कोरिया/पटना@नगर पंचायत बनने के बाद क्या पटना की मुख्य सड़क होगी 40 फीट चौड़ी और हटेगा नजूल भूमि का कब्जा?

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-रवि सिंह-
कोरिया/पटना,13 सितम्बर 2024 (घटती-घटना)।
कोरिया जिले में अभी तक दो नगर पालिका क्षेत्र थे अब तीसरा पटना को नगर पंचायत बना दिया गया, ग्राम पंचायत पटना को नगर पंचायत बनाने के लिए काफी समय से मांग हो रही थी यह बात अलग है कि पटना नगर पंचायत बने इस बात को लेकर लोगों का समर्थन भी था वहीं नगर पंचायत न बने इसका विरोध भी था, इसके बावजूद अब पटना नगर पंचायत पूरी तरीके से अस्तित्व में आ गया है और अब आगामी चुनाव में यहां नगरीय निकाय के चुनाव होंगे भी, वहीं जहां नगर पंचायत का समर्थन करने वालों का यह कहना है की नगर पंचायत बनने से पटना का विकास होगा तो वहीं नगर पंचायत बनने का विरोध करने वाले का कहना है कि लोगों पर कर का बोझ बढ़ेगा। नगर पंचायत ना बने इसके लिए एक वर्ग बहुत प्रयासरत था लेकिन अब इसके बावजूद ग्राम पंचायत पटना नगर पंचायत बन चुका है जिसे अब निरस्त नहीं किया जा सकता फिर भी लोग विरोध में बैठे हैं और यह उम्मीद लगा रहे हैं की शायद उनके विरोध से पटना नगर पंचायत पुनः ग्राम पंचायत ही रह जाए जो नामुमकिन जैसी स्थिति है। अब जहां नगर पंचायत का दर्जा पटना को मिल चुका है और पटना भी अब शहरी क्षेत्र में आ गया है अब इसके शहरी क्षेत्र हो जाने से जहां विकास की लोगों ने उम्मीद रखी थी अब वह विकास के तहत क्या नजूल भूमि से कब्जा खाली कराए जाएंगे और पटना की बाजार के मुख्य सड़क 40 फीट चौड़ी होगी या फिर पटना भी बैकुंठपुर की ही तरह संकरा रह जायेगा और विकास और साफ सफाई केवल जुमला रह जायेगा।


एक नजूल भूमि से कब्जा हटेगा या फिर पटना के सारे नजूल भूमि कब्जा मुक्त होंगे?
पटना में नजूल भूमि पर काफी लोग कब्जा किए हुए हैं और उनके पास कोई पट्टा भूमि का नहीं है। शासन की फ्रीहोल्ड स्कीम भी अब समाप्त हो चुकी है और अब शुल्क चुकाकर भी कोई नगरीय क्षेत्र में पट्टा प्राप्त नहीं कर सकता है। अब सवाल यह है की क्या केवल 2 एकड़ ही नजूल भूमि के कब्जे को हटाने के लिए आवेदक खड़े होंगे शिकायत होगा की अन्य भी मामलों में कार्यवाही होगी और लोगों का बेजा कब्ज़ा हटाया जायेगा। वैसे पूरे पटना में बाजारपारा के अलावा कई जगह लोग कई एकड़ जमीन नजूल की कब्जा किए बैठे हैं जिसका चिन्हांकन जरूरी है और उसके अनुरूप सभी का कजा भी हटाया जाना जरूरी है यदि किसी एक का कब्जा हटाया जाता है। बाजारपारा सहित लगभग हर मोहल्ले में कजा लोगों का नजूल भूमि पर है यहां तक की चौक चौराहों पर भी लोगों ने कब्जा कर रखा है जिसे खाली कराया जाना अत्यंत आवश्यक है तभी न्याय वाली बात होगी।
बाजार में एक तरफ तो लोगों की पट्टे की भूमि है और एक तरफ की ज्यादातर नजूल कब्जे की भूमि
पटना की बात की जाए तो पटना बाजारपारा में नजूल भूमि पर काफी लोगों का कब्जा है और हाल ही में सरकार ने फ्रीहोल्ड वाली पूर्व कांग्रेस सरकार की योजना भी समाप्त कर दी है जिससे कब्जाधारियों को पट्टा मिल सके या उनका कब्जा बरकरार रहे वहीं यदि वह योजना बरकरार भी की जाती है तो 152 प्रतिशत का शुल्क चुका पाना हर कब्जाधारी के लिए संभव नहीं क्योंकि कई तो छोटी मोटी ही दुकानदारी चलाते हैं। पटना के विकास के लिए उसके नगरीय स्वरूप में आने के बाद उसके बेहतर निस्तार के लिए यह आवश्यक होगा की बाजारपारा की कब्जे वाली नजूल भूमि खाली कराई जाए और जिससे बाजार में सड़क नाली सहित अन्य विकास के कार्य संभव हो सकें। बाजार में एक तरफ तो लोगों के पट्टे की भूमि है लेकिन एक तरफ की ज्यादातर भूमि कब्जे की है जो कई दशकों से लोगों के कब्जे में है और अब पटना के विकास के लिए उस कब्जे को खाली करवाना नगरीय प्रशासन की मजबूरी होगी और वह कैसे खाली हो यह उनका प्रथम प्रयास होना चाहिए। कुछ लोगों का कहना यह भी है की कुछ लोगों का कब्जा एकड़ों में है और यदि वह पटना के विकास के पक्षधर हैं तो वह कब्जा छोड़ दें और समाने से आकर ऐलान कर दें जिससे पटना का विकास चहुमुंखी संभव हो सके।


