रायपुर,@मान्यता रद्द हो चुके कॉलेज में छत्तीसगढ़ सरकार दे रही है एडमिशन

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सैकड़ों छात्रों के भविष्य के साथ किया जा रहा है खिलवाड़
रायपुर,28 सितम्बर 2024 (ए)। छत्तीसगढ़ सरकार उन कॉलेजों में एडमिशन दे रही है जिनकी मान्यता रद्द हो चुकी है और सैकड़ों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। छत्तीसगढ़ में धोखाधड़ी का एक नया मामला सामने आया है जो चौंकाने वाला है। सरकार उसी कॉलेज में छात्रों को एडमिशन दे रही है जिसकी मान्यता रद्द हो चुकी है। कॉलेज की मान्यता दिल्ली ने रद्द कर दी थी लेकिन उस कॉलेज की सीटें राज्य के छात्रों को आवंटित की जा रही हैं। यह एक नर्सिंग कॉलेज है जिसकी मान्यता रद्द कर दी गई है। इस कॉलेज में काउंसलिंग और सीट आवंटन के लिए सरकारी कार्यालय से पत्र जारी किया गया है। आयुक्त चिकित्सा शिक्षा द्वारा जारी इस आदेश की जानकारी निदेशक को भी नहीं है। क्या है पूरा मामला नर्सिंग कॉलेज धोखाधड़ी कई राज्यों में बड़ा मुद्दा बन गया है। छत्तीसगढ़ उनमें से एक है। एक कमरे के कॉलेज खोलकर छात्रों का भविष्य बर्बाद किया जा रहा है। इस संबंध में कोर्ट ने भी अपनी नाराजगी जताई है। ऐसा ही एक और मामला छत्तीसगढ़ में सामने आया है। भारतीय चिकित्सा परिषद ने राजनांदगांव के सेंट्रल इंडिया कॉलेज ऑफ नर्सिंग की मान्यता रद्द कर दी है। भारत सरकार के राजपत्र में 9 जून 2023 को इसका प्रकाशन किया गया है। लेकिन छत्तीसगढ़ की काउंसलिंग कमेटी ने गुपचुप तरीके से छत्तीसगढ़ राज्य के विद्यार्थियों को बिना सूचना दिए सेंट्रल इंडिया कॉलेज के लिए प्रवेश और आवंटन पत्र जारी कर दिया है। इस पत्र में उस कॉलेज की मान्यता रद्द होने की जानकारी भी नहीं दी गई। राजपत्र अधिसूचना में साफ लिखा है कि इस कॉलेज के आवंटन पत्र में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए कि इस कॉलेज से पास होने वाले विद्यार्थी सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नौकरी कर सकेंगे, किसी अन्य राज्य में नहीं। यह पत्र आयुक्त चिकित्सा शिक्षा कार्यालय की ओर से जारी किया गया है। यह सरकारी वेबसाइट पर भी दिखाई दे रहा है। विभाग की इस गलती के कारण सैकड़ों विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं जब इस बारे में डीएमई यूएस पैकरा से जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। यह पत्र उनकी तरफ से नहीं भेजा गया है, यह पत्र सीएमई यानी कमिश्नर कार्यालय से भेजा गया होगा। इस बारे में जब कमिश्नर किरण कौशल से बात करने की कोशिश की गई तो उनका फोन बंद मिला।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से संपर्क नहीं हो सका। उनसे मोबाइल पर संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। युवाओं के भविष्य से जुड़े इस मुद्दे पर सरकार का इस तरह का रवैया सवाल खड़ा करता है कि क्या सरकार इस मामले को लेकर गंभीर नहीं है।


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