@ सच प्रकाशित करने वाले दैनिक घटती-घटना अखबार के दफ्तर में तो बुलडोजर चल गया…पर क्या स्वास्थ्य मंत्री के क्रेशर व शासकीय जमीन के कब्जे की जांच मुख्यमंत्री जी करा पाएंगे…?
@ स्वास्थ्य मंत्री के दो प्रमुख ओएसडी की आपसी स्पर्धा ने सच लिखने वाले अखबार के दफ्तर पर चलवा दिया बुलडोजर…
@ मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री भी समझ नहीं पाए उनकी चाल को…?
@ कार्यवाही के बाद जितनी ठंडक मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मंत्री व जनसंपर्क सहायक आयुक्त के कलेजे को नहीं मिली होगी…उतनी ठंडक आईएएस लॉबी को आगे करने वाले ओएसडी पाण्डेय को मिली…
@ शासन की बेशकीमती जमीन…कितने विधायक मंत्री व प्रशासनिक अधिकारी डकार चुके…क्या उनके घरों पर भी चलेगी बुलडोजर…?
@ जिस दैनिक घटती-घटना के खबर की वजह से स्वास्थ्य मंत्री बने…उसी अखबार को कुचलना उनका प्रयास कितना सही…?
@ श्याम बिहारी को जब विधायक व मंत्री बनना था…तो दैनिक घटती-घटना के संपादक उसके प्रतिनिधि व अखबार सभी अच्छे थे…आज जब खुद बैठे सत्ता में और वही अखबार कमी दिखाने लगा…तो वह उनका दुश्मन हो गया…?
-रवि सिंह-
रायपुर/अम्बिकापुर, 31 जुलाई 2024 (घटती-घटना)। भाजपा की छत्तीसगढ़ की नई नवेली सरकार विष्णुदेव साय सरकार आलोचना सहने वाली सरकार नहीं रही…यह भी बुलडोजर वाली सरकार बन गई…और अपना नाम दर्ज कर लिया, इसके लिए वह भी अपराधियों और भ्रष्टाचारियों के लिए यह बुलडोजर नहीं निकला है…यह भ्रष्टाचार को उजागर करने के कारण निकला बुलडोजर है सरकार का…यह इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि अपने मंत्रिमंडल व अपनी पार्टी व अपनी सरकार की कमियों की हो रही आलोचना को बर्दाश्त नहीं कर पाए…कलम को कुचलने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया… फिर भी क्या कलम को वह कुचल पाएंगे… या फिर अब कलम चलाने वाले पर ही बुलडोजर चलाएंगे…? छप रही कमियों से क्षुब्ध होकर सरकार ने पहले अखबार के शासकीय विज्ञापन को बंद करके दबाव बनाने का प्रयास किया फिर भी जब दबाव काम ना आया तब उन्होंने बुलडोजर का इस्तेमाल किया,सरकार के विज्ञापन बंद करने के फैसले को लेकर दैनिक घटती-घटना अखबार ने कलम बंद अभियान की शुरुआत की और सरकार की आलोचना करने का प्रयास किया और सरकार से ही यह जानने की कोशिश की की आखिर अखबार में क्या छापे?…क्या यह अधिकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का नहीं था…क्या अपने मुख्यमंत्री से यह पूछने का अधिकार अखबार का नहीं था… कि यदि कमियों को ना छापें…तो क्या छापे मुख्यमंत्री जी?…जो बात उनके आईएएस लॉबी को पसंद नहीं आई मुख्यमंत्री की तो बात ही अलग है। इस पूरे कार्यवाही वाले षड्यंत्र में व भाजपा की हो रही फजीहत में आईएएस लॉबी ने मुख्यमंत्री को भी इस्तेमाल कर लिया और मुख्यमंत्री को समझ नहीं आया कि आखिर अपनी ही सरकार के लिए उन्होंने गड्ढा खोद लिया। एक अखबार के दफ्तर को तोड़ने के लिए कांग्रेस सरकार की योजनाओं को निरस्त कर दिया…योजना पूरे प्रदेश के लिए थी …और आदेश भी पूरे प्रदेश के लिए लेकर आए…लेकिन कार्यालय टूटा सिर्फ उस अखबार का जो अखबार वर्तमान सरकार की आलोचना कर रहा था… उसके मंत्री की कमियों को बता रहा था…और व कमियां भी प्रमाणित है…पर सरकार उन कमियों को दूर करने के बजाय अखबार के दफ्तर को तोड़ना न्याय समझा…।
क्या स्वास्थ्य मंत्री के दो ओएसडी उन्हीं के लिए गड्ढा खोद गए?
