सके इसका पूरा ध्यान अधिकारी द्वारा रखा जाता है।
बना हुआ है विभाग का सर्वेसर्वा
विभागीय सूत्रों का कहना है कि कई वरिष्ठ लिपिक सेवानिवृत हो गए एवं कुछ अनुभवी लिपिकों का स्थानांतरण हो गया जिसके बाद से दया साहू खुद को सर्वे सर्वा समझने लगा है।
विदेश की यात्रा,क्या ली थी अनुमति
लिपिक दया साहू के सोषल मीडिया एकाउंट पर नजर डालने पर देखा गया कि उसने शासकीय सेवा में आने के बाद वर्ष 2017 में पटाया देष की यात्रा की थी। सूत्रों का कहना है कि विदेष यात्रा के लिए दया साहू ने नियमानुसार राज्य शासन से अनुमति नही ली थी,जो कि सिविल सेवा आचरण संहिता का खुला उल्ल्ंघन है। इस मामले की भी जांच किये जाने की आवष्यकता है।
पार्टनर की एजेंसी से छात्रावासों को गैस सिलेंडर की सप्लाई
सूत्रों ने बतलाया कि लिपिक दया का पार्टनर सोनहत ब्लॉक के कटगोड़ी में गैस एजेंसी का संचालक है। पूर्व में दया साहू ने अपने पार्टनर को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से बगैर निविदा के उसी के यहां से जिले के सभी छात्रावासों और आश्रम में गैस सिलेंडर की सप्लाई करा चुका है, इसमें भी निर्धारित दर से काफी अधिक पर खरीदी किए जाने की शिकायत है।
परिजन के नाम पर बीमा का काम
दावा किया जा रहा है कि दया साहू के द्वारा परिजन के नाम पर बीमा का व्यवसाय भी किया जा रहा है। विभागीय सूत्रों ने बतलाया कि विभाग में कार्यरत कर्मचारियों पर ही दबाव डालकर दया साहू द्वारा जबरन बीमा किया जाता है। यह भी जांच का विषय है।
करोड़पति निकला एमसीबी का लिपिक, क्या कोरिया में भी होगी जांच?
अभी हाल ही में एसीबी ने जनपद पंचायत मनेंद्रगढ में लिपिक सतेन्द्र सिन्हा को लेनदेन करते रंगे हाथ पकड़ा था जिसके बाद उसके संपत्तीयों की जांच की गई है जिसमें 10 करोड़ से अधिक की अवैध संपत्ती का पता लगा है जांच अभी जारी है। एक लिपिक के पास इतनी अधिक संपत्ती मिलने के बाद एसीबी समेत अन्य जांच एजेंसी भी हतप्रभ है। सवाल उठता है कि एमसीबी में करोड़पति लिपिक मिलने के बाद क्या कोरिया में भी ऐसे लिपिको की खोज खबर ली जाएगी?


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