अम्बिकापुर @ कलम बंद का छठवां दिन @ खुला पत्र @छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री अपने दागी विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी व अपने भतीजे प्रभारी डीपीएम सूरजपुर के लिए लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को दबाने का कर रहे प्रयास?

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रायपुर, 05 जुलाई 2024 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ प्रदेश में भाजपा की नई सरकार और सरकार में शामिल नए कैबिनेट मंत्री विशेषकर स्वास्थ्य मंत्री को लेकर यदि यह कहा जाए की वह अपने साथ संलग्न विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी, विशेष सलाहकार और भतीजे प्रभारी डीपीएम सूरजपुर के लिए कुछ भी करने से नहीं हिचकिचाएंगे वहीं वह इनके आगे पार्टी और सरकार की भी फजीहत कराने से बाज नहीं आयेंगे तो इसमें कोई गलत बात नहीं होगी। स्वास्थ्य मंत्री इन तीनों के मामले में यह स्पष्ट लगभग कर चुके हैं जो उनकी अब-तक की कार्यप्रणाली से समझ में आ रहा है की वह इनको लेकर मौन ही रहने वाले हैं। वहीं प्रभारी डीपीएम सूरजपुर जो उनके भतीजे हैं और उनके विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी जिनका दिव्यांग प्रमाण-पत्र ही फर्जी है जैसा आरोप है उसको लेकर वह कोई जांच नहीं कराने वाले न ही कोई वह कार्यवाही होने देंगे भले चाहे जो कुछ भी हो जाए।
बता दें की स्वास्थ्य मंत्री के साथ संलग्न राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी का दिव्यांग प्रमाण-पत्र फर्जी है ऐसा आरोप है उनके ऊपर वहीं आरोप यह भी है की फर्जी प्रमाण-पत्र के आधार पर ही नौकरी कर रहे हैं वह और जिसकी यदि जांच की गई तो उनकी नौकरी ही जानी तय है। वहीं उनके भतीजे प्रभारी डीपीएम सूरजपुर की भी अहर्ता प्रमाण-पत्र फर्जी है। वहीं उनके ऊपर भ्रष्टाचार के भी कई आरोप हैं जिनकी जांच की मांग कई बार हुई है को लेकर कई बार दैनिक घटती -घटना ने समाचार प्रकाशित किया और मामले को उजागर करने का प्रयास किया जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री नाराज हो गए और उन्होंने भ्रष्टाचारी भतीजे जिनके ऊपर डिग्री फर्जी बनवाने का भी आरोप है और फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के बचाव में अपनी प्रतिक्रिया सामने रखी और उन्होंने दैनिक घटती-घटना के शासकीय विज्ञापनों पर ही रोक लगवा दिया। अब विज्ञापनों पर रोक लगवाकर वह यह मान बैठे हैं कि वह भ्रष्टाचार और फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के मामले को दबा ले जायेगें जबकि उनका यह प्रयास लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कुचलने का एक प्रयास है जो इसके पहले होते नहीं देखा गया किसी शासनकाल में। स्वास्थ्य मंत्री पूरी तरह भ्रष्टाचार और फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी करने वाले भतीजे और विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के साथ हैं यह उन्होंने साबित कर दिया है। प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था का क्या हाल है यह किसी से छिपा नहीं है स्वास्थ्य व्यवस्था की बेहतरी के लिए स्वास्थ्य मंत्री का लगातार बयान और उनकी स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने की रणनीति को लेकर कई प्रयास देखने सुनने को रोज मिल रहे हैं जिनमें सबसे ज्यादा जोर उनका खरीदी और निर्माण में ही देखने को मिल रहा है और उपलब्ध संसाधनों के साथ वह स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर कर पाएंगे ऐसा कहीं सुनने-देखने में नहीं आया।


खरीदी और निर्माण से यदि स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर होता तो शायद वह कब का हो चुका होता क्योंकि इसके पहले की सरकार के कार्यकाल में भी जमकर खरीदी हुई और जमकर निर्माण हुए लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति जस की तस है और कहीं न कहीं कहा जाए तो पहले से भी बुरी है स्थिति। आज शासकीय अस्पताल रेफर सेंटर बन चुके हैं वहीं उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाएं जो उपकरण स्वरूप में हैं उनकी कोई उपयोगिता नहीं है क्योंकि उनका समुचित उपयोग भी नहीं हो पा रहा है क्योंकि न ही विशेषज्ञ ही हैं अस्पतालों में न ही लोगों का ही अब विश्वास रह गया है। वहीं जबसे नए स्वास्थ्य मंत्री प्रदेश को मिले हैं तबसे हाल और बुरा है क्योंकि वह किसी और को क्या समझाइश देंगे स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त करने की जब उनके ही भतीजे के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगा हो वहीं उनके विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के भी दिव्यांग प्रमाण-पत्र को लेकर प्रश्न खड़ा हो। वैसे बताया जाता है की उनके भतीजे से बकायदा अन्य को भी भ्रष्टाचार की समझाइश देते हैं और पकड़े जाने पर बचाने की भी बात करते हैं।


