अम्बिकापुर @ कलम बंद @ खुला पत्र @ कांग्रेस सरकार की कमियां प्रकाशित हुई थीं तब भाजपा को मौका मिला था!

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अम्बिकापुर,03 जुलाई 2024 (घटती-घटना)। प्रदेश में जब कांग्रेस सत्ता में थी तब उसकी कमियां दिखाने का काम लोकतंत्र के चौथे स्तंभ ने किया था तत्कालीन भ्रष्टाचार को उजागर करने का काम भी किया था और जिसके फलस्वरूप ही जनता ने सत्ता परिवर्तन का मन बनाया और प्रदेश में पूर्ण बहुमत से भाजपा की सरकार सत्ता पर काबिज हो गई। जब कांग्रेस सत्ता में थी तब कमियां उजागर करने पर कांग्रेस भी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को अपना दुश्मन मानती थी सत्य आधारित या भ्रष्टाचार आधारित समाचारों के प्रकाशन पर तरह-तरह की परेशानियां जिनमे कानूनी परेशानियां भी होती थीं खड़ी करती थी और किसी तरह सत्य आधारित जिसमे भ्रष्टाचार को उजागर करने का प्रयास होता था कमियां सरकार या विधायक मंत्री की बताई जाती थी को किसी भी तरह प्रकाशित होने से रोकने का प्रयास होता था और जिसका परिणाम यह हुआ की सत्ता के नशे में सत्ताधारी दल लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को ही रोकने के प्रयास में लगे रहा खुद के कार्यकाल में कार्यप्रणाली में सरकार के विधायक एवं मंत्रियों के सुधार के प्रयास बिल्कुल नहीं किए गए और अंततः सत्ता हांथ से चली गई। कुल मिलाकर कहा जाए तो भ्रष्टाचार को ही सही मानकर तत्कालीन सरकार चलती रही और परिणाम यह हुआ की तब का विपक्ष जो बहुत ही कमजोर विपक्ष था पक्ष बन गया और जनता ने उसे पूर्ण बहुमत प्रदान कर दिया। वहीं जब सत्ता में तत्कालीन विपक्ष को जनता ने बैठने का मौका दिया तब अब सत्ता में बैठे लोग भी पूर्व की ही कांग्रेस सरकार और उसके मंत्री विधायकों के ही नक्शे कदम पर चल रहे हैं और वह किसी भी हाल में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को ही कुचलना चाहते हैं सत्य आधारित खबरों के प्रकाशन को लेकर भ्रष्टाचार आधारित समाचारों के प्रकाशन मामले में और इसका जीता-जागता उदाहरण है सरगुजा अंचल से प्रकाशित दैनिक घटती-घटना समाचार-पत्र के शासकीय विज्ञापन को रोकने का फरमान जारी करना और ऐसा केवल इसलिए करना क्योंकि समाचार-पत्र ने स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार और स्वास्थ्य मंत्री के यहां संलग्न दागदार एवं फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी करने वाले अधिकारी को लेकर समाचार का प्रकाशन कर दिया।


