अम्बिकापुर @ कलम बंद का अठारहवां दिन @ खुला पत्र @32 लाख के बिल में…12 लाख के कमीशन की मांग हुई…स्वास्थ्य मंत्री और एमडी के नाम से…

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-रवि सिंह-
रायपुर/अम्बिकापुर, 17 जुलाई 2024 (घटती-घटना)।
प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग का हाल सिर्फ स्वास्थ्य सुविधा को लेकर बेहाल नहीं है बल्कि इस विभाग में निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदार भी मानसिक रूप से परेशान हैं और इन्हीं परेशानियों को जब घटती-घटना अखबार ने जिम्मेदार मंत्री के सामने रखकर ठीक कराने का प्रयास किया तो वह प्रयास मंत्री
को रास नहीं आया और उनके द्वारा अखबार को मिलने वाला विभागीय विज्ञापन रोक दिया गया है। यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की आवाज को दबाने का कुत्सित प्रयास है…एक मंत्री द्वारा किये जा रहे उक्त कृत्य की सर्वत्र निंदा हो रही है।
अब एक नया मामला प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल के विभाग से ही जुड़ा सामने आया है, जिसमें विभागीय अधिकारियों के द्वारा ठेकेदार के किए गए कार्य के बिल का भुगतान सिर्फ इसलिए नहीं किया जा रहा है क्योंकि अधिकारी ने स्वास्थ्य मंत्री और एनएचएम के एमडी के लिए कमीशन की मांग की थी ठेकेदार ने जब कमीशन नही दिया तो उसका भुगतान रोक कर उसे परेशान किया जा रहा है। ठेकेदार ने स्वयं मंत्री से इस बात की शिकायत कर राहत दिलाने की मांग की है इसके बाद सवाल उठ रहा है…कि आखिर अधिकारी किसकी सह पर कमीशन की मांग कर रहे हैं…और यदि इस बात की शिकायत ठेकेदार ने की है और कमीशन मांगे जाने की बात यदि गलत है…तो फिर अधिकारी को आज पर्यंत क्यों बचाया जा रहा है…। हमारे सूत्रों ने बतलाया कि विभागीय ठेकेदारों का पूरा कंट्रोल मंत्री आवास में बैठे विवादित अफसरों द्वारा ही किया जा रहा है। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि 32 लाख के बिल है…12 लाख का कमीशन यदि कोई ठेकेदार देगा तो गुणवत्ता कैसी होगी…? पर आखिर इतना ज्यादा कमीशन मांगने की छूट इस शासन काल में किसने दिया…क्या मौजूदा सरकार में भी कमीशन का खेल जमकर होगा…क्या पुराने सरकार के ही ढरें पर चलेगी वर्तमान सरकार…? क्या निर्वाचित जनप्रतिनिधि जनता की सुविधा के लिए हो रहे निर्माण कार्य को पैसों के लालच में गुणवत्ताविहीन व भ्रष्टाचार की तरफ झुका देंगे…? क्या निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के अंदर ईमानदारी समाप्त हो चुकी है…सिर्फ भ्रष्टाचार के दम पर पैसा कमाना और अधिकारियों को छूट देना ही रह गया है…? क्या जनता के लिए कुछ करने की इच्छा शक्ति खत्म हो रही…? क्या जनता को यह भरोसा दिलाएंगे कि सरकार ईमानदारी से चल रही? कम से कम जनप्रतिनिधि पूरी ईमानदारी ना बरते पर कुछ तो ईमानदारी तो जरूर बरतें…ताकि जनता का विश्वास उन पर बना रहे। आज यदि इस पत्र के संदर्भ में ही बात की जाए तो यह पत्र बतलाता है कि स्वास्थ्य विभाग में कमीशन का खेल किस स्तर पर चल रहा है…कैसे ठेकेदार से कमीशन के रूप में इतनी राशि की मांग की जा रही है जो यदि ठेकेदार देता है तो समझा जा सकता है कि कार्य की गुणवत्ता क्या होगी…वैसे 32 लाख में से यदि 12 लाख का कमीशन ही दिया जाने लगेगा…तब यह माना जायेगा कि काम किए बिना ही बिल भुगतान का मामला है…। वैसे मामले में स्वास्थ्य मंत्री को ठेकेदार ने शिकायत पत्र लिखा है और आज देखना है कि क्या एसडीओ जिसके द्वारा मंत्री और एमडी के नाम से कमीशन मांगने की बात की जा रही है क्या उसपर कार्यवाही होती है…या फिर जांच कर यह तय किया जाता है… कि शिकायत ही झूठी है और यदि ऐसा है तो फिर क्या ठेकेदार पर कार्यवाही होती है…क्योंकि यदि राशि मांगने की बात कमीशन बतौर की गई है तब भी स्वास्थ्य विभाग और प्रदेश सरकार की छवि धूमिल हुई है…और नहीं भी मांगी गई है फिर भी धूमिल हुई है…क्यूंकि बदनाम स्वास्थ्य विभाग मंत्री और एमडी हुते हुए हैं क्योंकि उनके नाम से राशि मांगने की बात पत्र में लिखी गई है।


