@फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र पर काम करने वाले पर होगी कार्यवाही व अन्य मांग भी किए जाएंगे पूरे
@छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ का स्वाभिमान पैदल मार्च आंदोलन मुख्यमंत्री के आश्वासन पर हुआ स्थगित
@जिन विभागों में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने वाले है कार्यरत वहां उनपर कार्यवाही करने संबंधित विभागों को नोटिस हुआ जारी
@क्या सभी फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र पर नौकरी करने वाले पर होगी कार्यवाही या फिर स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी बच निकलेंगे?
-विशेष संवाददाता-
अम्बिकापुर/रायपुर,28 अगस्त 2024 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ का दिनांक 28 अगस्त 2024 से जारी पैदल मार्च जो मुख्यमंत्री निवास तक जाना था जो फर्जी दिव्यांगता प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी करने वालों पर कार्यवाही की मांग के लिए होने वाला आंदोलन था,मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद स्थगित कर दिया गया। यह स्थगन एक माह की अवधि के लिए किया गया है वहीं यदि एक माह के भीतर दिव्यांग सेवा संघ की सभी मांग पूरी नहीं हुई तो वह अपना आंदोलन पुनः आरंभ करने बाध्य होंगे यह उनका कहना है।
बता दें की दिव्यांग सेवा संघ लगातार शासन प्रशासन से यह मांग कर रहा है की फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के सहारे नौकरी करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों पर शासन प्रशासन कार्यवाही करे उन्हे नौकरी से बेदखल करे साथ ही उनपर कानूनी कार्यवाही करे क्योंकि फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के सहारे नौकरी करने वाले लोग असल दिव्यांग लोगों का हक मार रहे हैं और वह कूटरचित दस्तावेज के सहारे फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के सहारे नौकरी हथियाकर एक तरह से अपराध कर रहे हैं जिनपर कार्यवाही आवश्यक है। दिव्यांग सेवा संघ फर्जी दिव्यांगता प्रमाण-पत्र के सहारे नौकरी करने वाले 21 लोगों का नाम भी उजागर कर रहा था लगातार जिसमे कई राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी हैं और एक तो स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी ही इसीलिए बने हुए हैं क्योंकि उन्हें अपनी फर्जी दिव्यांगता प्रमाण -पत्र के आधार पर मिली नौकरी स्वास्थ्य मंत्री के साथ रहकर ही बचती नजर आ रही है क्योंकि जब कभी भी स्वास्थ्य प्रमाण पत्र सहित स्वास्थ्य जांच होगी स्वास्थ्य विभाग का ही अहम किरदार होगा जिसके कारण वह स्वास्थ्य मंत्री को ही ढाल बना लिए हैं और वहीं डेरा बिस्तर लेकर ओएसडी बनकर डटे हैं। पूर्व की कांग्रेस सरकार में वह कुछ सुरक्षित इसलिए महसूस करते थे क्योंकि उनके एक भाई मुख्यमंत्री के ओएसडी थे यह भी बताया जा रहा है।
दिव्यांग सेवा संघ को मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया..वह कार्यवाही के लिए तैयार हैं.. ऐसे में यह तय नजर आ रहा है की 21 लोगों पर कार्यवाही होगी
अब जब दिव्यांग सेवा संघ को मुख्यमंत्री ने आश्वासन दे दिया है और वह कार्यवाही के लिए तैयार हैं ऐसे में यह तय नजर आ रहा है की अब 21 ऐसे लोगों पर कार्यवाही जरूर होगी जो दिव्यांग सेवा संघ के द्वारा नामजद दोषी बताए गए हैं जिनकी दिव्यांगता फर्जी है और इसी आधार पर उनकी नौकरी है। राज्य शासन के सचिव समाज कल्याण विभाग ने इस संदर्भ में सभी संबंधित विभागों को आदेश भी जारी कर दिया है और दिव्यांग सेवा संघ के मांग अनुरूप कार्यवाही किए जाने की बात कही गई है। स्वास्थ्य एवम परिवार कल्याण विभाग के अवर सचिव, संचालक संचालनालय समाज कल्याण, सचिव महिला एवं बाल विकास, सचिव सामान्य प्रशासन विभाग को इस आशय का पत्र भेजकर दिव्यांग सेवा संघ की मांग अनुरूप कार्यवाही नियमानुसार करने का आदेश किया गया है। अब देखना यह है कि क्या यह कार्यवाही संपन्न हो पाती है क्या इस कार्यवाही में अब ऊंची पहुंच स्वास्थ्य मंत्री का ओएसडी होना कोई बाधा उत्पन्न नहीं करता है।
