@ किसका हुक्म मान कर सरगुजा कलेक्टर विलास भोस्कर संदीपान ने प्रतिष्ठान व कार्यालय पर बुलडोजर चलाया?
@ अखबार के कलम बंद करने से लेकर अखबार के कार्यालय व संपादक के प्रतिष्ठान के टूटने तक की कहानी अपनी जुबानी।
-भूपेन्द्र सिंह-
अम्बिकापुर,03 सितम्बर 2024 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग के दैनिक घटती-घटना अखबार को आखिरकार कलम बंद क्यों करना पड़ा..? यह सवाल सभी के जेहन में आ रहा होगा, तो हम आपको बताना चाहेंगे कि दैनिक घटती-घटना अखबार सदैव ही लोगों के लिए सच्ची खबर प्रकाशित करने का काम करता है… सरकार किसी की भी हो उन्हें कमियां दिखाने का काम करता रहा है…वर्तमान सरकार में कमियों को दिखाने का काम एक बार फिर दैनिक घटती-घटना ने शुरू किया जिसका परिणाम यह मिला की कार्यालय व प्रतिष्ठा को जमीदोज कर दिया।
कलेक्टर सरगुजा को वैसे तो काफी ईमानदार छवि का माना जा रहा था जब वह सरगुजा पहुंचे थे कलेक्टर बनकर लेकिन जैसे ही उनका नाम प्रभारी डीपीएम प्रिंस जायसवाल से जुड़ा वैसे ही उनकी भी छवि अब पाक-साफ नहीं रह गई यह माना जा सकता है। एक फर्जी अहर्ता के आधार पर नौकरी करने के आरोपी के साथ उनकी घनिष्ठता उनकी छवि को नुकसान पहुंचा दिया। प्रभारी डीपीएम प्रिंस की तो आदत में ही छल और भ्रष्टाचार शुमार है वहीं जैसे ही उसकी शिकायत पर कलेक्टर सरगुजा एक अखबार के विरुद्ध सक्रिय हुए उसे नेस्तनाबूत करने के लिए यह तय हो गया कि कलेक्टर सरगुजा खुद के विवेक से चलने की बजाए एक ऐसे व्यक्ति के इशारे पर काम कर रहे हैं जो फिलहाल जिस नौकरी में है उसके ही जांच की मांग हो रही है और उसके अहर्ता के भी फर्जी होने की बात कही जा रही है भ्रष्टाचार के आरोप तो जो हैं वह हैं ही।
हमारा कसूर मात्र खबर लिखना
क्या सरकार की नजर में हमारा कसूर खबरों के मध्यम से कमी दिखाना था,क्या सही में यही वजह थी इसलिए प्रतिष्ठान को नेस्तनाबूत करने का निर्णय लिया गया,क्योंकि वह सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने वहीं सरकार के मंत्रियों के इर्द-गिर्द रहने वाले भ्रष्ट एवं ऐसे अधिकारियों के खिलाफ वह अभियान चला रहा होता है, जिनकी या तो डिग्री फर्जी है या फिर वह फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे हैं, यदि कहा जाए कि केवल गलत लोगों साथ ही भ्रष्टाचार के रास्ते नौकरी में आए भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों के लिए ही सरकार केवल सही व्यवहार रखती है…? ईमानदार और भ्रष्टाचार विरुद्ध सोच रखने वाले के खिलाफ ही सरकार क्या षड्यंत्र कर रही है…यह भी एक बड़ा सवाल है। जिस तरह दैनिक घटती-घटना समाचार पत्र के विरुद्ध द्वेषवश कार्यवाही सरकार ने की वह कार्यवाही कोई हिंदूवादी सरकार की कार्यवाही नहीं कही जा सकती…? क्योंकि कार्यवाही पीठ पर वार जैसी थी वहीं कार्यवाही जब की गई समाचार-पत्र के संपादक के विरुद्ध वह गमगीन अवस्था में थे यदि कहा जाए सूतक काल में थे। वैसे कार्यवाही के संदर्भ में यह भी देखने को मिला कि कार्यवाही के लिए सरकार ने अपनी पूरी ताकत