अम्बिकापुर @कलम बंद का बीसवां दिन @ खुला पत्र @हवा-हवाई निकला स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल का दावा…?

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-रवि सिंह-
रायपुर/अम्बिकापुर,19 जुलाई 2024 (घटती-घटना)।
पखवाड़े भर के भीतर प्रदेश के कई जिलों में मलेरिया और डायरिया ने विकराल रूप ले लिया है…लोगों की मौते हो रही हैं…प्रभावित क्षेत्र में हाहाकर मचा हुआ है…स्वास्थ्य केन्द्रों में स्थिति बद से बदत्तर होती जा रही है…बस्तर अंचल के साथ ही अब मैदानी ईलाके में भी स्थिति बिगड़ती जा रही है।… प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने मलेरिया और डायरिया की रोकथाम के लिए पिछले दिनों हवा-हवाई दावा किया था उसके बाद हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। स्थिति इतनी खतरनाक हो चुकी है इसके बारे में लगातार खबरों का प्रकाशन विभिन्न समाचार-पत्रों में किया जा रहा है, इस पर अब स्वतः माननीय उच्च न्यायालय ने संज्ञान लेकर नोटिस जारी किया है। माननीय न्यायालय द्वारा संज्ञान लेने पर यह समझा जा सकता है कि वास्तव मे स्थिति बेहद खराब है,और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री हाथ पर हाथ धरे बैठकर आज भी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर खुद को भारी बतला रहे हैं।


ईधर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा हवा हवाई बयानबाजी करते हुए मलेरिया और डायरिया पर नियंत्रण का दावा कुछ दिन पहले ही किया था जिसके बाद बिलासपुर जिले के कोटा क्षेत्र में दो सगे भाईयों की मौत का मामला सामने आया है। विभागीय लापरवाही से दोनो सगे भाईयों की मौत हुई है। बतलाया जाता है कि कोटा विधानसभा अंतर्गत ग्राम करवां निवासी जब्बार के दोनो पुत्र इरफान और इमरान को मलेरिया की शिकायत थी,वे अपने दोनों पुत्रों को लेकर टेंगनमाड़ा स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे थे जहां पर कोई भी डॉक्टर ना होने से मजबूरीवश गांव के झोलाछाप डॉक्टर से ईलाज करवाया गया और अंततः दोनों पुत्रों की मौत हो गई। इस क्षेत्र मे भर्राशाही का आलम यह है कि ना तो दवा का छिड़काव किया गया है और ना ही मच्छरदानी का वितरण किया गया है। इस क्षेत्र में 100 से अधिक घरों में मलेरिया पीçड़त मरीज हैं। अखबार का विज्ञापन रोककर कमियों को छिपाने की कोशिश में लगे स्वास्थ्य मंत्री के विभाग का आलम है कि इस क्षेत्र के टेंगनमाड़ा,खोंगसरा,बेलगहना,केंदों आदि क्षेत्रों के स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टर नही रहते। जानकारी है कि कोटा क्षेत्र के 50 से अधिक गांव अति संवेदनशील हैं।


प्रदेश के मैदानी क्षेत्र बिलासपुर एवं मुंगेली जिले में लगातार मलेरिया पीçड़तों की संख्या मे ईजाफा हो रहा है जो कि सोचनीय विषय है। मुंगेली जिले के अचानकमार क्षेत्र में भी मलेरिया पीçड़त मरीज मिले हैं। बतलाया जाता है कि मलेरिया की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रहा है। कई क्षेत्रों में डीडीटी दवा का छिड़काव तक नहीं हुआ है। दवा छिड़काव ना होने का नतीजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। इससे लोगों में स्वास्थ्य विभाग के प्रति खासा आक्रोश भी व्याप्त है।


बस्तर अंचल के साथ ही बिलासपुर जिले के रतनपुर में डायरिया लगातार कहर बरपा रहा है और प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है। बतलाया जाता है कि रतनपुर क्षेत्र में पिछले एक सप्ताह से हर दिन डायरिया के मरीज मिल रहे हैं,दिनों दिन हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। गुरूवार को ही यहां 18 मरीज मिले हैं। वर्तमान में
कुल 27 मरीज भर्ती हैं।


प्रदेश में मलेरिया के बढ़ते प्रकोप और हो रही मौत की खबरों पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने भी स्वतःसंज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने मलेरिया से मौत मामले में राज्य शासन को नोटिस जारी कर मुख्य सचिव को तलब किया है। डिवीजन बेंच ने नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि पहले से इस संबंध में तैयारी क्यों नही की गई। बस्तर और बिलासपुर जिले में मलेरिया से मौत तथा रतनपुर क्षेत्र में उल्टी दस्त से मौत एवं संक्रमण फैलने को लेकर इसे माननीय न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की है। माननीय न्यायालय ने शासन से यह भी पूछा है कि आप इस मामले पर क्या कर रहे हैं। शासन की ओर से जवाब के लिए समय की मांग की गई है। मामले में मुख्य सचिव,सचिव स्वास्थ्य,सचिव शिक्षा, कलेक्टर बिलासपुर, कलेक्टर बीजापुर, स्वास्थ्य संचालक, सीएमएचओ समेत 11 लोगों को पक्षकार बनाया है।


माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी,विभाग में भर्राशाही,अनाप शनाप खरीदी,मनमानी और मनचाही पोस्टिंग,दलाली, तो व्याप्त है ही अब विभागीय लापरवाही के कारण लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ रही है। माननीय न्यायालय द्वारा इस पर स्वतः संज्ञान लेकर नोटिस जारी किया गया है। और इस खबर को भी प्रकाशित किया जा रहा है। अब आप खुद ही बताईये क्या माननीय न्यायालय के द्वारा संज्ञान की खबरों का प्रकाशन करना भी गुनाह है क्या। इस खबर पर भी आपके द्वारा यदि लोकतंत्र की आवाज को दबाने के लिए विज्ञापन रोकने जैसा कुत्सित प्रयास करना अति निंदनीय और शर्मनाक है।


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