अनूपपुर@ट्रैक्टर व ट्रॉली का रजिस्ट्रेशन कृषि कार्य का, लेकिन काम खनिज परिवहन का प्रशासनिक नियंत्रण नहीं रहने का परिणाम, सड़को पर बेखौफ दौड़ा रहे नाबालिग

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-बागी कलम-
अनूपपुर,18 अक्टूबर 2024 (घटती-घटना)। कृषि कार्य के नाम पर पंजीकृत ट्रैक्टर-ट्रॉलियों का सम्पूर्ण जिले में व्यावसायिक उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। जिससे शासन को लाखों रुपए के टैक्स की हानि तो हो ही रही है वहीं दुर्घटना होने पर लोगों को क्लेम लेने में भी परेशानी आती है। परिवहन विभाग में ट्रैक्टर-ट्रॉली का पंजीयन कृषि उपयोगी कार्यों के लिए होता है, लेकिन लंबे समय से सड़कों एवं हाइवे पर नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। जबकि ना तो परिवहन विभाग और ना पुलिस विभाग द्वारा इस दिशा मे कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की जाती। ट्रैक्टर ट्रॉली पूरे क्षेत्र मे कृषि कार्य के नाम से पंजीकृत वाहन सड़कों पर रेत, मुरूम, गिट्टी, मिट्टी ढोने में उपयोग होता है।
क्या है नियम
जानकारी के अनुसार खेती-किसानी का काम करने वाले किसानों द्वारा ट्रैक्टर-ट्रॉली खरीदने पर शासन ने उन्हें कर मुक्त रखा है। अगर कोई व्यक्ति ट्रैक्टर-ट्रॉली खरीद कर उसका व्यावसायिक उपयोग कर रहा है तो उसे ट्रैक्टर-ट्रॉली का अलग-अलग पंजीयन कराना होता है, इसके लिए परिवहन विभाग में बतौर पंजीयन राशि जमा करवाना होती है। संबंधित व्यक्ति को प्रत्येक दो साल बाद पंजीयन का रिन्युअल कराना भी आवश्यक है लेकिन इन सभी नियमों को दरकिनार कर कोतमा सहित पूरे क्षेत्र में ट्रेक्टर-ट्रॉलियों का कृषि कार्य में कम व्यावसायिक उपयोग ज्यादा हो रहा है। व्यावसायिक कार्यों से आरटीओ को भी हर माह लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान होता है, फिर भी विभाग के अधिकारी इन पर कार्यवाही नहीं करते हैं। एक ओर सरकार किसानों को कृषि कार्य के संसाधनों व यंत्रों पर लाखों रुपए का अनुदान देती है दूसरी तरफ व्यवसायी किसानों की आड़ में शासन से अनुदान प्राप्त कर ट्रैक्टर-ट्रॉली खरीदकर खनिज परिवहन में उपयोग करते हैं। आरटीओ कार्यालय के अनुसार ट्रैक्टर-ट्रॉली का कमर्शियल उपयोग के लिए पंजीयन शुल्क पांच हजार रुपए से अधिक होता है। आरटीओ रिकॉर्ड के अनुसार जिले में ट्रैक्टर-ट्रॉली का पंजीयन कमर्शियल उपयोग के लिए नहीं करवाया गया है। इससे यातायात नियमों का उल्लंघन हो रहा है साथ ही सड़कों पर तेज गति से दौड़ते ट्रैक्टर से हादसों को निमंत्रण दे रहे हैं।
नाम कृषि का,काम खनिज परिवहन का
जिले एवं आसपास के क्षेत्रो मे सैकड़ों की संख्या मे ट्रैक्टर धड़ल्ले से सड़कों पर दौड़ रहे हैं जो कृषि कार्य के नाम से लिए जाते हैं। जिसमे कृषको के नाम से उन्हें अनुदान भी प्राप्त होता है और ऐसे वाहनो से खनन से जुड़े माफियाओं द्वारा रेत, बोल्डर, गिट्टी एवं मुरुम सहित मालवाहक के रुप मे उनका अवैध रुप से उपयोग किया जाता है। जिले भर में आए दिन पकड़े जा रहे ट्रैक्टर और उन पर खनिज धाराओं के तहत हो रही कार्यवाही इस बात की गवाही दे रही हैं। जबकि सारी हकीकत जानते हुए भी इस दिशा मे परिवहन विभाग एवं पुलिस अधिकारी चुप्पी साधे हुए है।
आए दिन घटित होती है दुर्घटना
ट्रैक्टर ट्रॉलियों में सिग्नल नहीं होने एवं इंजन की एक हेड लाइट जलाकर तेज एवं लापरवाह पूर्वक चलाने के कारण आए दिन क्षेत्र में सड़क दुर्घटना घटित हो रही है। बेलगाम होकर दौड रहे ट्रैक्टरों से क्षेत्र के कई राहगीरों को मौत की नींद सुलाकर फरार हो जाते हैं। इस प्रकार हादसों मे हर वर्ष दर्जन भर लोगो की जान जा रही है। मगर लगातार हो रहे हादसों के बाद भी विभाग के घ्यान नही देने के कारण हादसो मे इजाफा हो रहा है।
नाबालिग व नौसिखिया दौड़ाते हैं ट्रैक्टर
जिले में नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रैक्टर मालिक ट्रैक्टर नाबालिग, नौसिखिया को भी चलाने के लिए दे देते हैं जिनके पास इनका लाइसेंस तक नहीं होता। शहर में ट्रैक्टर सड़कों को खेत की तरह जोत रहे हैं, लाइसेंस जांच से लापरवाह ट्रैक्टर ड्राइवरों को एक हाथ में मोबाइल और दूसरे में स्टीयरिंग लिए देखा जा सकता है लेकिन पुलिस उन्हें देखकर भी आंख मूंदे रहती है। घनी आबादी के बीच तेज आवाज में गाना बजाते सुबह, दोपहर, शाम बेलगाम रफ्तार से चलने वाले ट्रैक्टरों को रोकने वाला कोई नहीं दिखता।
सुरक्षा संबंधित मानक की नहीं होती जांच
प्रशासिनक जांच और कार्यवाही में शिथिलता बरती जा रही है। प्रशासनिक नियंत्रण नहीं रहने का परिणाम है कि नगर के गलियों में भी काफी स्पीड से ट्रैक्टर का परिचालन जारी है व सड़क पर तेज गति से ट्रैक्टर गुजरने से लोग काफी भयभीत रहते हैं। शहर में बाइक परिचालन के लिए हेलमेट दस्तावेज की जांच हो रही है लेकिन ट्रैक्टर परिचालन से संबंधित सुरक्षा मानक की जांच नहीं हो रही है। वहीं जब कभी जांच में बिना लाइसेंस ट्रैक्टर चलाते पकड़े जाने पर संबंधित विभाग द्वारा केवल जुर्माना वसूली कर अपना कोरम पूरा कर लेते हैं।


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