कोरिया/एमसीबी@कोरिया एमसीबी जिले में नियम विरुद्ध संलग्नीकरण से चरमरा जाएगी शिक्षा व्यवस्था

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क्या शिक्षकों को संलग्न करने के एवज में ली गई मोटी रकम या फिर नेताओ की अनुकम्पा पर हुआ संलग्नीकरण?

-रवि सिंह-
कोरिया/एमसीबी,06 अक्टूबर 2024 (घटती-घटना)।
नवीन शिक्षा सत्र का आगाज हो चुका है पर नवीन शिक्षा सत्र में विभाग कितनी बेहतर शिक्षा व्यवस्था दे पाएगा ये शिक्षकों के संलग्नीकरण को देख कर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है, कोरिया एमसीबी जिले में खुले आम शिक्षा के अधिकार अधिनियम का खुला उल्लधन किया जा रहा है। आलम यह है कि दुरस्त क्षेत्र के कई शिक्षक जुगाड़ से अन्यत्र स्थानों पर अपना संलग्नीकरण कराए हुए है, उनको अन्यत्र स्कूलों में जाने से मूल पदस्थापना वाले स्कूलों में व्यवस्था पूरी तरह ठप्प है।
उल्लेखनीय है कि पहले से ही शिक्षा विभाग स्टॉफ का रोना हो रहा है इसके बाद भी जान बुझ कर शिक्षको को अन्यत्र जगह संलग्न करना एवं उनसे गैर शिक्षकीय कार्य कराना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा प्रतीत हो रहा है। कोरिया एमसीबी जिले में कई शिक्षक लंबे समय से तहसील कार्यालय में संलग्न है और कोरिया रामगढ़ क्षेत्र जैसे वनांचलों से शिक्षकों को सोनहत की ओर संलग्न कर दिया गया है, ग्रामीणों ने इस बाबत कलेक्टर कोरिया को आवेदन भी दिया हुआ है अब यह तथ्य समझ से परे है कि शिक्षकों को सालों से तहसील व अन्य कार्यालयों में संलग्न करके उनके स्थानों पर क्या खुद एसडीएम व तहसीलदार दूसरी व्यवस्था दे पाएंगे यह बड़ा सवाल है इसके साथ यह भी बड़ा सवाल है कि जब जिम्मेदार अधिकारी ही नियमो की धज्जियां उड़ाएंगे तो शासन के निर्देशों का पालन कौन करवाएगा?
संलग्नीकरण खत्म करने की मांग
विकासया शिक्षा कार्यालय में कई शिक्षकों को मनमाने तरीके से लाभ के पद पर अटैच किया जाना सवालिया होता जा रहा है। कई शिक्षक विगत कई वर्षों अन्यत्र गैर शिक्षकीय कार्य कर रहे हैं। परन्तु अभी तक उन्हें मूल स्थान पर वापस नहीं भेजा जाना जांच का विषय होता जा रहा है। गौरतलब है कि खण्डस्तर पर अधिकांश शिक्षक उच्च स्तर पर पहुंच रखते हैं। जिससे वे स्कूल कार्य को छोड़ कर अन्य विभागीय कार्य करने में अधिकारियों का आदेश को बता कर व्यस्त है। देश प्रदेश में शिक्षा अधिकार कानून लागू हो चुका है और शिक्षकों को शिक्षण कार्य करना आवश्यक हो गया ऐसे में गैर शिक्षकीय कार्य मे संलग्न संबंधित शिक्षक कितने घन्टे शिक्षण कार्य करेगे यह अनसुलझा रहस्य है। प्रशासनिक स्तर पर शिक्षकों को कार्य के प्रति सजग रह सेवा देने बैठकों में कहा जा रहा है। परन्तु यहां स्थिति बिल्कुल विपरीत है शिक्षक मात्र।
पूर्व सरकार के बाद नई सरकार में भी जारी हुआ है आदेश
विधानसभा में शिक्षामंत्री की घोषणा के बाद प्रदेश भर में गैर शिक्षकीय कार्य में संलग्न शिक्षकों को वापस भेजे जाने संबंधी आदेश आज जारी कर दिया गया है। इस सन्दर्भ में आदेश दिया गया है कि गैर शैक्षणिक कार्यों में संलग्न सभी शिक्षक संवर्ग के कर्मचारियों का संलग्नीकरण तत्काल समाप्त किया जाकर, उन्हें उनके मूल पदस्थापना शाला में अध्यापन कार्य हेतु कार्यमुक्त किया जाये। संलग्नीकरण समाप्त किये जाने संबंधी प्रमाण पत्र 07 दिवस के भीतर संचालक, लोक शिक्षण को अनिवार्यतः प्रेषित करें। साथ ही यह भी उल्लेख किया गया है कि यह निर्देश तत्काल प्रभावशील होगा और इसका कड़ाई से पालन किया जाना सुनिश्चित करें। गौरतलब प्रदेश भर में हर वर्ष संलग्नीकरण का मुद्दा जोर-शोर से उठता है और इसे समाप्त करने के लिए शासन द्वारा कड़ा पत्र विभागों को लिखा जाता है, मगर बहुत ही कम शिक्षकों और कर्मचारियों का संलग्नीकरण ख़त्म करके उन्हें मूल कार्य में वापस भेजा जाता है। बड़ी संख्या में शिक्षक तो बीएओ, डीईओ सहित शिक्षा विभाग के अन्यार्यलयों में गैर शिक्षकीय कार्यों में संलग्न हैं। आलम ये है कि अनेक विधायकों और मंत्रियों के कार्यालयों में भी शिक्षक संलग्न कर दिए जाते हैं। इन्हें आखिर कैसे हटाया जायेगा, यह सवाल उठना लाजिमी है।
वनांचलों में ज्यादा दिक्कत
सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार जिला मुख्यालय के अलावा दूसरे लॉक सोनहत के वनांचल क्षेत्र के अधिकांश शिक्षक गैर शिक्षकीय कार्य और कुछ अन्य पास के शालाओं में संलग्न है जिससे वनाचलो कि व्यस्था शुरुवात में ही खराब है।
कैसे सफल होगी नई शिक्षा नीति
छाीसगढ़ शासन ने भी शिक्षा सत्र 2024-25 से नई शिक्षा नीति 2020 को लागू कर दिया है। नवीन सत्र में बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण भी आयोजित कराये गए हैं। परन्तु संलग्नीकरण के कारण कुछ शिक्षक कई वर्षों से मूल पदस्थापना से अन्यत्र संलग्न हैं। ऐसे में शिक्षा विभाग कैसे नई शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों को प्राप्त कर पायेगा विचारणीय प्रश्न है।
क्या जिला शिक्षा अधिकारी कर पाएंगे कार्यवाही?
सवाल यह है कि क्या नव पदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी संलग्नीकरण खत्म कर पाएंगे या अन्य पुर्व जिला शिक्षा अधिकारियों की तरह सरकारी आदेशो को डस्ट विन में डालने का कार्य करेंगे ये देखने वाली बात होगी।


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