सूरजपुर,@फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टर का हुआ सम्मान, भ्रष्टाचार के हैं डॉक्टर पर आरोप?

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फर्जी डिग्री से बने बैठे हैं डॉक्टर,यह शिकायत हैं जांच में,प्रभाव से जांच है रुकी हुई…

-समरोज खान-
सूरजपुर,22 सितम्बर 2024 (घटती-घटना)। प्रदेश के एक निजी समाचार चैनल ने धनवंतरी चिकित्सक श्रेणी में सूरजपुर के प्रभारी डीपीएम डॉक्टर प्रिंस जायसवाल का सम्मान किया और उन्हें कोरोना काल का वारियर भी बताया और कर्तव्यनिष्ठ एवम काफी सेवाभावी बताया। डॉक्टर प्रिंस जायसवाल को कोरिया जिले में चिकित्सा क्षेत्र में अतुलनीय योगदान का अपनी जान की परवाह कोरोनाकाल में न करते हुए लोगों की जान बचाने के लिए सम्मानित किया गया। अब आइए जानते हैं कौन हैं डॉक्टर प्रिंस जायसवाल और क्या है इनकी हकीकत और कितने सेवाभावी हैं यह डॉक्टर और क्या यह डॉक्टर हैं भी की नहीं? डॉक्टर प्रिंस जायसवाल जो वर्तमान में सूरजपुर जिले के प्रभारी डीपीएम हैं के बारे में यदि बात करें तो बता दें यह आयुर्वेद चिकित्सक हैं और यह कोरिया जिले में वर्ष 2015 से संभवतः सेवा प्रदान कर रहे हैं वहीं यह चिकित्सा प्रदान करने के कार्य में नहीं लाभ के पद पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में डीपीएम की जिम्मेदारी सम्हालते आ रहे हैं। डॉक्टर प्रिंस जायसवाल खरीदी ,और एनएचएम अंतर्गत नियुक्तियों में भ्रष्टाचार के अलावा कोई अन्य उपलçध अपनी सेवाकाल में हासिल नहीं कर पाए हैं। और अधिक यदि डॉक्टर प्रिंस जायसवाल को लेकर बात की जाए तो यह डॉक्टर हैं भी यह अभी तक तय नहीं हुआ है क्योंकि बैकुंठपुर के ही एक पार्षद ने यह तथ्य सहित शिकायत की है की उनकी डॉक्टर की डिग्री ही फर्जी है और वह फर्जी डिग्री वाले झोलाछाप डॉक्टर हैं जिनकी डिग्री के फर्जी होने के पुख्ता प्रमाण हैं और उन पर वह कार्यवाही की मांग कर रहे हैं।
कोरोना काल की ही बात करें डॉक्टर प्रिंस ने सेवा के नाम पर भ्रष्टाचार के अलावा कुछ नहीं किया और खरीदी और अन्य जितना भ्रष्टाचार वह कर सकते थे उन्होंने किया। बात बैकुंठपुर के जिला चिकित्सालय सहित जिले भर के डॉक्टरों की यदि की जाए तो प्रिंस जायसवाल के कोरिया जिले में कार्यरत रहते हुए सभी उनसे दुखी थे त्रस्त थे क्योंकि तत्कालीन कलेक्टरों को डॉक्टर प्रिंस जायसवाल भड़काकर डॉक्टरों का मनोबल कमजोर करते थे उन्हें अपने अनुसार भ्रष्टाचार में सहभागी बनने दबाव डालते थे। डॉक्टर प्रिंस जो शिकायत अनुसार फर्जी डॉक्टर हैं उनसे कोरिया जिले के डॉक्टर इतने परेशान थे की तत्कालीन सिविल सर्जन ने उन्हें जिला चिकित्सालय में बिना अनुमति प्रवेश से भी वंचित करने पत्र जारी किया था जिसमे उनके लिए इतना कुछ लिखा गया था जो उन्हे कभी सेवाभावी न होना जैसा साबित करने काफी था। उच्च अधिकारियों से सेटिंग कर डॉक्टरों को प्रताडि़त करना उल जलूल खरीदी करना और अपना नर्सिंग होम निजी चलाना ही इनकी सेवा है और जिसमे नर्सिंग कॉलेज भी इनका शिकायत एवं जांच के दायरे में है और जो लगातार सुर्खियों में रहने वाली खबर भी रहती है। बताया जा रहा है डॉक्टर प्रिंस ने सम्मान पाने काफी मोटी रकम प्रदान की है और इसीलिए उन्हें सम्मानित किया गया है। अब कई डॉक्टरों का और उन्हे जानने वालों का दबी जबान में कहना है की यदि सम्मान और सेवा भाव का पैमाना डॉक्टर प्रिंस जैसे लोगों की सेवा है तब तो प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था भगवान भरोसे ही कही जा सकती है क्योंकि फर्जी डॉक्टर को सम्मानित किया जाना ही अन्य डॉक्टरों का अपमान है।


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