सूरजपुर,@क्या दो ठगों के चक्कर में इस तरह फंसे लोग की हो गए कंगाल?

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-ओंकार पांडेय-
सूरजपुर,19 सितम्बर 2024 (घटती-घटना)।
फ्रॉड और ठगी के मामले यह सब अखबारों की सुर्खियां बन चुके हैं इसकी वजह सिर्फ एक है वह है इनके झांसों में लोगों का आना लालच में लोगों का आना, ठगी या फ्रॉड किस तरीके से कैसे हो जाए इसकी कल्पना भी लोग नहीं किए रहते हैं और अंत में उसके शिकार हो भी जाते हैं, अच्छे-अच्छे बुद्धिजीवी कानून के रक्षक तक फ्रॉड या ठगी का शिकार होते जा रहे हैं और इसका सिर्फ एक ही का कारण माना जा रहा है अपने जरूरत से ज्यादा कमाना और कमाने का शौक रखना, जिसके चक्कर में ठगों को वह अपनी जीवन भर की जमा पूंजी सौंप दे रहे हैं या कर्ज लेकर भी अपनी लालसा पूर्ति के लिए ठग गिरोहों के चक्कर में आ जा रहे हैं, आज की स्थिति में सूरजपुर के दो ठग ऐसे सामने आए हैं जिन्होंने कर्मचारीयों, पुलिसकर्मियों, व्यापारियों, अधिवक्ताओं किसी को भी नहीं छोड़ा सभी को अपने ठगी के जाल में फंसा लिया और सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि इनमें ऐसे भी लोग हैं जो न्याय से जुड़े हुए हैं वह भी इन ठगों के चक्कर में फंस गए, शिवप्रसादनगर का असफाक और सूरजपुर का संजीत यह दोनों ठगों की श्रेणी में आ चुके हैं 3 साल से लोगों को यह बेवकूफ बनाकर लाखों लेकर उन्हें किस्तों में याज के तौर पर पैसे देते थे और अब स्थिति यह हो गई है कि अब इनके पास पैसे देने के लिए तो हैं नहीं, वहीं लोगों से मिलने तक की हिम्मत इनमे शेष नहीं है जो लोग इनके झांसे में आ चुके हैं वह लोग इन्हें बेसब्री से खोज रहे हैं और यह लोगों की नजरों से नौ दो ग्यारह हो चुके हैं, वहीं यह दोनो ठग सिर्फ सोशल मीडिया पर ही लोगों का आश्वासन बनाए रखे हैं कि हम पैसे लौटा देंगे। लोग इन दोनों ठगों के चक्कर में अपने को बर्बाद कर चुके हैं स्थिति काफी खराब होते जा रही है…कुछ भी घटना घट सकती है पर पुलिस आज भी हाथों में हाथ धरे ही बैठी है उसे अभी भी इंतजार है की कोई शिकायत करे, जबकि वह भी जान रही है की यह दो ठग कई सौ करोड़ का ठगी जिले में करके फरार हैं और जिनसे ठगी हुई है वह अभी भी अपना पैसा वापस होगा इस इंतेजार में हैं।
कहां मिलेंगे असफाक संजीत?