क्या स्वास्थ्य मंत्री के विशेष सलाहकार और उनके ओएसडी उनके लिए गड्ढा खोद गए…जो केवल इसलिए खोदा उन्होंने क्योंकि उन्हें यह डर था कि उनकी पोल एक अखबार खोल रहा है…और जो कहीं न कहीं उनकी नौकरी के लिए खतरा है…। स्वास्थ्य मंत्री शायद समझ नहीं सके और उन्होंने तो एक समाचार-पत्र और उसके कार्यालय को जमींदोज करा ही दिया, जबकि वह यह भूल गए कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर उनका यह हमला…उनके राजनीतिक भविष्य के लिए एक काला अध्याय हो जाएगा…और जब-जब उनकी उपलब्धियों की बात होंगी यह एक बात सामने आ जाएगी की वह आलोचनाओं के प्रति धीरजवान नहीं है…वहीं वह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कुचलने की मानसिकता वाले एक राजनीतिज्ञ हैं…। वैसे स्वास्थ्य मंत्री के विशेष सलाहकार खुद ओएसडी के विरुद्ध थे वहीं उनकी पुरानी कोरिया जिले की कहानी भी अभी लोग विस्मृत नहीं कर पाए हैं कैसे हस्ताक्षर फर्जी बताकर खुद को उन्होंने बचाया था।
स्वास्थ्य मंत्री जी…व मुख्यमंत्री जी…व भाजपा सरकार जान लें…आपके द्वारा अखबार के संपादक के विरुद्ध हुई कार्यवाही को जनता देख रही है
देश हो या विदेश राजनीतिज्ञों की आलोचना उनके कार्यों की आलोचना मीडिया करता ही रहता है लेकिन कहीं भी यह देखने को नहीं मिला कि कोई सरकार किसी मीडिया संस्थान को केवल इसलिए नेस्तनाबूत करने का निर्णय पारित कर दे की क्योंकि वह आलोचना सत्य आलोचना सरकार की प्रकाशित कर रही हो। दैनिक घटती-घटना के प्रधान कार्यालय के विरुद्ध हुई द्वेषपूर्ण कार्यवाही अमानवीय कार्यवाही को जनता देख रही है। खासकर सरगुजा की जनता…जो सरगुजा संभाग से आने वाले प्रदेश के मुखिया प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री से जरूर प्रश्नवाचक है…कि क्यों आखिर क्यों…। वैसे दैनिक घटती-घटना को नेस्तनाबूत करने को लेकर स्वास्थ्य मंत्री मुख्यमंत्री जितनी जल्दीबाजी में नजर आए वह उन दो मामलों में आज तक मौन क्यों हैं जिसका समाचार घटती-घटना प्रकाशित कर रहा था और जिसमे यह तथ्य है कि स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर अधिकारी हैं वहीं स्वास्थ्य मंत्री के तथाकथित भतीजे स्वास्थ्य विभाग में फर्जी डिग्री पर वर्षों से मौज कर रहे हैं और वह कोरिया जिले में कोरोना काल में जमकर भ्रष्टाचार कर चुके हैं और उनका एक नर्सिंग कॉलेज भी है जिसकी भी शिकायत है जांच अधूरी है। वैसे सभी समाचार शिकायतों के आधार पर प्रकाशित किए गए थे वहीं शिकायतकर्ता भी अन्य थे।
स्वास्थ्य मंत्री के कितने काम अवैध हैं…इसकी जांच कब करवा पाएंगे मुख्यमंत्री जी…?
