अम्बिकापुर @कलम बंद का दसवां दिन @ खुला पत्र @क्या विष्णु देव साय सरकार में भी पत्रकारों को सरकार की कमियां दिखाना होगा वर्जित?

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-रवि सिंह-
रायपुर/सरगुजा 09 जुलाई 2024 (घटती-घटना)।
क्या प्रेस की स्वतंत्रता अब छत्तीसगढ़ में बाधित कर दी गई है…क्या अब प्रदेश में सत्य का प्रकाशन वर्जित है…क्या प्रदेश के विष्णु देव साय सरकार में अब प्रेस निष्पक्षता के साथ सरकार की कमियां नहीं दिखा पाएंगे और यदि वह कमियां दिखाएंगे तो उन्हे कुचलने का काम किया जायेगा…? ऐसा ही कुछ प्रदेश में वर्तमान में देखने को मिल रहा है जहां प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के भतीजे के भ्रष्टाचार की पोल खोलने और स्वास्थ्य मंत्री के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर गलत तरीके से नौकरी हथियाने के मामले को समाचार के माध्यम से उजागर करने पर दैनिक घटती-घटना के शासकीय विज्ञापन को स्वास्थ्य मंत्री के मौखिक निर्देश पर बंद कर दिया गया,वहीं इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री का मुख्यमंत्री पर इस तरह का दबाव है कि मुख्यमंत्री भी उनके सामने नतमस्तक हैं और वह प्रेस की समाचार-पत्र की आजादी को बहाल नहीं कर पा रहे हैं,क्योंकि स्वास्थ्य मंत्री मामले में हावी है.सरकार पर …और सरकार सहित पार्टी की छवि कितनी भी खराब क्यों न हो जाए, वह अपने भतीजे प्रभारी डीपीएम सूरजपुर और अपने विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के गलत दस्तावेजों दिव्यांग प्रमाण-पत्रों सहित अहर्ता प्रमाण-पत्रों सहित भ्रष्टाचार को लेकर कोई कार्यवाही नहीं होने देंगे उन्हे बचाएंगे भी…साथ ही वह इस विषय में सच प्रकाशित करने वाले समाचार -पत्र को भी कुचलने का काम करेंगे। यह उनकी तरफ से स्पष्ट कर दिया गया है। कुल मिलाकर देखा जाए तो प्रदेश की विष्णु देव साय सरकार में भी अब सच का प्रकाशन वर्जित ही होगा ऐसा स्पष्ट हो गया है,और इसका जिम्मा सरकार ने स्वास्थ्य मंत्री को दे दिया है,जो भ्रष्टाचारियों को बचाने उन्हे संरक्षण देने सहित फर्जी प्रमाण -पत्रों के आधार पर नौकरी करने वालों को कोई नुकसान नहीं होने देंगे और उनके कारण भले ही उन्हें समाचार-पत्र को ही क्यों न कुचलना पड़े वह तैयार रहेंगे।


प्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार थी तब भाजपा कांग्रेस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया करती थी, जांच की भी मांग करती थी, वहीं खुद स्वास्थ्य मंत्री तो अपने क्षेत्र में भ्रष्टाचार की बारात ही निकाल चुके थे और तब ऐसा लगा था कि वह यदि निर्वाचित
हुए तो वह भ्रष्टाचार को कुचल देंगे और वह कहीं न कहीं रामराज्य की स्थापना कर देंगे। वैसे क्षेत्र की जनता ने उनके भ्रष्टाचार की बारात को समर्थन दिया और माना कि वह क्षेत्र और प्रदेश से भ्रष्टाचार मिटा देंगे और इसीलिए उन्हें जनता ने विधानसभा भी भेज दिया और वहां से उन्हे कैबिनेट मंत्री का भी दर्जा मिल गया, लेकिन वह जैसे ही मंत्री बने,वह भ्रष्टाचारियों के पक्ष में जा खड़े हुए और उनके आसपास का जमावड़ा भी भ्रष्ट लोगों का ही नजर आने लगा, जिनमे सबसे बड़ा नाम उनके भतीजे का सामने आया जिसके ऊपर कांग्रेस शासनकाल से ही मरीजों के और स्वास्थ्य व्यवस्था के नाम पर आने वाले शासकीय आबंटन की बंदरबांट का आरोप लगता रहा है और जिसका जीवन ही और उसकी सामाजिक आर्थिक प्रतिष्ठा ही भ्रष्टाचार की देन रही है, वहीं दूसरा नाम उनके विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी का समाने आया, जो फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी कर रहा है ऐसा आरोप है और जिसे खुद से चयनित कर स्वास्थ्य मंत्री ने अपना ओएसडी बनाया है।


