रायपुर,@पत्रकार सुरक्षा कानून लागु कराने ३५ से अधिक पत्रकार संगठनों ने मंच पर दिखाई एकजुटता… सरकार को चेतावनी

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02 अक्टूबर 2024 गाँधी जयंती के दिन राजधानी के गॉस मेमोरियल ग्राउंड में आयोजित पत्रकार संकल्प महासभा का कार्यक्रम सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। पत्रकारों के इस महाकुम्भ में प्रदेश के 35 से भी ज्यादा पत्रकार संगठनों ने हिस्सा लिया और पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने सहित पत्रकारों के हितों से सम्बंधित अन्य मांगों को लेकर राजभवन पहुँचे और पहले राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा, फिर रैली की शक्ल में जनसंपर्क मंत्री/मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपने पहुंचे पत्रकार।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में अधिकारियों के भ्रष्टाचार, खनिज, भू माफिया के बारे में सच उजागर करने वाले पत्रकारों पर हमले लगातार होते आ रहे हैं। बदसलूकी, मारपीट और झूठे मामलों में फँसा कर जेल भेजने की साजिश अनवरत जारी है। पिछले दिनों कोंटा थानेदार ने रेत माफिया का सच उजागर करने वाले पत्रकारों को गांजा तस्करी के मामले में फंसा कर आंध्र प्रदेश में प्रकरण बनवा कर जेल भिजवाने की साजिश रची, बाद में होटल के सी सी टीवी के प्रमाण को डिलीट करने के आरोप में उस थानेदार को जेल भेजा गया लेकिन पत्रकारों को बेवजह जेल यात्रा की पीड़ा झेलनी पड़ी। इसी हफ्ते कांकेर के एक पत्रकार को वर्तमान सांसद से जुड़ी सच्ची खबरों को छापने, प्रसारित करने पर झूठे मामलों में फंसाने की एनआईए एवम पुलिस द्वारा कोशिश की गईं। छत्तीसगढ़ में पूर्व में कांग्रेस की सरकार थी और अब भाजपा की सरकार है, परन्तु पत्रकारों की सुरक्षा और हक की चिंता किसी भी सरकार को नहीं है। केवल भाषणों में ही चीख-चीख कर पत्रकारों को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है और उनकी सुरक्षा का ढिंढोरा पीटा जाता है।
सत्य और न्याय की लड़ाई लड़ने वाले पत्रकारों के ऊपर निरंतर अत्याचार हो रहे…
वास्तव में देखा जाय तो सत्य और न्याय की लड़ाई लड़ने वाले पत्रकारों के ऊपर निरंतर अत्याचार हो रहे हैं, इन्हीं सब बातों को लेकर आज पूरे प्रदेश के हजारों कलमकारों ने रायपुर के ग्रास मेमोरियल में एक मंच पर एकत्रित होकर महासभा का रूप दिया। मंच पर पीडि़त पत्रकारों ने अपनी-अपनी आपबीती साझा की और मंचस्थ वरिष्ठ पत्रकारों ने प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर करते हुए सरकार से तत्काल पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की माँग की और पत्रकारों को शासन की ओर से विभिन्न सुविधाएं देने का प्रस्ताव रखा।
छत्तीसगढ़ के इतिहास में पत्रकारों का महाकुम्भ दिखा
पत्रकार संकल्प महासभा छत्तीसगढ़ के इतिहास में पत्रकारों का ऐसा प्रथम महाकुम्भ साबित हुआ जिसमें छत्तीसगढ़ के समस्त पत्रकारों की एकजुटता दिखाई दी। देश में पहली बार ऐसा इतिहास रचा जा रहा था जिसमें 35 से अधिक पत्रकार संगठन के साथी, 25 से अधिक प्रेस क्लब और जिला पत्रकार संघ के साथी अपनी अपनी सजग भागीदारी से पत्रकारों के मुद्दों पर गंभीर विचार विमर्श करते रहे, ग्रामीण पत्रकारों को वेतन, सम्मान निधि के लिए अधिमान्यता की शर्त हटाने, पत्रकारों के लिए मकान तथा प्लाट, चिकित्सा सुविधा, बच्चों के लिए स्कूल फीस में रियायत, छोटे पत्र पत्रिकाओं को नियमित विज्ञापन की व्यवस्था जैसे उपयोगी प्रस्ताव महासम्मेलन में पास किए गए।ये छत्तीसगढ़ में पहला ऐसा सम्मेलन भी था जिसमें किसी नेता, अधिकारी या पत्रकारों का सम्मान, स्मृति चिन्ह वगेरह करने की बजाय पत्रकार और पत्रकारिता से जुड़े ज़रूरी मुद्दों को तरजीह दी गई। सभी पीडि़त पत्रकारों ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए मंच के माध्यम से सरकार तक अपनी बात पहुंचाई और न्याय की गुहार लगाई। अब देखना यह है कि चौथे स्तम्भ कहे जाने वाले पत्रकारों की इस जायज और बुलंद आवाज पर शासन कब नींद से जागेगी?