बस्तर संभाग के बीजापुर क्षेत्र के ठेकेदार रविन्द्र झाड़ी ने विगत 12 जुलाई को स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल के नाम पत्र प्रेषित कर कार्यादेश का संदर्भ देते हुए कहा है कि मेरे द्वारा उक्त निर्माण कार्य मंडलाधीन संभाग कार्यपालन अभियंता छग मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड जगदलपुर जिला बस्तर अंतर्गत बीजापुर जिले में किया गया हैै। उपरोक्त कार्यो को मेरे द्वारा माह फरवरी 2024 को पूर्ण कर विभाग/ जिला चिकित्सा अधिकारी बीजापुर को हस्तांतरित कर दिया गया है। तदुपरांत मेरे कार्य का नियुक्त साईड इंजीनियर द्वारा कार्य का निरीक्षण कर माप पुस्तिका में अंकित करते हुए बिल भुगतान हेतु संभागीय कार्यालय कार्यपालन अभियंता छग मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड जगदलपुर जिला बस्तर में माफ फरवरी 2024 को प्रस्तुत किया गया है जो कि आज पर्यन्त तक लंबित है। संबंधित साईड इंजीनियर एवं एसडीओ द्वारा मुझसे बिल की राशि बत्तीस लाख में से संबंधित विभाग के मंत्री एवं एमडी के नाम से राशि 12 लाख रूपये का कमीशन के तौर पर मांग किया जा रहा है। इस संबंध में कार्यपालन अभियंता को अवगत कराया गया था। लेकिन उनके द्वारा कोई रूचि नही लिया गया है। संबंधित को कमीशन नही दिये जाने के कारण आज तक मेरा भुगतान रोक दिया गया है जिसके कारण ठेकेदार ने खुद को मानसिक रूप से परेशान बतलाया है और बिल का भुगतान कराने की माग की है।


ठेकेदार द्वारा स्वास्थ्य मंत्री को यह पत्र 12 जुलाई को ही लिखा गया है,उसके बाद 15 जुलाई को ही मंत्री ने बीजापुर का दौरा किया है। ठेकेदार द्वारा की गई उक्त शिकायत काफी गंभीर है। सवाल उठना लाजमी है कि क्या सचमुच मंत्री के नाम पर कमीशन की मांग की जा रही है और फिर कमीशन की मांग नही की जा रही है तो फिर इतने महीने तक ठेकेदार का भुगतान क्यों रोक कर रखा गया है। अधिकारी किसकी सह पर खुलेआम ठेकेदारों को प्रताçड़त कर कमीशन मांग रहे हैं। मंत्री द्वारा बीजापुर दौरे में भी इस बात का संज्ञान ना लिया जाना चिंतनीय है।


प्रदेश में बिगड़ी स्वास्थ्य विभाग की चाल का यह छोटा सा नमूना है, विभागीय सूत्रों का कहना है कि यह तो सिर्फ झांकी है पूरी पिकचर अभी बाकी है। विभाग में बड़े बड़े खेल मंत्री की सह पर ही हो रहे हैं यह विभागीय सूत्रों का कहना है। किसी अधिकारी की मजाल नही कि वह बिना मंत्री एवं उनके अधीनस्थ काम कर रहे अधिकारियों की मर्जी के बिना कमीशन की मांग कर लें। पीçड़त ठेकदार ने अपनी व्यथा बतलाते हुए भुगतान की मांग की है लेकिन एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी स्वास्थ्य मंत्री द्वारा कोई संज्ञान नही लिया जाना भी आश्चर्यजनक है। इसी प्रकार की भर्राशाही से अवगत कराना मंत्री को रास नही आ रहा था तब मंत्री ने विभाग से जारी होने वाले विज्ञापन को मौखिक आदेश देते हुए जनसंपर्क से रोक लगवा कर कमियों की खबरों को प्रकाशित ना होने देने का रास्ता अपनाया है। सवाल खुद मंत्री से है कि क्या ऐसे खबरों का प्रकाशन ना किया जाए तो फिर आप खुद ही बताईये लोकतंत्र का चौथा स्तंभ आखिर किन खबरों का प्रकाशन करे।


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