असफाक और संजीत कई सौ करोड़ का फ्राड कर फरार हैं। महंगी विदेशी गाड़ी,देश की महंगी गाडियां,महंगे होटल के शौक,विदेश तक तीर्थयात्रा वहीं देश के बड़े बड़े शहरों में लगातार दौरा ठहराव और वहां का खर्च वह कैसे वहन करते थे यदि इस बात पर निवेश करने वाले ध्यान देते उनका पैसा डूबने से बच जाता। आज जो पैसा यह दोनों ऐशो आराम में खर्च कर चुके वह पैसा यह कहां से लौटाएंगे यह बड़ा सवाल है और सच्चाई भी। पैसा कहीं निवेश किया ही नहीं गया यह कहना भी गलत नहीं होगा। अब जो कुछ पैसा बचा भी है वह लेकर दोनों फरार हैं और उसी के भरोसे फरार भी रहने वाले हैं जबतक पैसा है। लोगों का पैसा लौटेगा यह लगता नहीं वहीं अब लोग भी जान चुके हैं लेकिन डूबते को तिनके का सहारा या आश्वासन का सहारा वाला मामला है जिस भरोसे निवेशक अभी भी उम्मीद लगाए बैठे हैं। वैसे दोनों ठग हैं कहां यह बड़ा सवाल है और वह कब सामने आएंगे यह भी एक बड़ा प्रश्न है।
असफाक ने भी डाल रखा था महंगा ऑफिस
अशफ़ाक ने शिवप्रसादनगर में काफी आलीशान ऑफिस डाल रखा था, जहां पर लोग पहुंचते थ उसे ऑफिस को देखकर भरोसा करते थे पर अपना पैसा उसे ऑफिस के भरोसे देते थे कि कहीं भी यह भागेगा नहीं, अब जब भाग गया है तो वह ऑफिस में भी ताला लटका हुआ है अब कौन सा ऑफिस जाकर अशफाक से लोग पैसा लेंगे यह भी सोच रहे? जब खबर छप रही थी और लोगों को खबर से सचेत कर रहा था फिर भी लोग अखबार की खबरों से सीख नहीं लिए और लाभ कमाने के चक्कर में पैसा लगाते रहे यहां तक की खबरों को भी झूठा साबित करने का प्रयास असफाक और पिता ने किया पर अंततः जब लोग ठगी के शिकार हो गए तो यह बात भी सही हो गई की समाचार सही था और अखबार लोगों को सचेत कर रहा था फिर भी लोग सचेत नहीं हुए।
दोनों ठगों के परिवारजन भी हैं ठगी में शामिल
सूत्रों की माने तो दोनों ठगों का परिवार भी पूरे मामले में शामिल है या उन्हे सब कुछ ज्ञात है, जिस समय लोग पैसा लगा रहे थे उसे समय उनके परिजन भी भरोसा दिला रहे थे पैसा नहीं डूबेगा अब जब डूब गया है तो सभी हाथ खड़ा कर बैठे हुए हैं, कोई भी अपना ना तो उसका पता बता रहा है नहीं उससे पैसे दिलवाने की कोई पहल कर रहा है।
पुलिस के पास शिकायत लेकर जा भी रहे हैं तो यह कह रहे हैं कि ठगों पर दबाव बनाकर पैसे दिलवा दीजिए
स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि जो लोग अपना पैसा डूबा चुके हैं वह साम दाम दंड भेद सब तरीके से पैसे निकालने का प्रयास कर रहे हैं यहां तक की पुलिस के पास कई शिकायत भी पहुंच चुकी है पर शिकायत करने वाले पुलिस को एफआईआर दर्ज करने नहीं बोल रहे हैं उन्हें बोल रहे हैं तो सिर्फ कि आप उसके घर वाले पर दबाव बनाकर पैसा हमारा दिलवा दीजिए ऐसे में पुलिस भी करें तो क्या करे? क्या पुलिस की लेट लतीफ कार्यवाही की वजह से कोई बहुत बड़ी घटना न घट जाए ऐसा भी अंदेशा जताया जा रहा है।
असफाक व संजीत के लिए पैसे लगवाने वाले भी मुसीबत में उनके यहां भी लोग रोज बैठ रहे हैं, तगादा कर रहे हैं
