अम्बिकापुर @ कलम बंद का तेईसवां दिन @ खुला पत्र @गजब मंत्री जी…समाचार-पत्र पर एमरजेंसी जैसी स्थिति स्थापित कर स्वास्थ्य मंत्री अब सार्वजनिक रूप कह रहे कि लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है!

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अम्बिकापुर,22 जुलाई 2024 (घटती-घटना)।आखिरकार दैनिक घटती-घटना के कलम बंद अभियान 17 दिन बाद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री का पहला बयान सामने आया,यह बयान एक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार के प्रश्न पर उन्होंने जारी किया जिसमे उक्त पत्रकार ने प्रश्न किया कि प्रदेश में क्यों एक समाचार-पत्र कलम बंद अभियान चला रहा है…और क्यों वह प्रदेश के मुख्यमंत्री से और स्वास्थ्य मंत्री से यह प्रश्न कर रहा है…कि क्या प्रकाशित करे। वह अपने समाचार-पत्र में जिससे की सरकार को आपत्ति न हो और मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को जो प्रिय हो? इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार के प्रश्न पर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री केवल इतना ही कह सके कि लोकतंत्र में सभी को अपना मत और विचार प्रकट करने का अधिकार है और लोकतंत्र में हर कोई अपना विरोध दर्ज करने के लिए स्वतंत्र है।

स्वास्थ्य मंत्री ने समाचार-पत्र को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी बताया और उसे स्वतंत्र होने की बात भी कही वहीं यदि उनके दिए गए वक्तव्य और असल स्थिति की तुलना की जाए तो कहीं न कहीं स्वास्थ्य मंत्री झूठ बोल गए उन्होंने जिस मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बताया लिखने और प्रकाशन की जिसके स्वतंत्रता की बात कही उसी मीडिया की प्रकाशित खबर से वह इतना असहज हुए की उन्होंने उसका शासकीय अनुदान वाला विज्ञापन ही बंद करा दिया और इसके लिए बाकायदा प्रदेश जनसंपर्क कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी को मौखिक निर्देश जारी खुद उन्होंने किया जैसा सूत्रों का दावा है। अब ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री झूठ ही बोल रहे हैं यह कहना गलत नहीं होगा। जो स्वास्थ्य मंत्री मीडिया को स्वतंत्र और लोकतंत्र का चौथा स्तंभ निरूपित कर रहे हैं वह खुद उसे कुचलने में लगे हुए हैं और यह कम से कम दैनिक घटती-घटना समाचार-पत्र के मामले में तो कहा ही जा सकता है।

प्रदेश के स्वास्थ मंत्री अपने विभाग और अपने तथाकथित भतीजे सहित अपने विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के लिए इतने समर्पित हो चुके हैं कि अब उन्हे उनके अलावा किसी का भला नहीं सूझ रहा। भतीजा जहां भ्रष्टाचार कर आज भी संविदा में मौज कर रहा है वहीं विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी जिसकी नौकरी ही फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के सहारे प्राप्त हुई नौकरी है वह भी स्वास्थ्य मंत्री के सानिध्य और संरक्षण में सुरक्षित महसूस कर रहा है। वहीं इन्हीं दोनों मामले में खबर प्रकाशन की नाराजगी दैनिक घटती-घटना पर बीत रही है जिसके कारण उसका शासकीय विज्ञापन ही रोक दिया गया है। वैसे स्वास्थ्य मंत्री जी जिस तरह बयान दे रहे हैं कि प्रदेश में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को पूरी स्वतंत्रता है लिखने और खबर प्रकाशन की यदि उनका यह बयान सही है तो फिर सत्य प्रकाशन पर क्यों दैनिक घटती-घटना का शासकीय विज्ञापन रोका गया यह भी उन्हे बताना चाहिए।

दैनिक घटती-घटना समाचार-पत्र को लेकर एमरजेंसी जैसी स्थिति स्थापित कर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अब यह कह रहे हैं सार्वजनिक रूप से की लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है वहीं मीडिया स्वतंत्र है जबकि उन्हीं की सरकार में उन्ही के निर्देश पर एक समाचार-पत्र आज प्रताड़ना झेल रहा है। वैसे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जी को आगामी बयान जारी कर यह जरूर बताना चाहिए कि उन्होंने जिस स्वतंत्रता की बात कही मीडिया को लेकर वह केवल उनके लिए है जो सच प्रकाशन से बचते चले आ रहे हैं वहीं जो उनके भतीजे सहित उनके विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के लिए सच का प्रकाशन नहीं करते।

कलम बंद अभियान का आज 2३ वा दिन है और 2३ दिन से लगातार दैनिक घटती-घटना समाचार-पत्र प्रदेश के मुखिया और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री से एक ही सवाल लगातार कर रहा है वह सवाल है कि आखिर क्या प्रकाशित करें समाचार पत्र में…वहीं 2३ दिन बाद भी दोनों यह नहीं बता पा रहे हैं कि आखिर क्या प्रकाशित करे अखबार…अब सवाल यह उठता है कि समाचार प्रकाशन वह भी सत्य प्रकाशन से क्षुब्ध होकर जब दैनिक घटती-घटना समाचार-पत्र का शासकीय विज्ञापन बंद किया गया है तो प्रदेश के मुखिया,स्वास्थ्य मंत्री सहित जनसंपर्क अधिकारी जिसने विज्ञापन बंद किया है को जरूर बताना चाहिए की आखिर क्या प्रकाशित करें अखबार में…।

प्रदेश में एक ही अखबार का शासकीय अनुदान विज्ञापन बंद किया गया है वहीं स्वास्थ्य मंत्री मामले में यह बयान दे रहे हैं की लोकतंत्र है मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और उसे कुछ भी स्वतंत्र रूप से प्रकाशन करने का हक है। अब सवाल यह है कि क्या यही स्वतंत्रता है लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को प्रदेश में क्या सच प्रकाशन का यही इनाम है की शासकीय अनुदान ही बंद कर दिया जायेगा किसी अखबार का। वैसे यदि ऐसा है तो इसको स्पष्ट करना चाहिए।


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