अम्बिकापुर@ सरगुजा कलेक्टर को कार्यालय अधीक्षक के रहते हुए भी प्रभारी अधीक्षक पर ही भरोसा क्यों?

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-भूपेन्द्र सिंह-
अम्बिकापुर,04 सितम्बर 2024 (घटती-घटना)।
प्रदेश में क्या हो रहा है यह सवाल इसलिए उत्पन्न हो चुका है क्योंकि जो हो रहा है वह नियम को शिथिल करके ही हो रहा है,एक मामला सामने आया है वह मामला है कलेक्टर के अधीक्षक का पूरे प्रदेश में कुल 39 अधीक्षक का पद है 33 कलेक्टर अधीक्षक व पांच कमिश्नर अधीक्षक व एक रिवेन्यू बोर्ड अधीक्षक होते हैं पर इस समय पूरे प्रदेश के 33 जिले में से 20 जिला कलेक्टर अधीक्षक से चल रहा है तो वहीं 13 जिले के कलेक्टर के अधीक्षक प्रभारी हैं,जिसमें से हम बात करें सरगुजा जिले की तो यहां तो स्थिति और भी विपरीत है यहां पर कलेक्टर अधीक्षक का पद स्वीकृत है और कलेक्टर अधीक्षक इस जिले में मौजूद है फिर भी निर्वाचन कार्यालय के सुपरवाइजर से प्रभारी अधीक्षक बने प्रमोद सिंह पर कलेक्टर सरगुजा विलास भोसकर संदीपन का भरोसा ज्यादा है,इस समय सरगुजा कलेक्टर प्रभारी कलेक्टर कार्यालय अधीक्षक प्रमोद सिंह के मार्गदर्शन में चल रहे हैं,सवाल यह भी उत्पन्न होता है कि आखिर जब कलेक्टर कार्यालय के अधीक्षक मौजूद है तो फिर प्रभारी अधीक्षक की जरूरत क्या है और वह भी उस अधीक्षक की जो इस समय दोनों जगह का काम देख रहे हैं जिला के निर्वाचन विभाग के सुपरवाइजर भी हैं और कलेक्टर सरगुजा कार्यालय के प्रभारी अधीक्षक भी और उसके साथ ही यह वह व्यक्ति हैं जिनका नाम राजमोहिनी जमीन घोटाले में भी सामने आया था पुलिस ने बयान भी लिया था उस समय यह नजूल के बाबू थे। आपको बता दें कि कलेक्टर सरगुजा के प्रभारी अधीक्षक प्रमोद सिंह किसी पहचान के मोहताज नहीं है इनकी कार्यशैली ही बड़ी अजीब है हम यदि इनके नौकरी के कार्यकाल पर नजर डालें तो प्रमोद सिंह की नौकरी संविदा में 1988 में जल संसाधन विभाग में लगी थी उसके बाद यह रेगुलर होकर सहायक ग्रेड 3 बन गए थे,फिर प्रमोशन होने के बाद सहायक ग्रेड 2 हो गए, यहां तक की 2022 में इनका स्थानांतरण बलरामपुर जिले में हुआ था पर उस समय के तत्कालीन कलेक्टर ने भारमुक्त नहीं किया,जिस वजह से वह आज भी सरगुजा में अपनी पैठ जमाए हुए हैं नजूल विभाग में रहते हुए इनका नाम राजमोहिनी जमीन घोटाले में भी सामने आया था,उस समय यह वहां के बाबू थे अचानक 2023 में जब सरगुजा के तत्कालीन कलेक्टर कुंदन कुमार की पदस्थापना हुई उस समय यह कलेक्टर अधीक्षक को हटाकर प्रभारी अधीक्षक का जगह लेने में सफल हो गए और बताया तो ये भी जाता है कि प्रभारी अधीक्षक होने की वजह से ही राजमोहिनी जमीन घोटाले में भी बचने में भी सफल हो गए। वर्तमान में भी वह सरगुजा कलेक्टर विलास भोसकर संदीपान के प्रभारी अधीक्षक हैं,चर्चा तो यह भी है कि कलेक्टर धृतराष्ट्र बने हुए हैं और प्रभारी अधीक्षक प्रमोद सिंह दुर्योधन,जो प्रमोद सिंह कहते हैं वही कलेक्टर साहब करते हैं चाहे क्यों ना उन्हें नियम के विरुद्ध जाना पड़े सूत्रों की माने तो दैनिक घटती-घटना कार्यालय पर हुई कार्यवाही में भी उनकी भूमिका अहम है क्योंकि कलेक्टर सरगुजा को इन्होंने दिगभ्रमित करके कार्यवाही करवाया और राजमोहिनी जमीन घोटाले मामले में छप रही खबरों का उन्होंने अखबार से बदला निकाला। अखबार समूह से बदला लेने के लिए प्रभारी अधीक्षक ने अपने कलेक्टर को खूब इस्तेमाल किया और नियम विरुद्ध तरीके से उनका कलम फसाने में खूब भूमिका निभाई। दैनिक घटती-घटना के खोजी संवाददाता इस मामले में और भी खोजबीन कर रहे हैं बहुत जल्द और भी जानकारी प्रकाशित की जाएगी।