प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को यदि सार्वजनिक मंचों पर सुना जाए तो उनको सुनकर ऐसा ही लगता है कि वह अत्यंत धार्मिक और अत्यंत ही न्यायप्रिय साथ ही नियम कायदे के पक्के हैं वहीं यदि उनकी कार्यप्रणाली अब तक की देखी जाए तो यह कहना गलत नहीं होगा कि वह उनके वक्तव्य सार्वजनिक से विपरीत हैं, उनकी कार्यप्रणाली को लेकर ऐसा इसलिए कहना उचित जान पड़ता है क्योंकि वह अपने भतीजे प्रभारी डीपीएम सूरजपुर के भ्रष्टाचार मामले और उनकी फर्जी डिग्री मामले में जिसमें की शिकायत भी हुई है मौन हैं वहीं वह अपने विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी को लेकर भी मौन हैं जिसकी नौकरी फर्जी प्रमाण-पत्र दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर लगी है और जिसकी शिकायत भी हुई है और जांच भी लंबित है। स्वास्थ्य मंत्री चाहते इन दोनों मामले में न्याय का साथ देते और जांच कराकर उचित कार्यवाही करते लेकिन वह ऐसा नहीं कर रहे हैं और इस तरह वह अपनी ही निष्पक्षता साबित नहीं कर पा रहे हैं। देखा जाए तो स्वास्थ्य मंत्री के लिए दो लोग पूरे प्रदेश के लोगों से ऊपर हैं जो फर्जी हों भ्रष्टाचारी हों फिर भी उन्हें कोई परहेज नहीं उनसे वह उनके साथ हैं और उन पर वह आंच नहीं आने देंगे।


वैसे सवाल यह भी है कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के साथ ऐसी कौन सी मजबूरी है कि वह प्रभारी डीपीएम सूरजपुर और अपने विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के मामले में मौन हैं जिसके कारण वह इन दोनो के मामले में मौन हैं। प्रभारी डीपीएम सूरजपुर और विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के मामले में स्वास्थ्य मंत्री पूरी सरकार की किरकिरी भी कराने में कोई संकोच नहीं कर रहे हैं। वैसे सूरजपुर के प्रभारी डीपीएम के मामले में समझा जा सकता है कि वह स्वास्थ्य मंत्री के भतीजे हैं इसलिए उनका स्नेह है उनके प्रति और उनका भ्रष्टाचार और उनकी शिकायत क्षम्य है क्योंकि वह खुद मंत्री हैं विभाग के और उनके रहते भतीजे पर कार्यवाही होना गलत संदेश जाना होगा। परिवार में लेकिन विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी को लेकर उसके फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र को लेकर स्वास्थ्य मंत्री की चुप्पी समझ से परे है क्योंकि ऐसे मामले में मौन रहना कहीं न कहीं सही नही कहा जा सकता है।
भतीजे की अहर्ता फर्जी होने का आरोप तो वहीं विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी का दिव्यांग प्रमाण पत्र फर्जी होने का है आरोप
स्वास्थ्य मंत्री के भतीजे की अहर्ता फर्जी है यह आरोप एक व्यक्ति ने लगाया है वहीं उनके कर्तव्यस्थ अधिकारी का दिव्यांग प्रमाण पत्र ही फर्जी है यह आरोप है। अब दोनो मामले में जांच की जरूरत है और जांच भी निस्पक्ष हो ऐसी मांग है क्योंकि प्रदेश में बेरोजगार बेरोजगार हैं जहां वहीं जो लोग फर्जी आधार पर नौकरी कर रहे हैं उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही है। कुल मिलाकर इन दोनो मामले में स्वास्थ्य मंत्री की विश्वसनीयता उनकी न्यायप्रियता अब कहीं न कहीं परीक्षा में है जिसमे वह पास होंगे या फेल यह देखने वाली बात होगी।


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