दिव्यांग सेवा संघ की मांग पर शासन ने कार्यवाही शुरू भी की
दिव्यांग सेवा संघ की मांग पर शासन ने पहली कार्यवाही कर भी दी है ऐसा माना जा रहा है। यह कार्यवाही मुंगेली कलेक्टर ने की है जिसमे एक ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी पर निलंबन की कार्यवाही की गई है और कार्यवाही शासकीय सेवक रहते हुए भी कोचिंग संस्थान संचालित करने के मामले में किया भले गया है लेकिन माना जा रहा है की कार्यवाही फर्जी दिव्यंगता प्रमाण पत्र से जुड़ा हुआ है और जिस ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी को निलंबित किया गया है जिसका नाम गुलाब सिंह राजपूत है वही फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र मामले का मास्टरमाइंड बताया जाता है। दिव्यांग सेवा संघ का ही आरोप है की गुलाब सिंह राजपूत ही फर्जी दिव्यांगता प्रमाण-पत्र मामले का मास्टरमाइंड है जिसने लोगों को फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र दिलवाकर उन्हे नौकरी पाने में मदद की है।मुंगेली कलेक्टर ने 15 ऐसे लोगों शासकीय सेवकों को जिनके दिव्यांगता प्रमाण पत्र को लेकर शिकायत है को शासकीय भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय में जाकर दिव्यांगता जांच कराने का निर्देश जारी किया गया है।
स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी को बचाने पूरा स्वास्थ्य मंत्रालय कर रहा मशक्कत
स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी संजय मरकाम की भी नौकरी जो राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी पद पर हुई है फर्जी दिव्यांगता प्रमाण-पत्र के आधार पर ही हुई है यह दिव्यांग सेवा संघ का आरोप है। स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी इसको लेकर काफी सहमे भी रहते हैं वहीं इसीलिए वह स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी बने हुए हैं जिससे जब कभी जांच हो वह स्वास्थ्य मंत्री को ढाल बनाकर बच निकलने में सफल हो जाएं । अब बताया जा रहा है की पूरा स्वास्थ्य मंत्रालय एक फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी करने वाले स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी को बचाने में लगा हुआ है मशक्कत कर रहा है। अब देखना यह है की क्या स्वास्थ्य मंत्री ओएसडी को बचाने फर्जी उसकी दिव्यांगता को अपने प्रभाव से सही साबित कराते हैं या वह न्याय का साथ देकर ओएसडी को अपने जेल की हवा खिलवाते हैं।
जांच की आंच क्या स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी तक पहुंचेंगी?
जांच फर्जी दिव्यांगता प्रमाण-पत्र की अब दिव्यांग सेवा संघ की मांग पर होनी तय है। यह उन लोगों के प्रमाण-पत्रों की जांच होगी जो फर्जी दिव्यांग बनकर अच्छे पदों पर नौकरी कर रहे हैं वहीं उन्हीं में से एक हैं स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी संजय मरकाम जो हैं तो राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी लेकिन वह फर्जी दिव्यांग बनकर यह नौकरी हथियाए हैं यह दिव्यांग सेवा संघ का ही आरोप है। अब क्या दिव्यांग सेवा संघ की मांग अनुसार स्वास्थ्य मंत्री के भी दिव्यांग प्रमाण-पत्र की क्या जांच होगी जिसमे वह फर्जी तौर पर श्रवण बाधित होने का लाभ ले रहे हैं।
यदि स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी तक जांच की आंच पहुंची तो मान लीजिए की सभी फर्जी प्रमाण-पत्र पर नौकरी करने वाले होंगे बर्खास्त
यदि स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी संजय मरकाम के फर्जी दिव्यांगता की जांच हुई और वह बर्खास्त हुए तो यह तय हो जायेगा की शासन दिव्यांग सेवा संघ की मांग पर गंभीर है और वह न्याय के मार्ग पर है वहीं फिर यह भी तय हो जायेगा की इसी तरह की जांच जिले स्तर पर भी होगी और कई लोगों की नौकरी जायेगी क्योंकि फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी करने वालों की संख्या कम नहीं है यह जिले में भी है बड़ी संख्या में हैं।