लेख@ पेजर,मोबाइल,वॉकीटॉकी,लैपटॉप:टेक्नो बम का नया अवतार

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लेबनान के आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह के मोबाइल,लैपटौप और बॉकीटॉकी सहित अनेक वायरलेस डिवाइस में विस्फोट होने के बाद भारी तबाही मची है। इन हमलों में लगभग 40 लोगों की मौत हुई है और 5000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। लेबनान के आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह ने आरोप लगाया है कि इजरायल की गुप्तचर एजेंसी मोसाद ने यह सारा षडयंत्र रचा है। जवाबी कार्रवाई में हिजबुल्लाह अथवा ईरान के हैकर्स ने आधी रात को इजरायल के फोन आधी रात को बजा दिए। उन पर इमर्जेंसी मैसेज भेजा। मैसेज में इजरायलियों को सुरक्षित स्थान पर भाग जाने के लिए कहा गया था। इस तरह के हजारों मैसेज आने के बाद इजरायल में अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया था।
आधुनिक टेक्नोलॉजी द्वारा बड़े पैमाने पर एक साथ विस्फोटक उपयोग हो सकता है। इस तरह की यह पहली बड़ी घटना है। इस घटना का राजनीतिक, सैन्य या सामाजिक असर की बात को किनारे कर के देखें कि संदेश व्यवहार के वायलेस साधनों द्वारा किए गए विस्फोट के पीछे कौन सा विज्ञान छुपा है? इसकी बात करनी है। किसलिए मोबाइल के युग में पेजर का उपयोग हो रहा था? दो दशक पुरानी पेजर टेक्नोलॉजी क्या है? संदेश व्यवहार के वायलेस साधनों द्वारा किस तरह विस्फोट किया गया होगा? यहां ऐसे ही सवालों के तार्किक जवाब देने की कोशिश की गई है।
मोसाद: मिशन इम्पासिबल
सकन मूरहाउस, भूतपूर्व ब्रिटेन आर्मी अधिकारी और विस्फोटक निर्यात करने वाले विशेषज्ञ का कहना है कि इजरायल की विदेशी गुप्तचर एजेंसी मोसाद इस तरह के हमलों को अंजाम देने के लिए जरूरी सभी सामान रखती है। इजरायल के भूतकाल में इस प्रकार के ऑपरेशन करने का लंबा इतिहास है। जनवरी, 1997 में गाजा में हमास के मुख्य बम निर्माता याह्या अय्याश को उड़ाने के लिए मोबाइल फोन का उपयोग किया गया था। द इंजीनियर के रूप में जाना जाने वाला अय्याश इजरायली पैसेंजर बसों पर आत्मघाती हमला करने के लिए व्यूहरचना के लिए जिम्मेदार माना गया था। इजरायली हमले से याह्या अय्याश की हत्या से इजरायल में बस बम विस्फोट की नई लहर आई थी।
7 अक्टूबर, 2023 को ईरान समर्थित हिजबुल्लाह मिलिशिया ने हमास के साथ मिल कर इजरायल में लेबनान-इजरायल सीमा पार राकेट छोड़ना शुरू किया था। इसमें इजरायल हथियार भंडार को निशाना बनाया गया था। माना जाता है कि उसी के जवाब में इजरायल ने यह हमला किया था। विस्फोट में उपयोग में लिया गया पेजर ताइवान के गोल्ड एपोलो का बनाया एआर 924 माडल था। पता चला है कि जिसे बना कर लेबनान में पहुंचाने का काम हंगेरी स्थित कंपनी बीएसी कंसल्टिंग कंपनी केएफ टी को अधिकृत किया गया था।
पिछले फरवरी महीने में लेबनान के आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरुल्लाह द्वारा संगठन के सदस्यों को चेतावनी दी गई थी कि वे मोबाइल फोन का उपयोग बंद कर दें। संगठन को उनके गुप्तचरों द्वारा जानकारी मिली है कि इजरायल मोबाइल फोन ट्रैक कर के कभी भी हमला कर सकता है। हिजबुल्लाह ने पांच महीने पहले अपने सदस्यों के लिए 5000 पेजर और वॉकीटॉकी का आर्डर दिया था। नए आए पेजर में एक निश्चित पद्धति का उपयोग कर के बम ब्लास्ट किया गया है। जिसके कारण हिजबुल्लाह ग्रुप में भय का माहौल बन गया है।
