@ 4.5 करोड़ रूपये का मच्छरदानी सप्लाई,आर्डर के बाद किसके ईशारे पर रोका गया…?
@ स्वास्थ्य केन्द्रों को जारी करनी थी राशि लेकिन सीधे जिलों को की गई जारी…आखिर क्यों…
@ लगातार विवादों में प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग…
–रवि सिंह-
रायपुर/अम्बिकापुर,19 जुलाई 2024 (घटती-घटना)। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की आवाज दबाने का कुत्सित प्रयास कर रहे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल के विभाग में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है…भर्राशाही चरम सीमा पर है…करोड़ो की खरीदी में जमकर लीपापोती की जा रही है…आलम यह है कि बीते लोकसभा चुनाव के अचार संहिता के ठीक पहले आनन-फानन में 50 करोड़ से समानों की खरीदी मनमुताबिक नियमों को दरकिनार करते हुए की गई है। दिलचस्प पहलू यह है कि एक ही दिन क्रय समिति की बैठक से लेकर क्रय आदेश भी जारी कर दिया गया। वहीं एक अन्य मामले में मिल रही जानकारी के अनुसार प्रदेश भर में मच्छरदानी सप्लाई हेतु जिस फर्म को आर्डर दिया गया था अब उसे मंत्री के ईशारे पर ही रोक दिया गया है। इस प्रकार का हाल प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग का बना हुआ है…सारा का सारा खेल सूत्रों के मुताबिक विभागीय दलालों से लेकर सप्लायरों और मंत्री के विवादित स्टॉफ के द्वारा ही खेला जा रहा है…। इन्हीं कमियों को जब घटती-घटना अखबार द्वारा संज्ञान में लाया जा रहा था तब उसे मंत्री द्वारा नजर अंदाज किया जाता रहा है और बाद में कमियों की खबर प्रकाशित ना हो इसके लिए मंत्री के ईशारे पर विभागीय विज्ञापनों को रोक दिया गया है। लेकिन मंत्री से सवाल है कि आखिर कब तक!
यह है मामला
एनएचएम द्वारा जारी राशि में से लोकसभा चुनाव अचार संहिता के ठीक पहले खरीदी में जमकर भर्राशाही की गई है। विभागीय सूत्रों ने बतलाया कि प्रदेश के स्वास्थ्य केन्द्रों में तीन सीटर वेटिंग चेयर,एयर कूलर और वाटर कूलर खरीदने के लिए अचार संहिता के ठीक पहले 15 मार्च को बजट का आबंटन किया गया,बजट सीधे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र,उप स्वास्थ्य केन्द्र,सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को जारी किया जाना था लेकिन नियमों को ताक पर रखकर जिलों को जारी कर दिया गया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा जारी अनटाईड फंड को नियम विरूद्व जारी करना भी कई संदेह को जन्म देता है…। 15 मार्च को बजट का आबंटन होते ही उसी दिन क्रय समिति की बैठक कर तत्काल सप्लाई आर्डर भी उसी दिन जारी कर दिया गया था। प्रदेश के कई जिलों में इस तरह की भर्राशाही हुई…यहां तक कि जो सामग्री सप्लाई हुई वह भी गुणवत्ता विहीन थी…। सूत्रों का कहना है कि चुनाव अचार संहिता लागू होने की भनक होने के कारण आनन-फानन में यह सब खेल-खेला गया था। सामग्री खरीदी के लिए प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से निर्देश दिया था जिसके तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत प्रदेश के 22 जिलों के लिए 50 करोड़ रूपये स्वीकृत हुए थे। जबकि अचार संहिता के ठीक पहले 15 मार्च को अतिरिक्त आबंटन जारी किया गया। बतलाया जाता है कि कई जिलों मे तत्परता दिखलाते हुए आनन-फानन में एक ही दिन में क्रय समिति की बैठक कर सप्लाई आर्डर जारी किया गया था एवं फर्मो को एक सप्ताह के भीतर सामग्री देने को कहा गया था लेकिन फर्मो के द्वारा मई तक सप्लाई दिया गया। प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग में व्याप्त भर्राशाही का एक और मामला सामने आया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लगभग 4.5 करोड़ की राशि से मच्छरदानी सप्लाई का आर्डर रायपुर के एक व्यापारी को कुछ दिन पहले ही किया गय था लेकिन आर्डर के बाद उसे फिलहाल रोक दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि पहले दूसरे दलाल और सप्लायरों के माध्यम से बात जमी थी लेकिन बाद में दूसरे दलाल और सप्लायरों की एंट्री होने से सप्लाई आर्डर रोका गया है। और संभवतः पहले वाले व्यापारी को अब आर्डर नहीं दिये जाने का मन बनाया गया है जैसी चर्चा विभाग में हो रही है। सवाल उठता है कि प्रदेश में मलेरिया से लगातार मौतें हो रही है और प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग मच्छरदानी सप्लाई रोक कर अपनी पीठ थपथपा रहा है।
क्या इन खबरों को प्रकाशित करना गुनाह है मंत्री जी?
प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की चाल मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल के प्रभार संभालने के बाद से लगातार बिगड़ती जा रही है, मंत्री का विवादित अफसरों, स्टॉफ, दलाल और सप्लायरों से घिरे रहना इसका प्रमुख कारण है। विभाग में तमाम प्रकार की कमियां देखने को मिल रही हैं,अचार संहिता के ठीक पहले आनन फानन में सप्लाई आर्डर और मच्छरदानी सप्लाई आर्डर रोकना यह एक नमूना मात्र है। और इसी प्रकार की कमियों से लगातार मंत्री को सचेत किया जा रहा था लेकिन मंत्री ने उसे दूसरे अंदाज में लेते हुए अपने पद का दूरूपयोग करते हुए ऐसा काम किया जिसका लोकतंत्र और स्वच्छ राजनीति में कदापि स्थान नही है। फिर स्वास्थ्य मंत्री से सवाल है कि यह जो खबरें लिखी गई हैं क्या इन्हे प्रकाशित करना गुनाह है। यदि कमियों और भर्राशाही, भ्रष्टाचार की खबरों का प्रकाशन करना गुनाह है तो गुनाह ही सही स्वास्थ्य मंत्री जी।