@नियम को तोड़ मरोड़ कर अखबार के कार्यालय व प्रतिष्ठान को किया तबाह?
@ क्या प्रभारी डीपीएम प्रिंस ने अपने घनिष्ठ सरगुजा कलेक्टर एवं एनएचएम के पूर्व एमडी का इस्तेमाल किया दैनिक घटती-घटना कार्यालय प्रतिष्ठान तुड़वाने के लिए?
@ अखबार के कार्यालय व प्रतिष्ठान पर हुई कार्यवाही को लेकर सरगुजा कलेक्टर व प्रिंस के पुराने संबंधों की बात आ रही सामने…
@ जो अखबार प्रिंस के अनियमिताओं की खबर प्रकाशित कर रहा था उसी की शिकायत पर कलेक्टर ने अखबार के कार्यालय व प्रतिष्ठान पर की द्वेषपूर्ण बुलडोजर कार्यवाही
@ प्रभारी डीपीएम की शिकायत निकली काफी प्रभावशील पर प्रभारी डीपीएम के विरुद्ध हो रही शिकायत क्या नहीं है जांच लायक?
-विशेष संवाददाता-
अम्बिकापुर/रायपुर,29 अगस्त 2024 (घटती-घटना)। वर्तमान शासन के द्वारा किसी अखबार के प्रतिष्ठान व कार्यालय पर की गई कार्यवाही पूरे प्रदेश के लिए सुर्खियां बन गई है। सुर्खियां इसलिए बन गई हैं क्योंकि कार्यवाही भी नियमों को तोड़-मरोड़ कर सरगुजा कलेक्टर ने अपने घनिष्ठ प्रभारी डीपीएम प्रिंस जायसवाल को खुश करने के लिए किया है। जैसे-जैसे समय बीत रहा है…वैसे-वैसे कई तथ्य व बातें सामने आने लगी है…और जो तथ्य व बातें सामने आ रही हैं…वह कहीं ना कहीं मामले से जुड़ा हुआ है… और उस पर विश्वास करने योग्य है। सरगुजा कलेक्टर भोस्कर विलास संदीपान पूर्व सरकार में एनएचएम के एचडी थे जिस वजह से एनएचएम के प्रभारी डीपीएम प्रिंस जायसवाल के साथ उनके घनिष्ठ संबंध होने की बात भी सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि दोनों के बीच काफी घनिष्ठ संबंध थे,जिस वजह से प्रभारी डीपीएम प्रिंस जायसवाल की शिकायत पर सरगुजा अंचल के समाचार-पत्र दैनिक घटती-घटना कार्यालय व प्रतिष्ठान पर नियमों को तोड़-मरोड़कर कार्यवाही की गई ताकि कलेक्टर के घनिष्ठ प्रिंस जायसवाल के विरुद्ध अखबार खबर न प्रकाशित करे क्योंकि उनके घनिष्ठ मित्र प्रभारी डीपीएम प्रिंस जायसवाल की अनियमिताओं की शिकायतें तो हैं ही…साथ ही साथ ही उनकी डिग्री भी फर्जी होने का आरोप है, जिसकी जांच के लिए एक व्यक्ति कार्यालय के चक्कर लगा रहा है पर उसकी शिकायत पर कार्यवाही नहीं हो रही,पर वहीं शिकायतों के आधार पर खबर प्रकाशित करने वाले अखबार पर उस व्यक्ति की शिकायत पर कार्यवाही हुई जिसकी खबर उस अखबार में प्रकाशित हो रही थी और कार्यवाही भी नियम के विरुद्ध हुई और ऐसे समय पर हुई जिसे लेकर सरकार व प्रशासन की छवि भी गिर गई,एक प्रभारी डीपीएम से अपने घनिष्ठता का परिचय देते हुए सरगुजा कलेक्टर ने अपनी नीची सोच का परिचय दे दिया। वैसे क्या एनएचएम के डायरेक्टर रहते हुए क्या कलेक्टर सरगुजा ने डीपीएम प्रिंस जायसवाल के साथ क्या कुछ ज्यादा घनिष्ठता बनाई हुई थी यह भी अब एक बड़ा सवाल है?
