- मृतक के परिजनों को मिलेगा न्याय या लापरवाह अधिकारियों को अभयदान.!
- राजनगर में ठेका मजदूर की मौत के बाद चुप एसईसीएल के अधिकारी
-बागी कलम-
अनूपपुर,19 अक्टूबर 2024 (घटती-घटना)। जिला ही नहीं पूरे संभाग में एसईसीएल के अंतर्गत संचालित कोयला खदानों में जिम्मेदार अधिकारियों की मनमानी और नियम कानून का पालन करने की जगह भ्रष्टाचार करके कोयला के काले गोरख धंधे में जुटे स्थानीय माफियाओं को संरक्षण देने के काम कर रही है। एसईसीएल प्रबंधन जहां एक तरफ कोयले के अवैध चोरी और परिवहन को रोकने में अब तक नाकाम रहा है वही कोयला खनन के समय कोल इंडिया के द्वारा निर्धारित तय किए गए मानकों को लागू करने में भी फेल हो चुका है। यही कारण है कि एसईसीएल प्रशासन की नाकामी के कारण यहां पर काम करने वाली कंपनियों द्वारा मनमानी तरीके से ठेका मजदूरों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करते हुए कार्य लिया जा रहा है जिसकी पोल शनिवार की सुबह उस समय खुल गई जब राज नगर खुली कोयला खदान में लास्टिंग के दौरान एक मजदूर की घटना स्थल पर तत्काल मौत हो गई और दो मजदूरों के गंभीर रूप से घायल होने की सनसनी से घटना प्रकाश में आई। इसके बाद एसईसीएल के अधिकारी घटना के मूल तत्व लापरवाही को छुपाने की कोशिश करते दिखे और ठेका लेकर काम करने वाली कंपनियों की लापरवाही और मनमानी पर एसईसीएल के अधिकारियों द्वारा पर्दा डालने की विधिवत व्यवस्था की जा रही है।
अधिकारियों की निगरानी में होती है ब्लास्टिंग
नियमों की माने तो लास्टिंग के समय कैरियर और सरदार के साथ लास्टिक के दौरान सुरक्षा व्यवस्था और लास्टिंग की तकनीकी कंट्रोल देखने वाले उसे समय कहां थे यह जांच का विषय है। वैसे तो सूत्रों से मिल रही जानकारी यह कह रही है कि कोल इंडिया के नियमों के तहत लास्टिंग करने की जिम्मेदारी किसी प्राइवेट कंपनी को नहीं दी जा सकती। लास्टिंग के समय एसईसीएल के जिम्मेदार अधिकारियों की निगरानी और सतर्कता की विशेष जिम्मेदारी भी बनती है। लेकिन यहां पर सब कुछ एसईसीएल के अधिकारियों के मनमानी और तानाशाही के कारण हुआ है और अब तो जिस तरह से मजदूरों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है यह अपने आप मे चिंता का विषय है।
विस्फोटक स्थल को पाटना बना चर्चा का विषय
प्राप्त जानकारी के अनुसार राजनगर खुली कोयले की खदान में शनिवार को जिस जगह पर बारूदी विस्फोट के कारण एक मजदूर की मौत और दो अन्य मजदूरों के गंभीर रूप से घायल होने की घटना के बाद विस्फोट से बने गड्ढे को घटना के तत्काल बाद पाट देना अपने आप में चर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्रों का दावा है कि कंपनी के द्वारा जल्दबाजी में बारूदी विस्फोट से बने गड्ढे को पाटने के दौरान और मजदूर भी दबे हो सकते हैं। फिलहाल इस गड्ढे में मजदूरों के दबे रहने की चर्चा आम लोगों के दबी जुबान से सुनने को मिल रही है। मौके पर मौजूद कई मजदूर का तो आरोप है कि बारूदी विस्फोट में तय मानक से कई गुना ज्यादा बारूद का इस्तेमाल किया गया जिसके कारण विस्फोट की तीव्रता और कंपन अधिक होने से उक्त घटना हुई और अपनी इस लापरवाही को छिपाने के लिए बारूदी विस्फोट के गड्ढे को पाट दिया गया। लेकिन दुर्भाग्य है कि एसईसीएल के अधिकारियों का ध्यान इस तरफ नहीं जा रहा है जबकि मजदूरों के नीचे दफन होने की भी संभावना व्यक्त की जा रही है।
सुरक्षा के साथ खिलवाड़, मौत पर चुप जिम्मेदार
एसईसीएल के राजनगर खुली खदान मैं खनन संबंधित कार्य करने वाली कंपनी माँ कुदरगढ़ी के प्रबंधकों द्वारा यहां पर कार्य कर रहे पुराने मजदूरों की छटनी का विवाद चल ही रहा था कि शनिवार की सुबह लास्टिंग से ठेका मजदूर अजय कोल की मौत और ड्राइवर अमर सिंह व एक अन्य के गंभीर रूप से घायल होने की घटना के बाद तो यही कहा जा सकता है कि ठेका कंपनी के द्वारा कुशल मजदूरों की जगह अकुशल मजदूरों से बिना सुरक्षा मानकों को पूरा किये कार्य लिया जा रहा था। जिसके कारण लास्टिंग के दौरान एक मजदूर की जहां मौत हो गई वही दो की हालत अति गंभीर बताई जा रही है। इस संबंध में यह बात भी स्पष्ट है कि लास्टिक के दौरान उक्त मजदूर और वह चालक वहां पर कैसे मौजूद थे।