स्वास्थ्य मंत्री के कई व्यवसाय हैं खुद पूर्व विधायक ने उनके उपर कई गंभीर आरोप लगाए थे अब सवाल यह उठता है कि… स्वास्थ्य मंत्री के ऊपर जो आरोप पूर्व कांग्रेस विधायक ने लगाए थे… क्या उनकी जांच सुशासन वाली भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री कराएंगे…। स्वास्थ्य मंत्री का क्रेशर उनका अन्य कारोबार पूर्व विधायक का उन पर शासकीय भूमि पर कब्जे का आरोप,क्या जांच होगी…सच बाहर आएगा…या सच दबाकर जांच होगी…क्लीन चिट दिया जायेगा क्योंकि वह सरकार में हैं…।
स्वास्थ्य मंत्री को खुद उनके जिले के विधायक सहित उनके संभाग के विधायक पसंद नहीं कर रहे हैंःसूत्र
सूत्रों की माने तो स्वास्थ्य मंत्री को उनके जिले के विधायक उनके संभाग के भाजपा विधायक ही पसंद नहीं कर रहे हैं। उनके द्वारा डॉक्टरों की पोस्टिंग और उनकी जिम्मेदारी में वृद्धि के दौरान स्थानीय विधायकों के सुझाव का ध्यान नहीं रखा जाता। वैसे हाल में जारी सीएमएचओ पोस्टिंग सूची देखकर समझा जा सकता है कांग्रेस सरकार ने जिन्हे भ्रष्टाचार सहित अन्य आरोपों के कारण हटाया था उन्हें ही फिर जिम्मेदारी मिली है। वैसे ऐसे भी लोग सीएस बनाए गए हैं जिन्हें अनुभव भी कम है वह जूनियर भी हैं वहीं जिनपर कई आरोप हैं। कोरिया जिले में साथ ही सूरजपुर जिले में तो स्वास्थ्य मंत्री जी ने क्रमशः पूर्व भाजपा विधायक के दामाद और अपने एक रिश्तेदार को अवसर दिया है अलग अलग पदों पर जैसा सूत्रों का ही कहना है।
स्वास्थ्य मंत्री अपने विधानसभा के कार्यकर्ताओं के लिए भी आंखों की किरकिरी बन गएःसूत्र
स्वास्थ्य मंत्री अपने ही विधानसभा में कार्यकर्ताओं की आंखो की किरकिरी बन गए हैं। उनके साथ अब अधिकाशं भाजपाई दूरी बना रहे हैं क्योंकि वह उन्हें तव्वजो नहीं दे रहे हैं। वैसे स्वास्थ्य मंत्री का तर्जयह साबित कर रहा है कि संभाग से वह भाजपा को काफी नुकसान पहुंचाने वाले हैं आने वाले चुनाव में।
स्वास्थ्य मंत्री अब भाजपा व जनता के नहीं रहे…वह अब सिर्फ व्यापार व व्यापारियों के हो गए…
स्वास्थ्य मंत्री की कार्यप्रणाली अब यह साबित कर रही है…कि वह जनता के लिए नहीं रह गए बल्कि वह व्यापार और व्यापारियों के लिए केवल मंत्री हैं…। छः महीने से भी ज्यादा का उनका कार्यकाल यदि देखा जाए तो वह सुर्खियों में ही बने रहे वह भी ऐसे लोगों के कारण जो स्वास्थ्य विभाग या शासन का अंग केवल कमाई के लिए हैं। भ्रष्टाचार के लिए उनके ओएसडी हों उनके भतीजे हों जो प्रभारी डीपीएम है सभी भ्रष्टाचार से ही जुड़े हुए हैं। कहा जाए तो सुशासन वाली भाजपा की सरकार स्वास्थ्य मंत्री के मामले में कुशासन वाली सरकार साबित हो जाती है,फर्जी डिग्री,फर्जी दिव्यांगता की जांच और कार्यवाही तो दूर इसकी खबर पर समाचार-पत्र को ही नेस्तनाबूत करने निकल चुकी प्रदेश सरकार कहीं न कहीं व्यापारियों के चंगुल में फंस चुकी है और इसके लिए उन्हें व्यापारियों के प्रतिनिधि बतौर स्वास्थ्य मंत्री का साथ मिला हुआ है।
स्वास्थ्य मंत्री के क्रेशर में चल रहा पत्थर का अवैध खनन… क्या होगी कार्यवाही?
स्वास्थ्य मंत्री के क्रेशर में पत्थर का अवैध उत्खनन हो रहा है जैसी सूचना है…क्या इस मामले में कार्यवाही होगी…। वैसे यह प्रश्न की क्या सरकार के उन नुमाइंदों जिनका भ्रष्टाचार से नाता है जिनका भ्रष्टाचार से जुड़ा कारोबार है क्या उन पर कार्यवाही होगी उनसे भी जो स्वास्थ्य मंत्री की तरफ से दैनिक घटती-घटना पर हुई कार्यवाही को न्यायपूर्ण बता रहे हैं और उनसे यह अपील भी की वह भी यह मांग करें की स्वास्थ्य मंत्री की भी जायज अवैध सभी मामलों की जांच की जाए और कार्यवाही हो।
प्रदेश में अघोषित आपातकाल का संकेत
पूर्व विधायक भरतपुर सोनहत गुलाब कमरो ने अम्बिकापुर में दैनिक अखबार के कार्यालय सहित सम्पादक के प्रतिष्ठान पर हुई बुलडोजर कार्यवाही की निंदा करते हुए बदले की कार्यवाही करार दिया,पूर्व विधायक ने कहा कि सरकार के खिलाफ बोलना-लिखना अब सरकार को बर्दास्त नहीं,सरकार के खिलाफ आवाज उठाने पर चलेगा बुलडोजर, मीडिया संस्थान के खिलाफ हुई कार्यवाही प्रदेश में अघोषित आपातकाल का संकेत।