ईमानदार कलेक्टर ने अपने बेईमान घनिष्ठ प्रभारी डीपीएम के लिए अपनी ही कलम को फंसा लिया?
कलेक्टर सरगुजा को वैसे तो काफी ईमानदार छवि का माना जा रहा था जब वह सरगुजा पहुंचे थे कलेक्टर बनकर लेकिन जैसे ही उनका नाम प्रभारी डीपीएम प्रिंस जायसवाल से जुड़ा वैसे ही उनकी भी छवि अब पाक-साफ नहीं रह गई यह माना जा सकता है। एक फर्जी अहर्ता के आधार पर नौकरी करने के आरोपी के साथ उनकी घनिष्ठता उनकी छवि को नुकसान पहुंचा रही है। प्रभारी डीपीएम प्रिंस की तो आदत में ही छल और भ्रष्टाचार शुमार है वहीं जैसे ही उसकी शिकायत पर कलेक्टर सरगुजा एक अखबार के विरुद्ध सक्रिय हुए उसे नेस्तनाबूत करने के लिए यह तय हो गया की कलेक्टर सरगुजा खुद के विवेक से चलने की बजाए एक ऐसे व्यक्ति के इशारे पर काम कर रहे हैं जो फिलहाल जिस नौकरी में है उसके ही जांच की मांग हो रही है और उसके अहर्ता के भी फर्जी होने की बात कही जा रही है भ्रष्टाचार के आरोप तो जो हैं वह हैं ही।
महाराष्ट्र के रहने वाले आईएएस ने छत्तीसगढ़ में एक अजीबोगरीब उपलब्धि अपने साथ जोड़ ली…
विलास भोसकर संदीपान छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस तो हैं लेकिन वह महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। महाराष्ट्र के रहने वाले कलेक्टर सरगुजा ने छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर जिले के कलेक्टर के तौर पर कार्य करते हुए केवल इसलिए एक अखबार के कार्यालय पर कार्यवाही द्वेषपूर्ण कार्यवाही की क्योंकि वह अखबार एक ऐसे व्यक्ति के खिलाफ समाचार प्रकाशित कर रहा था जो फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी कर रहा है और जिसके ऊपर इस आरोप के साथ भ्रष्टाचार के भी आरोप हैं। कहा जाए तो एक भ्रष्ट व्यक्ति के लिए सारे नियमों को उलट-पलट दिया कलेक्टर सरगुजा ने खुद की ईमानदार छवि को उन्होंने एक भ्रष्ट व्यक्ति के लिए हाशिए पर डाल दिया।
एक प्रभारी डीपीएम के लिए कलेक्टर,स्वास्थ्य मंत्री सहित पूरा शासन व प्रशासन अपनी फजीहत करा लिया
एक प्रभारी डीपीएम में ऐसा क्या खास है जबकि उसकी डिग्री भी फर्जी है जिस आधार पर वह नौकरी में है ऐसा आरोप है के इशारे पूरी सरकार मंत्री कलेक्टर जो चल रहे हैं। ऐसा क्या वह फायदा इन लोगों को पहुंचा रहा है जो सभी नियम उसके लिए तोड़े जा रहे हैं। वह भ्रष्टाचार भी करे तो जांच नहीं उसकी डिग्री भी फर्जी फिर भी कोई कार्यवाही या जांच नहीं ऐसा क्यों। आखिर क्यों उस डीपीएम फर्जीवाड़े के आरोपी डीपीएम के लिए सभी अपनी फजीहत करा रहे हैं। सवाल कई हैं और जवाब मांगा जाएगा क्योंकि बात ही कुछ ऐसी है।
कार्यवाही हुई तो उसके शिकायत पर जिसकी खबर छप रही थी… सरगुजा से नहीं मिला शिकायतकर्ता तो कोरिया से ढूंढ लाए…
दैनिक घटती घटना अखबार के कार्यालय व प्रतिष्ठा पर कार्यवाही करने के लिए सरगुजा जिला प्रशासन ने कैसे शिकायतकर्ता को ढूंढ कर लाया, वह भी जिसके विरुद्ध लगातार अनियमिताओं खबर छप रही थी, सरगुजा जिले में नहीं मिला शिकायतकर्ता तो कोरिया से ढूंढ निकाला गया शिकायतकर्ता,ताकि अखबार को आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा सके और खबर को लेकर दबाव बनाया जा सके। यहां तक की कलम बंद अभियान को भी बंद किया जा सके।