लगा दी, यहां तक कि कैबिनेट की बैठक भी उन्हे करनी पड़ी जो यह साबित करने काफी है कि सरकार प्रदेश की हिंदूवादी सरकार जो भ्रष्टाचार के विरुद्ध खुद को एक बेहतर सरकार बतलाती है वह भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए निम्न स्तरीय निर्णय लेने भी मजबूर हुई क्योंकि भ्रष्टाचारी एक तरफ एक मंत्री का भतीजा भी है और वहीं उसी मंत्री का एक ओएसडी भी और दोनों ही की नौकरी भी फर्जी है डिग्री फर्जी है एक की नौकरी फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर लगी है।
कार्यवाही हुई तो उसके शिकायत पर जिसकी खबर छप रही थी, सरगुजा से नहीं मिला शकायतकर्ता… तो ढूंढ लाए कोरिया से…
दैनिक घटती-घटना अखबार के कार्यालय व प्रतिष्ठा पर कार्यवाही करने के लिए सरगुजा जिला प्रशासन ने कैसे शिकायतकर्ता को ढूंढ कर लाया,वह भी जिसके विरुद्ध लगातार अनियमिताओं खबर छप रही थी,सरगुजा जिले में नहीं मिला शिकायतकर्ता तो कोरिया से ढूंढ निकाला गया शिकायतकर्ता,ताकि अखबार को आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा सके और खबर को लेकर दबाव बनाया जा सके। यहां तक की कलम बंद अभियान को भी बंद किया जा सके।
संविधान विरोधी कार्यवाही में कौन-कौन थे शामिल…
न्यायालय में जवाब तो सबको देना होगा…
@ प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जो दैनिक घटती-घटना की खबरों की ही देन है उनसे जुड़ी कमियों को अखबार ने जब दिखाना शुरू किया तो उन्हें यह बात रास नहीं आई।
@ स्वास्थ्य मंत्री के विभाग में जो हो रहा था उससे उनकी छवि खराब हो रही थी जिसे बताने का काम दैनिक घटती-घटना ने किया तो यह नहीं पता था कि उन्हें बताना कभी महंगा पड़ेगा।
@ कमियां दूर करने के बजाय दैनिक घटती-घटना को दबाने के लिए उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए जून 2024 में शासकीय विज्ञापन पर रोक लगाया गया।
@ विज्ञापन रोक लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर दबाब बनाने के फैसले के विरोध में दैनिक घटती-घटना ने 1 जुलाई 2024 से कलम बंद अभियान की शुरुआत की ताकि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ हमेशा ही स्वतंत्रता के साथ काम कर सके।
@ दैनिक घटती-घटना अखबार इस अभियान को सिर्फ अपने लिए शुरू नहीं किया लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को बचाने के लिए इस अभियान को शुरू किया…।
@ 3 जुलाई 2024 को टीएल मीटिंग में कलेक्टर साहब ने अपने घनिष्ठा प्रिंस जायसवाल के आवेदन को मंगाया और जांच के लिए आदेशित किया।
@ 5 जुलाई 2024 को नमनाकला आरआई ने जांच प्रतिवेदन जांच करके सौंप दिया।
@ 10 जुलाई 2024 को आबंटन/व्यवस्थापन समिति के द्वारा हमारे आबंटन/व्यवस्थापन प्रकरण को अपात्र घोषित कर दिया गया।
@ 13 जुलाई 2024 को मंत्री जी के प्रतिनिधि मंडल संपादक के कार्यालय पहुंचे बातचीत हुई और चलते बने।
@ 19 जुलाई 2024 को कैबिनेट की बैठक रखी गई और पूर्व सरकार के फ्र ी होल्ड व 152 प्रतिशत वाली योजना को निरस्त कर दिया गया,जिस कारण पुरे प्रदेश के लोगो को नुकसान हुआ जिसका खामियजा नगरी निकाय चुनाव में वर्तमान सरकार भुगतना पड़ सकता है।