एक सामान्य कर्मचारी होने के बावजूद करोड़ों की संपçा की अर्जित कैसे…? यह बड़ा सवाल प्रमोद सिंह सहायक ग्रेड 2 के कर्मचारी हैं पर यदि उनके आय की जांच की जाए तो सारी हकीकत सामने आ जाएगी कि आखिर पैसा उन्होंने कैसे कमाए राजस्व में इनकी पैठ बहुत है,वह पत्नी-बच्चे के नाम अकूत चल-अचल सम्पत्ति बना चुके हैं राजमोहिनी जमीन मामले में भी उन्होंने खूब माल अंदर किया ऐसा चर्चा आम है।

विभागीय जानकारों की मानें तो कलेक्टर कार्यालय का अधीक्षक सहायक ग्रेड 2 का लिपिक नहीं हो सकता। वह उससे उच्च श्रेणी लिपिक ही बन सकता है उसके बावजूद सरगुजा कलेक्टर कार्यालय का अधीक्षक एक सहायक ग्रेड 2 लिपिक बना हुआ है। ऐसा हम नहीं नियम कहता है। अधीक्षक का पद कलेक्टर कार्यालय में राजपत्रित श्रेणी का हो जाता है और सरगुजा में इस नियम के विपरीत कार्यालय अधीक्षक की मौजूदगी के बावजूद एक सहायक ग्रेड 2 असल अधीक्षक बनकर बैठा है और असल अधीक्षक दूसरा काम देख रहा है। खुद को नियम कायदे का पक्का बताने वाले सरगुजा कलेक्टर भी इस मामले में मौन हैं और सबकुछ जानकर भी वह अनजान बने हुए हैं। वैसे लोगों का कहना है की सरगुजा कलेक्टर की कुर्सी का मोह ही गजब का है जो आता है वह फिर नियम-कायदा भूल जाता है और वही करता है जो पीछे अन्य कर गुजरे हैं।

बताया जा रहा है की सरगुजा कलेक्टर कार्यालय के प्रभारी अधीक्षक का अन्य कर्मचारियों से नहीं जमता। कार्यालय के ही अन्य कर्मचारी एक तरह से उन्हें पसंद नहीं करते क्योंकि वह मनमानी करने में माहिर हैं वहीं उच्च अधिकारियों के चापलूसी में वह अन्य कर्मचारियों की कमियां गिनाने का काम करते हैं। साथ ही एक कर्मचारी ने नाम ना बताने की शर्त पर यह भी बताया कि हर विभाग से इनके द्वारा वसूली भी की जाती है,दैनिक घटती-घटना इस बात की पुष्टि नहीं करता पर इस बात पर अधिकारियों को संज्ञान लेकर अंदरूनी जांच करानी चाहिए।


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