-संवाददाता-
सूरजपुर, 16 अक्टूबर 2024 (घटती-घटना)। पुलिस हमेशा ही न्याय की दृष्टिकोण से देखी जाती है पर यदि पुलिस की न्याय की दृष्टिकोण को बदल ले तो फिर न्याय कैसे मिलेगा? यह सवाल हमेशा ही उठता है पर पुलिस तब तक नहीं समझती जब तक खुद उसके ऊपर नहीं बिकता है, इस बार पुलिस के ऊपर बीती है और बीतने की वजह भी पुलिस स्वयं है क्योंकि पुलिस पैसे कमाने के चक्कर में अवैध कारोबारी को संरक्षण देती थी और वही संरक्षण पुलिस पर भारी पड़ जाए, तो फिर आप क्या करेंगे? पूरे प्रदेश में पुलिसिंग का यही हाल है कोई एक जगह की बात नहीं है हर जगह पर अपनी तनख्वाह से ज्यादा कमाने की इच्छा रखने वाले अधिकारी कर्मचारी अवैध कारोबारी को संरक्षण देते हैं, अपराधियों को संरक्षण देते हैं जिसका नतीजा कभी न कभी उल्टा हो जाता है, कुछ सूरजपुर की घटना ऐसी ही हकीकत बयां कर रही है, बस परेशानी इतनी है की जान तो निर्दोषों की चली गई वह भी अपराधियों की वजह से? जहां इस घटना की पूरी तरह से निंदा हो रही है तो वही इस घटना के पीछे की स्टोरी भी कुछ अलग ही हकीकत बयां कर रही है, हर तरफ से यही जानकारी आ रही है कि अपराधियों को पुलिस का संरक्षण था आज वही संरक्षण कहीं ना कहीं इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने की हिम्मत जुटा पाया।
सूरजपुर जिले में हुए दोहरे हत्याकांड के साथ गर्म तेल एक आरक्षक पर उड़ेला गया यह सभी पुलिस पर ही निशाना क्यों? कुलदीप साहू जो इस पूरे मामले में दोषी है गर्म तेल डाला गया इसकी पुष्टि हुई है, साथी पुलिसकर्मी के पत्नी व बच्चों की बेरहमी से हत्या कर दी यह भी अब साफ हो गया, साथ ही यह भी बात सामने आई कि उसने यानि कुलदीप कोतवाली के सामने पुलिस को भद्दी गालियां भी बकी साथ ही किसी पुलिस वाले पर अपने कार से रौंदने की कोशिश भी हुई। फिलहाल वह कामयाब नहीं हुआ ठीक उसी रात शेख तालिब जो कोतवाली में पदस्थ है उनके घर जाकर उनके अनुपस्थी में मासूम बच्ची और उनकी पत्नी को दर्दनाक तरीके से मौत के घाट उतार दिया आखिर यह सब पुलिस से संबंधित ही क्यों था? शेख तालिब जो जिले के कई थानों में पदस्थ रहे मिलनसार के साथ पुलिस महकमे में एक प्रभावी के रूप में पहचान है। इनके साथ इनके पूरे महकमा को क्या यह पता नहीं था कि कुलदीप कौन है? आखिर वह या उसका परिवार चोरी के कबाड़ से करोड़ों का आसामी कैसे बन बैठा? आज जो भीड़ उसके घर को आग के सुपुर्द किया गए यही समाज की कोई जिम्मेदारी नहीं की वह यदि गलत तरीके से धनोपार्जन कर रहा तो आवाज बुलंद करे पर नहीं इस भीड़ को कांड देखने का शौक है, गुनाह तो गुनाह ही है यह न तो मजहब देखता और न ही जात पात, आज इनकी बारी तो कल किसी और की…।
सवाल यह है कि कुलदीप इतने निर्भीकता और हक से क्यों पुलिस को कंट्रोल करना चाहता था? यह कहना गलत नहीं कि उसके गुनाहों में पुलिस का होना नकारा नहीं जा सकता, कही ऐसा भी हो सकता है कि कुलदीप को इस बात का गुमान हो कि मेरे टुकड़ों में पालने वाले मेरे खिलाफ कार्यवाही क्यों कर रहे? फिर वही सवाल वारदात पुलिस पर ही क्यों? इस बात से नकारा नहीं जा सकता पुलिस के बिना सेटिंग से कबाड़ जैसा धंधा फलफूल नहीं सकता और पूरे वारदात में जिस बेटी और पत्नी लपटे में आए सरासर गलत था…दरअसल अपराधी की मनसा कुछ और रही होगी उसका टारगेट तो पुलिस था और वह पुलिस जो शायद उससे हफ्ता वसूली करता था? इसकी पुष्टि तो नहीं है पर बात सोचानिए है। पुलिस के परिवार पर जब आज आंच आई तो अपराध करने वाला निहायत क्रूर है पर प्रश्न है कि यह पूरी घटना एक आम परिवार पर होती तो शायद ही नेशनल स्टोरी बनती और पुलिस की कार्यप्रणाली हमको तो पता हैं? एक बात तो है कि अपराध हुआ पर जिनके साथ हुआ उनका कोई अपराध नहीं था। यदि ऐसा माना जाए कि पुत्री और पत्नी के जगह शेख तालिब होते तो शायद लोगों में इतनी सिंपैथी नहीं होती। इस घटना के बाद पूरे प्रदेश के पुलिस को एक सिख भी लेनी चाहिए, कि अपराधी व अवैध कारोबारी को संरक्षण नहीं देना है, सत्य के साथ न्याय दिलाने का प्रयास करना है और गुनहगारों को नहीं छोड़ता है, गुनहगार से पैसा नहीं कमाना है गुनहगार को सजा तक पहुंचना है, पर यह घटना से सीख प्रदेश की पुलिस ले पाती है या फिर कुछ दिन बाद मामला शांत होने के बाद फिर से पुराने ढरे पर चलने लगती है, यह तो समय की बात है पर आपदा में अवसर खोजने वाले पुलिसकर्मियों को अब इसके लिए सचेत हो जाना चाहिए कि यह घटना किसी के साथ भी हो सकती है और हम जब सही नहीं होंगे तो दूसरे को न्याय कैसे दिलाएंगे, इसीलिए अपना सही होना जरूरी है तब आप दूसरे के लिए न्याय का रास्ता तय करेंगे। सरकार में बैठे मंत्री विधायक से लेकर तमाम लोगों को यह घटना को सोचकर अपने अंदर विचार करना होगा। सूत्रों का यह भी कहना है की पुलिस वाले के परिवार के नुकसान में ऊपर के व्यक्तियों ने आपदा में अवसर खोजा है जिसके लिए अच्छी खासी मोटी रकम ली है शायद इस रकम की वजह से इतने बड़े मामले में फिर से न्याय प्रभावित होने का संदेह उत्पन्न हो गया। इस पूरे मामले में सोशल मीडिया पर भी जंग छिड़ रही सोशल मीडिया पर भी तरह-तरह की बातें लोग लिखते रहे और मुद्दे पर संज्ञान लेते रहे।
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