@ अखबार के कार्यालय को और संपादक के प्रतिष्ठान को तोड़ने के लिए 19 जुलाई 2024 को कैबिनेट की बैठक रखी गई।
@ 23 जुलाई 2024 को पूर्व सरकार के 152 परसेंट व फ्र ी होल्ड योजना को निरस्त कर दिया गया…यह आदेश लोगों की जानकारी में 26 जुलाई को आया और 26 जुलाई को ही बेदखली का नोटिस 23 जुलाई की तिथि पर दिया गया।
@ अखबार के संपादक को बेदखली का नोटिस पितृ शोक के दौरान मिला 26 जुलाई को शाम 6ः45 बजे के बाद मिला और 27 जुलाई का समय दिया गया बेदखली का।
@ पितृ शोक में रहने के बावजूद संपादक ने तत्काल ही 26 जुलाई को संबंधित अधिकारी को बेदखली में खाली करने के लिए समय मांगा गया पर समय न देकर 28 जुलाई को सुबह 5ः00 बजे प्रशासन कई बुलडोजर व सुरक्षा के साथ पहुंच गया।
@ कार्यवाही की एक दिन पहले 27 जुलाई को रात 10ः30 बजे स्वास्थ्य मंत्री के प्रतिनिधिमंडल जिसमें उनके ओएसडी संजय मरकाम सहित तीन अन्य लोग संपादक के घर बैठे रहे और मामले पर बात करते रहे।
@ स्वास्थ्य मंत्री का प्रतिनिधिमंडल 4ः00 तक संपादक के घर बैठ रहा और 5ः00 बजे कार्रवाही करने पूरा प्रशासनिक अमला पहुंच गया।
@ दैनिक घटती-घटना के कलम बंद अभियान को संज्ञान में लेने के बजाय उस अभियान को बंद करने के लिए 28 जुलाई 2024 अखबार के कार्यालय व संपादक के प्रतिष्ठान पर बुलडोजर की कार्यवाही की गई।
@ दैनिक घटती-घटना के कलमबंद अभियान के तहत प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मंत्री और संयुक्त संचालनालय जनसंपर्क के उपसंचालक मयंक श्रीवास्तव से शासकीय विज्ञापन बंद करने को लेकर सवाल पूछा कि आखिर क्या छापे जिससे आपको बुरा ना लगे?
@ यह बात भी सरकार को नागवार गुजरी और सरकार ने और बड़ा कदम उठाया ताकि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कुचला जा सके।
@ कलमबंद अभियान के तहत 28 दिनों से प्रदेश के जिम्मेदार व प्रदेश की बेहतरी के लिए जिनके हाथों में कमान है उनसे सवाल किया गया पर वह सवाल को भी बर्दाश्त नहीं कर पाए और 28 में दिन दैनिक घटती घटना के संस्थान पर बुलडोजर चलवा दिया।
@ बुलडोजर चलवाना भले ही लोकतंत्र को कुचलने के लिए आसान लगा हो पर बुलडोजर चलने की आवाज भी पूरे देश में गूंज गई।
@ पूरे देश में छत्तीसगढ़ सरकार की तानाशाही दिख गई,लोकतंत्र की हत्या करने का प्रयास दिख गया, पर नहीं दिख सकी तो सरकार की संवेदनशीलता सरकार ने यह बता दिया कि उनके अंदर संवेदना बिल्कुल नहीं है।
@ जिस समय कार्यवाही की गई वह समय संपादक के घर पर शोक का था पर शोक के समय में सरकार ने कार्यवाही करके हिंदूवादी पार्टी होने के दावे को भी झुठला दिया।
@ अखबार जो कमियों को दिखा रहा था वह कमी वाकई में सरकार की छवि को खराब कर रही थी सरकार अखबार की खबरों पर संज्ञान लेकर अपनी छवि को बेहतर कर सकती थी।
@ उनके मंत्री अपनी छवि को बेहतर कर सकते थे पर अपनी छवि बेहतर करने के बजाय अपनी छवि को और खराब करने का सरकार का प्रयास सरकार के लिए ही गले की फांस बन गई।