पत्रकारों पर बढ़ते हमले और सुरक्षा कानून की मांग
प्रदेश में लगातार पत्रकारों पर हो रहे हमले, पुलिस और माफियाओं की मिलीभगत के चलते पत्रकारों का उत्पीड़न चरम पर है। इस महासभा में वक्ताओं ने अधिकारियों और माफियाओं के खिलाफ सच्चाई उजागर करने वाले पत्रकारों पर हो रहे हमलों और उनकी सुरक्षा की अनदेखी पर सरकार की कड़ी आलोचना की। पत्रकारों ने बताया कि कैसे उन्हें झूठे आरोपों में फंसाकर जेल भेजने की साजिशें रची जा रही हैं। पिछले हफ्ते कोंटा और कांकेर के पत्रकारों को बेवजह फंसाने की घटनाएं इसका ताजा उदाहरण हैं। पत्रकार संकल्प महासभा में मौजूद वरिष्ठ पत्रकारों ने मंच से कहा कि प्रदेश की किसी भी सरकार ने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम नहीं उठाए। मंच पर बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पंकज ने प्रदेश के मूर्धन्य पत्रकारों का स्मरण किया और मौजूदा हालात पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहलाते हैं, लेकिन आज सबसे ज्यादा असुरक्षित भी यही वर्ग है।
महासभा में पीडि़त पत्रकारों की आवाज
पत्रकार सुरक्षा आंदोलन के अग्रणी नेता कमल शुक्ला ने पीडि़त पत्रकारों के अनुभव साझा करवाए। इस दौरान अंबिकापुर के पत्रकार जितेंद्र जायसवाल और कोंटा के बप्पी रॉय सहित अन्य पीडि़त पत्रकारों ने अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि किस तरह उन्हें माफियाओं और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ खबरें प्रकाशित करने पर साजिशन फंसाया गया और उन्हें जेल तक जाना पड़ा। सभा में यह भी बताया गया कि कांकेर के एक पत्रकार को स्थानीय सांसद से जुड़ी खबर प्रकाशित करने पर पुलिस और एनआईए द्वारा झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश की गई। पीडि़त पत्रकारों ने एक स्वर में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की पुरजोर मांग की।
महासभा में पारित किए गए प्रस्ताव
महासभा में पत्रकारों के हित में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए, जिनमें ग्रामीण पत्रकारों को वेतन देने,चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने, बच्चों की शिक्षा में रियायत देने और छोटे पत्र-पत्रिकाओं को नियमित विज्ञापन देने की व्यवस्था शामिल है। इन प्रस्तावों के जरिए पत्रकारों के पेशेवर जीवन में सुधार लाने के लिए कदम उठाने पर जोर दिया गया।
पत्रकारों की एकजुटता और आगे की राह
छत्तीसगढ़ में यह पहला अवसर था जब इतने बड़े पैमाने पर पत्रकार एक मंच पर एकत्रित हुए और बिना किसी नेता या अधिकारी का सम्मान किए, अपने मुद्दों पर गंभीर विचार-विमर्श किया। यह आयोजन पत्रकारों के लिए मील का पत्थर साबित हुआ,जिसमें उन्होंने सरकार को अपनी एकजुटता और सुरक्षा के प्रति संजीदा कदम उठाने की चेतावनी दी। अब देखने वाली बात यह है कि सरकार पत्रकारों की इस न्यायोचित मांग पर क्या कदम उठाती है और पत्रकार सुरक्षा कानून कब लागू होता है।
पत्रकार संगठनों के प्रमुख हुए शामिल
इस अवसर पर रायपुर सहित संपूर्ण छत्तीसगढ़ के पत्रकार शामिल हुए जिसमें प्रमुख रूप से सुधीर आज़ाद तंबोली, स्टेट वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन छत्तीसगढ (आईजेयु) प्रदेश अध्यक्ष पी सी रथ, महासचिव विरेंद्र कुमार शर्मा, कमल शुक्ला, व्यास पाठक, प्रेस एंड मीडिया वेलफेयर एसोसिएशन से मनोज पांडे, कार्यकरी अध्यक्ष जितेन्द्र जायसवाल, शिवशंकर सोनपीपरे, अजीत शर्मा (पीसीडब्ल्युजे) छत्तीसगढि़या पत्रकार महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेन्द्र रथ वर्मा, अमित गौतम, सुनिल यादव, सेवक दास दीवान,अमिताभ पॉल, गोविंद शर्मा,राज गोस्वामी,आनंद राम पत्रकारश्री,महेश प्रशाद, आसिफ इक¸बाल,बी डी निजामी, अशोक तोमर,विरेंद्र कुमार शर्मा,शकील लाला दानी,महेश आचार्य,तिलका साहू, दिनेश नामदेव, दिनेश सोनी, राहुल गोस्वामी,प्रवीण खरे,हरिमोहन