असफाक व संजीत यह दो ऐसे नाम है जो अपने पास पैसे निवेश करवाने के लिए कई लोगों को रखे हुए थे जो उनके पास लोगों का पैसा लेकर लगाते थे जब तक लाभ आ रहा था, तब तक सब कुछ ठीक था जैसे ही लाभ आना बंद हुआ तो असफाक व संजीत के पास दूसरों का पैसा लगवाने वाले भी मुसीबत में हैं, क्योंकि जिनके माध्यम से वह पैसा लेकर आए थे अब पैसा देने वाले उनके दरवाजे पर भी बैठ गए हैं और पैसा अपना मांग रहे हैं पर वह भी पैसा दे पाने में सक्षम नहीं है क्योंकि उनके आका ही डूब चुका है तो उन्हें पैसे कहां से मिलेंगे।
ठगों ने कर्मचारियों से भी करवाया ठगी का काम
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ठगी करने वाले की सोच काफी ऊपर की है उन्होंने कर्मचारियों से पैसे निकलवाने के लिए एक महीने में ही कई बैंकों से कर्ज दिलवा दिया, वह कर्ज उन्होंने एक महीने में इसलिए दिलाया ताकि बैंक को सिविल में ना दिख सके की उनका लोन कहां कहां है, सिविल में कोई भी ऋण एक माह बाद दिखता है जिसका फायद उठा कर एक माह में कई बैंक से ऋण ले लिया गया, यह तरकीब के जरिए ठगों ने कर्मचारियों से ऋण कई बैंकों से निकलवाने लिए और कर्मचारियों को कर्ज दिला कर पैसे को अपने पास ले लिया, अब जब बैंक कर्ज के लिए कर्मचारी से पैसा वसूलना चाह रही है तो कर्मचारियों के पास पैसे ही नहीं है जितनी उनकी तनख्वाह है उससे ज्यादा का कजऱ् का किस्त है अब कर्मचारी फस गए हैं कि करें तो करें क्या? शिकायत करें तो कैसे करें? क्या करें? उन्हें लग रहा है कि दबाव बना कर ही पैसे निकल जाए तो अच्छा है नहीं तो डूबना ही उन्हें मंजूर है, बैंकों के नोटिस कर्जदारों को पहुंचने लगे हैं और कर्जदारों में छटपटाहट भी होने लगी है, ठगों द्वारा दिए गए चेक भी बाउंस होने लगे हैं फिर भी इंतजार शिकायतों की ही है। फ्रॉड करने वाले को यह जानकारी पहले से थी कि किसी भी कर्ज का सिविल में दिखाने के लिए एक महीने लगता है जिसका फायदा उठाकर फ्रॉड ने कर्मचारियों से एक ही महीने में अलग-अलग बैंक से कर्ज दिलवा दिया और कर्ज के आए पैसे को अपने यहां निवेश करवा लिया। वैसे इस बात की सच्चाई की पुष्टि घटती घटना नहीं करता, वहीं यह यदि जांच होगी तभी पता चल सकेगा की क्या यह संभव हैं या ऐसा हुआ है की एक माह के भीतर एक कर्मचारी का कई बैंक से ऋण स्वीकृत हुआ है वह भी उसकी ऋण लेने की क्षमता से अधिक का ऋण।
असफाक व संजीत ने अपनों को ही लूट लिया
सूत्रों का यह भी दावा है कि असफाक व संजीत ने अपने करीबियों को ही लूटा है और उनके विश्वास पर उन्होंने छुरा घोंपा है, जिस विश्वास से उन्होंने निवेशकों से पैसा लिया उस विश्वास से वह निवेशकों का पैसा नहीं लौटा पा रहे हैं, अब स्थिति यह हो गई है कि अपने-अपने क्षेत्र से वह फरार हैं और भागे फिर रहे हैं निवेशकों से संपर्क करना नहीं चाह रहे हैं, निवेशक चाहे कुछ करें पर उन्हें अब फर्क नहीं पड़ रहा, निवेशक भी