बिलासपुर@ वाह विकास बाबू…बड़े जलवे है… जांच अधिकारी भी अपनी जेब में…

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-आदित्य गुप्ता-
बिलासपुर,19 सितम्बर 2024 (घटती-घटना)।
विधानसभा चुनाव के ठीक पहले शिक्षा विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग घोटाला हुआ था। प्रदेश के लगभग हर जिले और संभाग में लाखो रुपए लेकर इस घोटाले को अंजाम दिया गया था। मामला खुला तो कई अधिकारी और बाबू निलंबित हुए, फिर सत्ता बदलते ही सब धीरे धीरे बहाल हो गए। बहाल करने वाले कोई और नहीं बल्कि वही लोग थे जो लोग इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया था। अभी कुछ लोगों की बहाली होनी है। इसके लिए कुछ विधायकों ने भी अपनी ओर से अनुसंशा कर चुके है। अब उन्हें बहाल करने के लिए रास्ता निकालने में लगे हुए है। जांच कमेटी का अचानक सक्रिय होना उसी का एक हिस्सा है। गुरुवार को अतिरिक्त संचालक स्ष्टश्वक्रभ् जे पी रथ अपनी टीम के साथ आए थे। बिलासपुर के ज्वाइन डायरेक्टर कार्यालय में दो दिनों तक शिक्षकों से बयान लिए गए। बयान क्या ? सभी को एक प्रिंटेड फार्म उपलब्ध करा दिया गया। जिसमे 16 बिंदुओ पर शिक्षकों से जानकारी मांगी गई थी। शिक्षकों से यह भी कहा गया था की क्या उसने ट्रांसफर मनचाही जगह पर पोस्टिंग कराने के लिए रिश्वत दी ? अब इस सवाल से ही समझ में आ जाता है कि शिक्षा विभाग जांच कर रहा है मजाक कर रहा है ? जांच का मजाक यहीं पर खत्म नहीं होता विडंबना तो ये है की शिक्षको से वो फार्म कलेक्ट करने के लिए वही बाबू विकास तिवारी बैठा था जिस पर पैसा लेकर संशोधित आदेश जारी करने का आरोप है। इससे यह तो स्पष्ट है की विकास बाबू का जलवा शिक्षा विभाग अभी भी बरकार है। जो वो चाहेंगे वही होगा। यही नहीं एक कोने में बैठे जांच अधिकारी की बखत भी वहां उपस्थित शिक्षक समझ रहे थे। कुल मिलाकर होना जाना कुछ नही है। जल्दी ही विकास बाबू भी बहाल होने वाले है और वापस लौटकर बिलासपुर में अपनी दुकान सजाने वाले है। सरकार किसी की भी रहे पैसे की जरूरत तो सभी को है।
आपको बता दे शासन के आदेश पर जून 2023 में पोस्टिंग के लिए शिक्षा विभाग के सभी संयुक्त संचालकों ने सभी जिलों के डीईओ से रिक्त पदों की जानकारी मंगाई। जिसके बाद शहर के साथ ही जिला व ब्लॉक मुख्यालय के आसपास के स्कूलों में रिक्त पदों को छिपा दिया गया। इसके बाद दिखावे के लिए काउंसिलिंग किया गया। फिर कुछ ही दिन में छिपाए गए पदों पर संशोधन के नाम पर लेनदेन कर पोस्टिंग आदेश जारी किया गया। यह खेल पूरे प्रदेश में खेला गया और हजारों संशोधित आदेश जारी कर शिक्षकों को मनचाही पोस्टिंग दी गई। इसके बाद पूरे प्रदेश में बवाल मच गया क्योंकि एक एक शिक्षक से संशोधन आदेश के बदले दो से तीन लाख रुपए लिए गए थे। इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग हरकत में आया और इसकी संभागायुक्तों से जांच कराई। प्रदेश के पांचों संभागों के कमिश्नर ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया कि ट्रांसफर में पैसे की बड़ी लेनदेन हुई है। कमिश्नरों की रिपोर्ट मिलने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने चार ज्वाइंट डायरेक्टरों को सस्पेंड कर दिया था। इसमें रायपुर, बिलासपुर, अंबिकापुर, दुर्ग और बस्तर के जेडी शामिल थे। इसके अलावा लगभग दर्जनभर अन्य अधिकारियों और बाबुओं को भी सस्पेंड कर दिया गया था। मामले में जेडी आफिस के बाबुओं को भी सस्पेंड किया गया था।


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