वर्ष 2000 से वर्ष 2024 तक कई कलेक्टर बदले किसी को भी जमीन कीमती नहीं देखी…कीमती लगी भी तो…सरगुजा के 52 वें कलेक्टर साहब को…
सरगुजा जिला के पहले कलेक्टर की पदस्थापना 1 जनवरी 1948 को हुई थी वह कलेक्टर का नाम है जेडी केरवाला,तब के बाद से विलास भोसकर संदीपन 52 नंबर के कलेक्टर है,जिस जमीन से बेदखली की गई उसे पर कब्जा लगभग 198४ से था,198४ से यदि देखे तो 26 कलेक्टर आए व गए किसी को भी उस जमीन की लालसा नहीं दिखाई दी। जमीन पर दैनिक घटती-घटना का कार्यालय स्थापित है उसे जमीन पर कब्जा लगभग ३५-40 वर्ष पुराना है यहां तक की कार्यालय का भी 25 वर्ष लगभग होने को है पर इतने वर्षों में भी किसी भी कलेक्टर को वह जमीन बेशकीमती नहीं लगी, अचानक जब सत्ता परिवर्तन हुआ और भाजपा की सरकार आई और कुछ छोटी सोच के मंत्री आए तब उसे जमीन की कीमत बेस कीमती कलेक्टर साहब को लगने लगी,पर सवाल यह है कि पूरे सरगुजा के अंबिकापुर शहर में ४०-४५ प्रतिशत आबादी की जमीन पर कब्जा है क्या वह सब जमीन कीमती नहीं लगी सिर्फ कीमती लगी तो उसे अखबार के कार्यालय की जमीन जो अखबार लगातार सरकार को उनकी कमियों को आइना की तरह दिखा रहा था।
एक अखबार के कलम बंद करने से लेकर अखबार के कार्यालय व संपादक के प्रतिष्ठान के टूटने तक की कहानी
छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग के दैनिक घटती-घटना अखबार को आखिरकार कलम बंद क्यों करना पड़ा..? यह सवाल सभी के जेहन में आ रहा होगा…तो हम आपको बताना चाहेंगे कि दैनिक घटती-घटना अखबार सदैव ही लोगों के लिए सच्ची खबर प्रकाशित करने का काम करता है,सरकार किसी की भी हो उन्हें कमियां दिखाने का काम करता रहा है,वर्तमान सरकार में कमियों को दिखाने का काम एक बार फिर दैनिक घटती-घटना ने शुरू किया जिसका प्रमाण यह मिला कि कार्यालय व प्रतिष्ठा को जमीदोज कर दिया।
- प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जो दैनिक घटती-घटना की खबरों की ही देन है उनसे जुड़ी कमियों को अखबार ने जब दिखाना शुरू किया तो उन्हें यह बात रास नहीं आई।
- स्वास्थ्य मंत्री के विभाग में जो हो रहा था उससे उनकी छवि खराब हो रही थी जिसे बताने का काम दैनिक घटती-घटना ने किया तो यह नहीं पता था कि उन्हें बताना कभी महंगा पड़ेगा।
- कमियां दूर करने के बजाय दैनिक घटती-घटना को दबाने के लिए उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए जून 2024 में शासकीय विज्ञापन पर रोक लगाया गया।
- विज्ञापन रोक लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर दबाब बनाने के फैसले के विरोध में दैनिक घटती-घटना ने 1 जुलाई 2024 से कलम बंद अभियान की शुरुआत की ताकि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ हमेशा ही स्वतंत्रता के साथ काम कर सके।
- दैनिक घटती-घटना अखबार इस अभियान को सिर्फ अपने लिए शुरू नहीं किया…लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को बचाने के लिए इस अभियान को शुरू किया…।