तिवारी, गुलाब दीवान, ललित यादव, आदित्य गुप्ता, चोवाराम वर्मा, मो शरीफ खान, उचित शर्मा, रेणु नंदी, पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष के के शर्मा तथा प्रकाश शर्मा आदि शामिल हुए। महासम्मेलन को लिखित, मौखिक समर्थन देने शामिल होने वाले संस्थाओं में दक्षिण बस्तर पत्रकार संघ, जीपीएम प्रेस क्लब, रायपुर प्रेस क्लब, बेमेतरा, मुंगेली प्रेस क्लब, कोंडागांव प्रेस क्लब, महासमुंद प्रेस क्लब, कुम्हारी प्रेस क्लब, दुर्ग प्रेस क्लब, कांकेर जिला पत्रकार संघ, जगदलपुर बस्तर जिला पत्रकार संघ, पत्रकार संघ, छाीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार कल्याण संघ एवं अन्य कई संस्थाएं शामिल थीं। कार्यक्रम की योजना बना कर परस्पर सहभागिता तथा योगदान से कार्यक्रम को आयोजित करने वाले अग्रगामी संगठन इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन, इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किग जर्नलिस्ट्स, छत्तीसगढ श्रमजीवी पत्रकार संघ (पंजीयन क्रमांक 617), पत्रकार कल्याण महासंघ, पत्रकार महासंघ छत्तीसगढ, स्टेट वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ जर्नलिस्ट वेलफेयर यूनियन रायपुर, छत्तीसगढ जर्नलिस्ट यूनियन, छत्तीसगढ सक्रीय पत्रकार संघ, छत्तीसगढ प्रेस वेलफेयर एसोसिएशन, अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति, प्रेस क्लब ऑफ वर्किग जर्नलिस्ट (पीसीडल्युजे), आदर्श पत्रकार संघ, सद्भावना पत्रकार संघ, छत्तीसगढ प्रेस क्लब, छत्तीसगढि़या पत्रकार महासंघ, भारतीय पत्रकार संघ, द जर्नलिस्ट एसोसिएशन, मीडिया पत्रकार मंच, आइडियल जर्नलिस्ट एसोसिएशन, प्रिंट मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन, अखिल भारतीय पत्रकार एवं संपादक एसोसिएशन, पत्रकार प्रेस महासंघ, प्रदेश पत्रकार यूनियन, छत्तीसगढ़ मीडिया एसोसिएशन, राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा, पत्रकार जनकल्याण समिति शामिल थे। कुछ अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि 2 अक्टूबर को कार्यक्रम स्थल पर आ कर समर्थन व्यक्त करते देखे गए।
मौन रखने का आह्वान
इससे पहले वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पंकज ने माधवराव सप्रे से शुरू हुई पत्रकारों की सुदीर्घ परंपरा के मूर्धन्य पत्रकारों चंदूलाल चंद्राकर, रम्मू श्रीवास्तव,मायाराम सुरजन,ललित सुरजन,रमेश नैय्यर,मधुकर खेर, कुमार साहू आदि का स्मरण किया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे शरद श्रीवास्तव ने स्व0 साई रेड्डी,नेमीचंद जैन,सुशील शर्मा एवं अन्य के लिए मौन रखने का आवाहन किया। पीडि़त पत्रकारों के बारे में सत्र का संचालन पत्रकार सुरक्षा आंदोलन की शुरुआत करने वाले वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला ने किया। उन्होंने प्रभात सिंह, संतोष यादव, सोमारू जैसे पत्रकारों पर हुए जुल्म को याद करते हुए अंबिकापुर के पीडि़त और वर्तमान में फर्जी प्रकरणों के कारण जिला बदर पत्रकार जितेंद्र जायसवाल को अपनी व्यथा सुनाने आमंत्रित किया, इससे बाद कोंटा के पत्रकार बप्पी रॉय और 3 साथियों ने अपनी बात रखी। मनोज पांडे, अविनाश सिंह, विनोद नेताम, सुनील यादव, सेवक दास दीवान, किरीट ठक्कर, सतीश यादव, दिनेश सोनी तथा इसी तरह अन्य पीडि़त पत्रकारों ने अपनी बाते रखी। अंत में पिछली सरकार में बंदी बनाए गए सुनील नामदेव ने पत्रकारों को संबोधित किया। पत्रकारों के उद्बोधन पश्चात् प्रतिनिधि मंडल छत्तीसगढ़ सरकार से पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने सहित अन्य मांग को लेकर राजभवन पहुँचे और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। इस दरमियान पीडि़त पत्रकारों ने भी सामूहिक रूप से ज्ञापन सौंपते हुए अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा की मांग की।


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