लाचार हैं मायूस बैठे हैं उन्हें कोई कानूनी सलाह देने वाला भी नहीं है, सब अपने-अपने पैसे को निकालने के लिए अपने-अपने तरीके से प्रयास कर रहे हैं और मेरा निकल जाए की स्थिति में वह काम कर रहे हैं। हर निवेशक अपना पैसा निकालना चाहता है जबकि यदि पिछले कई ठगों के उदाहरण देखे जाएं तो अब यह संभव नहीं है की किसी का भी पैसा वापस होगा क्योंकि पैसा निवेश हुआ ही नहीं बल्कि येस आराम में खर्च हुआ।
ठगी से बचाने वाली पुलिस के कर्मचारी भी ठगों के चक्कर में फंसे:सूत्र
सूत्रों की माने तो जिस पुलिस का काम ठगों से आम लोगों को बचाने का होता है वह भी ठगी का शिकार हुए और ठगों ने उन्हें भी नहीं छोड़ा, कई पुलिसकर्मी भी दोनों ठगों के ठगी का शिकार हो चुके हैं। अब पुलिसकर्मी भी अपना पैसा निकल जाए इस जुगत में हैं जबकि सूत्रों की माने तो अब ठग खुद कंगाल हो चुके हैं और उनके पास अब लौटने के लिए कुछ नही है। वही पुलिस भी ठगों के सामने लाचार है क्योकि वह अपने ठगे जाने का शिकायत नहीं कर सकती।
पैसा लिया इकट्ठा और लोगों को दिया थोड़ा-थोड़ा
ठगों का यह कारोबार घटती घटना की खबर प्रकाशन तक जोर शोर से जारी रहा। जब तक लोगों को सच्चाई का ज्ञान नहीं था लोग ठगों के पास आते रहे, वहीं ठगों को भी तब तक आसानी रही की वह इसकी टोपी उसके सिर करते रहे, लेकिन जैसे ही इनका चैन टूटा और लोग निवेश करने से बचने लगे इनका व्यवसाय ठप्प होता गया और फिर धीरे धीरे सब कुछ समाप्त हो गया। बता दें की ठगों के द्वारा लोगों का पैसा इकट्ठा लिया गया निवेश के नाम पर वहीं उन्ही का पैसा वह याज के नाम पर थोड़ा थोड़ा करके लौटाते रहे वहीं जैसे ही उन्हे आभास हुआ की अब वह पैसा ज्यादा उठा लिए हैं और वह शानो शौकत में खर्च हो चुका है वहीं दैनिक घटती घटना की खबर से नए लोग ठगी से बचने लगे हैं वह फरार हो गए। अब फरार होकर वह बचते फिर रहे हैं वहीं निवेशक इंतजार में हैं की एक दिन पैसा मिलेगा जिसको लेकर यह स्पष्ट अब कहा जा सकता है की पैसा डूब चुका लोगों का और अब वह पैसे की आस में जितना संतोष कर लें उतना ही उनकी मन की शांति के लिए काफी है।
संजीत ने कई बार बदला ऑफिस नाम
क्या संजीत अग्रवाल शेयर मार्केट के आड़ में लोगों को ठग रहा था? एक आलीशान ऑफिस बनाकर क्या लोगों को यह विश्वास दिला रहा था कि वह शेयर मार्केट में पैसा लगा रहा है पर सवाल यह भी है कि आखिर शेयर मार्केट में ऐसा कौन सा प्रॉफिट हो रहा था कि वह 20 प्रतिशत अपने निवेशकों को दे रहा था और जब उसको शेयर मार्केट में इतना प्रॉफिट हो रहा था तो फिर 2 महीने से फरार क्यों है यहां तक कि ऑफिस में भी 2 महीने से ताला लगा हुआ है सूत्रों का यह भी कहना है कि समय-समय पर ऑफिस का नाम भी बदलता था कई बार ऑफिस का नाम बदल चुका है अभी जो वर्तमान में उसके ऑफिस का नाम स्टॉक सॉल्यूशन रखा गया था जो अंबिकापुर में होली क्रॉस के सामने स्थित था।


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