- दैनिक घटती-घटना के कलम बंद अभियान को संज्ञान में लेने के बजाय उस अभियान को बंद करने के लिए 28 जुलाई 2024 अखबार के कार्यालय व संपादक के प्रतिष्ठान पर बुलडोजर की कार्यवाही की गई।
- अखबार के कार्यालय को और संपादक के प्रतिष्ठान को तोड़ने के लिए 19 जुलाई 2024 को कैबिनेट की बैठक रखी गई।
- 23 जुलाई 2024 को पूर्व सरकार के 152 परसेंट व फ्र ी होल्ड योजना को निरस्त कर दिया गया…यह आदेश लोगों की जानकारी में 26 जुलाई को आया और 26 जुलाई को ही बेदखली का नोटिस 23 जुलाई की तिथि पर दिया गया।
- अखबार के संपादक को बेदखली का नोटिस पितृ शोक के दौरान मिला 26 जुलाई को शाम 6ः45 बजे के बाद मिला और 27 जुलाई का समय दिया गया बेदखली का।
- पितृ शोक में रहने के बावजूद संपादक ने तत्काल ही 26 जुलाई को संबंधित अधिकारी को बेदखली में खाली करने के लिए समय मांगा गया पर समय न देकर 28 जुलाई को सुबह 5 बजे प्रशासन कई बुलडोजर व सुरक्षा के साथ पहुंच गया।
- कार्यवाही की एक दिन पहले 27 जुलाई को रात 10:30 बजे स्वास्थ्य मंत्री के प्रतिनिधिमंडल जिसमें उनके ओएसडी संजय मरकाम सहित चार अन्य लोग संपादक के घर बैठे रहे और मामले को सॉर्ट आउट करने की बात करते रहे।
- स्वास्थ्य मंत्री का प्रतिनिधिमंडल 4:00 तक संपादक के घर बैठ रहा और 5ः00 बजे कार्रवाही करने पूरा प्रशासनिक अमला पहुंच गया।
- दैनिक घटती-घटना के कलमबंद अभियान के तहत प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मंत्री और संयुक्त संचालनालय जनसंपर्क के उपसंचालक मयंक श्रीवास्तव से शासकीय विज्ञापन बंद करने को लेकर सवाल पूछा कि आखिर क्या छापे जिससे आपको बुरा ना लगे?
- यह बात भी सरकार को नागवार गुजरी और सरकार ने और बड़ा कदम उठाया ताकि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कुचला जा सके।
- कलमबंद अभियान के तहत प्रदेश के जिम्मेदार व प्रदेश की बेहतरी के लिए जिनके हाथों में कमान है उनसे सवाल किया गया पर वह सवाल को भी बर्दाश्त नहीं कर पाए और 28 में दिन दैनिक घटती-घटना के संस्थान पर बुलडोजर चलवा दिया।
- बुलडोजर चलवाना भले ही लोकतंत्र को कुचलने के लिए आसान लगा हो पर बुलडोजर चलने की आवाज भी पूरे देश में गूंज गई।
- पूरे देश में छत्तीसगढ़ सरकार की तानाशाही दिख गई…लोकतंत्र की हत्या करने का प्रयास दिख गया…पर नहीं दिख सकी तो सरकार की संवेदनशीलता सरकार ने यह बता दिया कि उनके अंदर संवेदना बिल्कुल नहीं है।
- जिस समय कार्यवाही की गई वह समय संपादक के घर पर शोक का था पर शोक के समय में सरकार ने कार्यवाही करके हिंदूवादी पार्टी होने के दावे को भी झुठला दिया।
- अखबार जो कमियों को दिखा रहा था वह कमी वाकई में सरकार की छवि को खराब कर रही थी सरकार अखबार की खबरों पर संज्ञान लेकर अपनी छवि को बेहतर कर सकती थी।
- उनके मंत्री अपनी छवि को बेहतर कर सकते थे पर अपनी छवि बेहतर करने के बजाय अपनी छवि को और खराब करने का सरकार का प्रयास सरकार के लिए ही गले की फांस बन गई