मनुष्य को मौत देता मैसेज
इस संदेश व्यवहार पद्धति के निश्चित फायदे हैं, साथ ही साथ कुछ नुकसान भी हैं। पेजर संदेश भेजने वाला व्यक्ति और रिसीव करने वाला व्यक्ति अपनी पहचान छुपाए रख सकता है। मोबाइल फोन को ट्रैक कर के व्यक्ति कहां है, उसकी लोकेशन प्राप्त की जा सकती है। पर पेजर की लोकेशन ट्रैक नहीं की जा सकती। क्यों कि पेजर मात्र संदेश रिसीव करता है। वह अफना संदेश
ट्रांसमिट नहीं करता, इसलिए उसकी लोकेशन तय नहीं की जा सकती। इसके अलावा पेजर को हैक कर के निश्चित संदेश भेज कर बम ऐक्टिवेट हो सकता है। यह इसका फायदा मानो तो फायदा नुकसान मानो तो नुकसान।
हेमिश डी ब्रेटोन-गॉर्डन पूर्व ब्रिटेन सैन्य अधिकारी और रासायनिक हथियारों के विशेषज्ञ यहां दो संभावनाएं व्यक्त करते हैं। 1- पेजर या मोबाइल फोन में लगी बैटरी को इतना गरम करें कि बढ़ गए तापमान के कारण उसमें विस्फोट हो। 2- पेजर अथवा मोबाइल फोन में विस्फोटक पदार्थ लगा कर विनाशक बम बनाएं।
आधुनिक संदेश व्यवहार के लिए उपयोग में लाए जाने वाले साधन जैसे कि मोबाइल, पेजर, वॉकीटॉकी, लैपटौप आदि द्वारा बम विस्फोट हो सकता है। छोटे-मोटे बम बनाने के लिए मुख्य रूप से पांच चीजों की जरूरत पड़ती है। जिसमें 1- बम लगाने के लिए पात्र यानी कि कंटेनर, 2- पावर सप्लाई के लिए बैटरी, 3- बम विस्फोट के लिए प्रक्रिया शुरू करने के लिए ट्रिगर डिवाइस, 4- डेटोनेटर यानी कि बम विस्फोट को प्रेरित करे वह पदार्थ, 5- विस्फोटक या विनाशक विस्फोट करे पदार्थ का
समावेश होता है। जिनमें शुरू की तीन चीजें पेजर, मोबाइल, वॉकीटॉकी और लैपटौप में होती ही हैं। मात्र डेटोनेटर और चार्ज यानी कि विस्फोटक लगा दें तो बम तैयार हो जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार अभी पेजर द्वारा जो विस्फोट किया गया है, उसमें एक से तीन ग्राम विस्फोटक पदार्थ पीईटीएन यानी कि पेंटाएरिथ्रिटोल टेट्रानाइट का उपयोग किया गया होना चाहिए।
पेजर यानी क्या?
संदेश व्यवहार के लिए उपयोग में लाया जाने वाला पेजर क्या है? डायबिटीज नापने के लिए पोर्टेबल कद के डिवाइस जैसा पेजर टेक्स्ट मैसेज प्राप्त करने के लिए उपयोग में लिया जाने वाला एक साधन है। मोबाइल के आने के पहले पेजर का उपयोग होता था। ज्यादातर टेक्स्ट मैसेज देने वाला पेजर वन वे टाइप का पेजर होता है यानी कि उसमें मैसेज रिसीव हो सकता है। पर उसमें जवाब नहीं दिया जा सकता। समय के साथ टू वे कम्यूनिकेशन और वाइस मैसेज भेजे इस तरह के पेजर भी उपलब्ध हुए हैं। मोबाइल के कारण संदेश व्यवहार में क्रांतिकारी परिवर्तन आने से समग्र चित्र बदल गया।
पेजर के शोध में एक से अधिक व्यक्ति और कंपनियां जुड़ी थीं। इस तरह पेजर के आविष्कारक के रूप में किसी एक व्यक्ति का नाम लेना उचित नहीं होगा। 1940 के दशक में दोनों दिशा में रेडियो पेजिंग सिस्टम की सैद्धांतिक विभावना एलोंजो लोन फ्रेंकलिन ने दी थी। इसलिए कुछ लोग पेजर के आविष्कारक के रूप में श्रेय एलोंजो लोन फ्रेंकलिन को देते हैं।