वैसे स्वास्थ्य मंत्री के भतीजे प्रभारी डीपीएम सूरजपुर पर केवल भ्रष्टाचार के ही आरोप नहीं है, वह भी फर्जी अहर्ता के साथ नौकरी कर रहे हैं,यह भी उनके ऊपर आरोप है और जिसकी जांच इसलिए अच्छे से नहीं हो रही है क्योंकि वह स्वास्थ्य मंत्री के भतीजे हैं,वहीं उसका नर्सिंग कॉलेज भी कोरिया जिले में संचालित है और जिसमें भी कई कमियां हैं और तब भी वह संचालित है और शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। स्वास्थ्य मंत्री के संबंध में और उनसे सीधा जुड़ाव रखने वालों के संबंध में जब खबर का प्रकाशन आरंभ किया गया तबसे ही दैनिक घटती-घटना समाचार-पत्र को कुचलने का प्रयास जारी किया गया और जिसमे स्वास्थ्य मंत्री की भूमिका सामने आई क्योंकि उनकी ही छवि धूमिल हो रही थी। अब जिस तरह निष्पक्ष और सत्य प्रकाशन का काम दैनिक घटती-घटना कर रहा था उसे रोकना और उसकी स्वतंत्रता को बाधित करना यह बतलाता है कि आलोचना सुनने को कतई तैयार नहीं है प्रदेश की विष्णु देव साय सरकार। वैसे मुख्यमंत्री को लेकर यह भी बताया जा रहा है की उनकी सरकार में उतनी नहीं चलती जितनी स्वास्थ्य मंत्री की चलती है और इसीलिए स्वास्थ्य मंत्री समाचार-पत्र के मामले में भी निर्णय ले रहे हैं जबकि वह उनका विभाग ही नहीं है और तब भी उन्ही की वहां सुनवाई है।


प्रदेश में जब भाजपा की सत्ता में वापसी हुई थी तब ऐसा लगा था की प्रदेश में लोकतंत्र की वापसी होगी और भ्रष्ट व्यवस्था से लोगों को निजात मिलेगी,लेकिन ऐसा हुआ नहीं लोगों को कहीं न कहीं अब ठगा हुआ महसूस हो रहा है। वहीं लोकतंत्र के
चौथे स्तंभ पर ही जब भाजपा की वर्तमान सरकार हमलावर है उसे बाधित कर रही है। वह जनता के लिए बेहतर साबित होगी यह कहना जल्दबाजी होगा। प्रदेश में स्वतंत्रता का अधिकार सभी को देगी भाजपा सरकार। यह भी विश्वास आरंभ में सरकार गठन उपरांत जगा था लोगों का, लेकिन जैसे-जैसे महीने बीते यह विश्वास भी सरकार खोती चली जा रही है। आज जब प्रेस ही स्वतंत्र नहीं भ्रष्ट लोगों के खिलाफ जब समाचार प्रकाशन ही प्रतिबंधित है ऐसे में समझा जा सकता है कि किस तरह वर्तमान सरकार स्वतंत्रता का भी हनन करने जा रही है। सच का प्रकाशन करना खतरनाक हो गया । अब-तब ऐसा नहीं होता देखा गया था। पहले कम से कम प्रकाशन से नाराजगी होने पर नाराजगी और व्यक्तिगत विज्ञापन ही प्रभावित कर सत्ताधारी गुस्से का इजहार करते थे लेकिन अब की स्थिति वर्तमान भाजपा सरकार की स्थिति उलट है। अब भ्रष्ट एक संविदा अधिकारी जो खुद को स्वास्थ्य मंत्री का भतीजा बताता है वह यह तय करने का दावा करता है की प्रदेश में कौन सा अखबार चलेगा और कौन सा बंद होगा।


दैनिक घटती-घटना के कार्यालय और प्रकाशन स्थल को ही उक्त संविदा अधिकारी नेस्तनाबूत करने का बात कहता फिरता है। बता दें की किसी प्रेस भवन या प्रकाशन कार्यालय को जमींदोज करने की बात अब तक कभी नही हुई, लेकिन अब एक संविदा अधिकारी जो स्वास्थ्य मंत्री का भतीजा है, वह ऐसा करने की बात कहता है। वैसे अच्छा ही है, प्रदेश में यदि आगे से भाजपा की सरकार वापसी नहीं कर पाई तो इसका श्रेय ऐसे ही भतीजों को जायेगा,जो अपना घर भरने के लिए पार्टी की लुटिया चाचा के साथ मिलकर डूबा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री भी भतीजे से मोह में हैं वहीं वह मुख्यमंत्री को भी निर्णय लेने की स्वतंत्रता प्रदान नहीं कर रहे हैं जो निर्णय मुख्यमंत्री का होना चाहिए प्रेस मामले का उसे स्वास्थ्य मंत्री ले रहे हैं जिससे समझा जा सकता है कि कितने मजबूर हैं मुख्यमंत्री भी। खैर अब दैनिक घटती-घटना को भी इंतजार है स्वास्थ्य मंत्री के भतीजे के वार का क्योंकि उसने अब एक तरह से चेतावनी जारी कर दी है कि सरकार किसी की हो, उसके भ्रष्टाचार को उजागर करना महंगा पड़ने वाला है। किसी को भी वहीं जिसकी भी सरकार होगी वह किसी न किसी का भतीजा बनकर स्वास्थ्य व्यवस्था को दीमक की तरह चट्ट करना नहीं छोड़ेगा,वहीं वह अपने परिवार के लिए यहीं से सुख-सुविधा ढूंढेगा जो उसे दूसरों को दुख देकर उनका हक छीनकर मिल सकेगा।


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