2 एकड़ नजूल भूमि से कब्जा खाली कराने के लिए लोगों ने कलेक्टर से की गुजारिश,क्या कब्जा कलेक्टर खाली करा पाएंगी?
सूत्रों की माने तो पटना में एक नजूल भूमि का हिस्सा ऐसा भी है जिसका रकबा 2 एकड़ के आसपास है और जिसपर एक ही व्यक्ति का कब्जा है। लोगों ने शिकायत कर कब्जा खाली कराने की मांग की है और लोगों का कहना है की यही भूमि पटना के विकास में चार चांद लगा सकती है। अब क्या उक्त 2 एकड़ भूमि से जो नजूल भूमि है क्या कलेक्टर कब्जा खाली करा पाएंगी, क्या लोगों की मांग पर राजस्व अमला नजूल भूमि के बड़े हिस्से से कब्जा खाली करा सकेगा। वैसे शिकायत करने वालों का कहना है की सबसे पहले सबसे बड़े नजूल भूमि कब्जे को खाली कराया जाए और उसके बाद ही छोटे कब्जे खाली कराए जाएं।


विकास के लिए कौन-कौन त्यागेंगे नजूल जमीन?
पटना ग्राम पंचायत से नगर पंचायत बने यह मांग कई लोगों की थी और दोनो प्रमुख दलों के नेता भी ऐसा ही चाहते थे जो संभव हो गया। अब बात विकास की आ गई है वहीं नगर पंचायत का कार्यालय सहित अन्य नगर पंचायत के स्थापन्न के लिए भूमि की आवश्यकता पड़ेगी जो पटना में उपलब्ध तो है लेकिन लोगों के कब्जे में है वह भी ऐसे लोगों के कब्जे में है जो नगर पंचायत के पक्षधर हैं। अब क्या वह अपना नजूल भूमि कब्जा छोड़ते हैं या वह बिना कब्जा छोड़े की नगर पंचायत का अस्तित्व देखना चाहते हैं। अब कब्जा छोड़ने के आधार पर ही तय होगा कौन नगर पंचायत का पक्षधर है और कौन पक्षधर नहीं है या केवल जो चुनाव लड़कर केवल पद पाना चाहता है।
क्या पटना बाजार पारा के निवासी 30 से 40 फिट सड़क के लिए तैयार है…
पटना के नगर पंचायत बनते ही अब यह सवाल खड़ा हो रहा है की क्या अब बाजार पारा के लोग नगर विकास के लिए अपना भी योगदान देंगे वह सड़क के चौड़ीकरण के लिए 30 से 40 फिट वाली सड़क को समर्थन देंगे? सड़क चौड़ीकरण के बाद ही पटना नगरीय स्वरूप में दिखने लायक होगा वरना एक तंग गलियों वाला कोई मोहल्ला ही वह बनकर रह जायेगा। 30 से 40 फिट सड़क चौड़ीकरण के लिए त्याग कई लोगों को करना होगा और यही त्याग साबित करेगा की कौन नगर विकास के लिए प्रतिबद्ध है और कौन अपने स्वार्थ को आगे रखकर मात्र चल रहा है और केवल कहने को नगरीय क्षेत्र घोषित होने का स्वागत कर रहा है या चुनाव लडना ही केवल उसकी मंशा है।


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