पेजर का वैज्ञानिक सिद्धांत रेडियो की तरह एकदम सरल है। पेजर सर्विस देता सर्विस प्रोवाइडर को संदेश देने वाला व्यक्ति अपना संदेश लिखवा सकता है। संदेश भेजना है, उसकी पहचान देता है। उसके बाद संदेश प्रोवाइडर कंपनी वह मैसेज समग्र सर्विस क्षेत्र में ट्रांसमिशन टावर द्वारा प्रसारित कर देती है। इस तरह संदेश का ट्रासमिशन समग्र सर्विस क्षेत्र में होता है। जिसे रेडियो ब्राडकास्ट भी कहते हैं।
किसी भी व्यक्ति को संदेश समग्र नेटवर्क पर रेडियो तरंगों की निश्चित फिम्ंसी द्वारा ब्राडकास्ट किया जाता है। यह संदेश पेजर नाम का रिसीवर उपकरण प्राप्त करता है। यही रिसीवर ही पेजर के रूप में जाना जाता है। संदेश आने पर उसमें बीप बीप की आवाज आती है। इसलिए यह ब्लिपर के रूप में भी जाना जाता है। आया संदेश, संदेश प्राप्त करने वाला व्यक्ति डिस्प्ले पर देख सकता है। पेजर ज्यादातर वन वे संदेश व्यवहार करता है, इसलिए संदेश का जवाब संदेश पाने वाला व्यक्ति दे नहीं सकता।
टेक्नो बम का नया स्वरूप
अब सवाल यह उठता है कि पेजर को बम में किस तरह बदला गया था? किसी भी प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में तापमान बढ़ने से बैटरी गरम होती है। इस प्रक्रिया को थर्मल रनवे कहते हैं। इस प्रक्रिया द्वारा बैटरी फटने से बम
जैसा विस्फोट हो सकता है। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में उपयोग में आने वाली लीथियम आयन बैटरी में होती खतरनाक और विस्फोटक प्रक्रिया को थर्मल रनवे के रूप में जाना जा सकता है। उपकरण के साथ-साथ बैटरी का तापमान भी उत्तरोत्तर बढ़ता जाता है। उपकरण जब सूर्य की धूप में सीधे संपर्क में आता है, आग का संपर्क हो अथवा किसी बाहरी कारण से उपकरण का तापमान बढ़ता है, तो उपकरण में प्रसारित होने वले प्रवाह में अवरोध उत्पन्न होने के कारण भी थर्मल रनवे जैसी प्रक्रिया शुरू होती है। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स में अवरोध बढ़ने से इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे गरम होते हैं। इंटर्नल शार्ट सर्किट होता है तब भी बैटरी का तापमान बढ़ता है। बैटरी अधिक चार्ज की जाए, तब भी ओवर चार्जिंग के कारण तापमान बढ़ता है। किसी समय बैटरी पूरी खाली हो जाए और बारबार चार्जिंग प्रक्रिया चालू रहे, तब भी थर्मल रनवे प्रक्रिया शुरू हो जाती है। जो अंत में विस्फोट में बदल जाती है।
लेबनान में हुए विस्फोट में दूसरे प्रकार की संभावना यानी कि पेजर, मोबाइल फोन, वॉकीटॉकी, लैपटौप में विस्फोटक पदार्थ लगा कर विनाशक बम बनाना अधिक लगता है। जिसके अनुसार आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह को पेजर, वॉकीटॉकी पहुंचे उसके पहले ही सप्लाई चेन तोड़कर पेजर को छोटे बम के रूप में बदलने का काम किया गया होगा। पेजर हिजबुल्लाह के सदस्यों के पास पहुंचने के बाद निश्चित संदेश भेज कर बम को ऐक्टिवेट किया गया होगा। बैटरी और विस्फोट पदार्थ फटते ही उसमें बम विस्फोट हुआ होगा। एक संभावना यह भी है कि बैटरी का उपयोग ही डेटोनेटर के रूप में किया गया होगा। समग्र चित्र देखें तो लेबनान में हुए बम विस्फोट बैटरी के थर्मल रनवे की अपेक्षा विस्फोटक पदार्थ का उपयोग कर के बम विस्फोट करने की संभावना अधिक लगती है।
वीरेंद्र बहादुर सिंह
नोएडा (उत्तरप्रदेश)


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