बता दें की स्वास्थ्य मंत्री के साथ संलग्न एक अधिकारी का दिव्यांग प्रमाण-पत्र फर्जी है यह आरोप है वहीं एक अधिकारी पर भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं वहीं कोरिया जिले में भ्रष्टाचार का खेल जो स्वास्थ्य विभाग में कोरोना काल से खेला गया लोग एक तरफ मरते रहे एक तरफ जिन लोगों ने केवल भ्रष्टाचार किया जब उनके भ्रष्टाचार को लेकर खबरों का प्रकाशन किया गया तब ऐसे भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही की बजाए मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी ऐसे भ्रष्ट संविदा अधिकारी को अन्य जिले में भेजकर बचाते नजर आए वहीं ऐसे लोगों पर जहां भ्रष्टाचार को लेकर कार्यवाही की ज़रूरत थी उन्हे अन्य बड़ी जिम्मेदारी भी दे दी गई। कोरिया जिले के पूर्व डीपीएम वर्तमान में सूरजपुर जिले के प्रभारी डीपीएम का नाम इसमें प्रमुख है। अब या तो वर्तमान भाजपा सरकार भी पूर्व की कांग्रेस सरकार की तर्ज पर ही काम करना चाह रही है और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कुचलकर ही वह पुनः सत्ता में वापसी का प्रयास करने विचार कर रही है भ्रष्टाचार को लेकर उनकी अपनी कोई रोकथाम नीति नहीं होगी यह तय है वहीं सत्य को प्रकाशित करने पर समाचार पत्रों पर उसके पत्रकारों और संपादकों पर वह कार्यवाही करेगी न की भ्रष्टाचार को रोकने का प्रयास करेगी। वैसे कांग्रेस शासनकाल में भी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को इस स्तर पर परेशान या उसे अपना काम करने से रोकने का इस स्तर पर प्रयास नहीं किया गया था जिसमे शासकीय विज्ञापन रोककर समाचार पत्र को उसकी निष्पक्षता को बाधित करने कुचलने जैसा प्रयास शामिल रहा हो ऐसा कभी नहीं हुआ। वैसे प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में नई सरकार के स्वास्थ्य मंत्री की कार्यप्रणाली इसलिए भी दोषपूर्ण हो गई है क्योंकि अधिकांश अधिकारी कर्मचारी वही हैं पूर्व के संबद्ध और कार्य में हिस्सेदार सप्लायर वही हैं जो पूर्व की कांग्रेस शासनकाल में थे और अब भी वही विभाग का संचालन कर रहे हैं जिनके हांथ की कठपुतली स्वास्थ्य मंत्री बने हुए हैं। वहीं जिस तरह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कुचलने का प्रयास देखने को मिल रहा है बताया जा रहा है की स्वास्थ्य मंत्री को अधिकारी निर्देश दे रहे हैं और वह अपने विवेक की बजाए अधिकारियों और पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान के उन लोगों के विवेक से काम कर रहे हैं जो पूर्व के स्वास्थ्य मंत्री के खास थे या उस समय जो विभाग को बट्टा लगाने का काम कर रहे थे। अब यदि अब भी वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री सुधार कार्यप्रणाली में विभाग की लाने की बजाए लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कुचलने का ही प्रयास अधिकारियों के निर्देश पर करेंगे तो निश्चित ही अगली बार पुनः परिवर्तन नजर आएगा और इस बार वर्तमान बदल जायेगा।


वैसे प्रदेश में भाजपा की सरकार जो बनी उसमे भाजपा को सरगुजा संभाग से बहुत अधिक मदद मिली सरगुजा संभाग की सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा एकतरफा जीत दर्ज कर सकी जिसके बाद ही सरकार बनी और यह कहना कहीं से अतिश्योक्तिपूर्ण नहीं होगा की सरगुजा संभाग में भाजपा के पक्ष में ज्यादा माहौल इसलिए बन सका था क्योंकि सरगुजा अंचल से ही प्रकाशित दैनिक घटती-घटना ने पूर्व की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के सभी विधायकों साथ ही मंत्रियों और संसदीय सचिवों सहित प्राधिकरण के अध्यक्ष,उपाध्यक्षों की दोषपूर्ण कार्यप्रणाली को लगातार जनता के समाने लाने का काम अनवरत जारी रखा था जिससे कहीं न कहीं पूरे संभाग के विधानसभाओं में कांग्रेस विधायकों और सरकार की कार्यप्रणाली का ज्ञान जनता को हो सका और उन्होंने उन्हे अयोग्य माना और सत्ता परिवर्तन का मन बनाकर उन्हें सत्ता से बेदखल किया। संभाग की ही बात करें तो सीतापुर विधायक और पूर्व मंत्री की कार्यप्रणाली, सरगुजा विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री की कार्यप्रणाली, प्रेमनगर विधायक और संसदीय सचिव की कार्यप्रणाली,प्रेमनगर विधायक की कार्यप्रणाली,बैकुंठपुर सहित भरतपुर सोनहत विधायक, मनेंद्रगढ़ विधायक की कार्यप्रणाली को लेकर घटती-घटना यदि लोकतंत्र के अपने चौथे स्तंभ होने का फर्ज नहीं पूरा करता तो वह या तो टिकट के लिए अपात्र नहीं होते या वह पराजित नहीं होते जनता उन्हे शायद पुनः मौका दे देती।


पूर्व की कांग्रेस सरकार के विधायक और मंत्री ने भी घटती-घटना के समाचारों को गलत तरीके से और केवल विपक्ष में प्रकाशित खबर माना और जिसका परिणाम सामने है वह दोबारा सत्ता में भी नहीं वापसी कर सके न ही वह सदस्य ही विधानसभा के बन सके और अब वही गलती भाजपा के मंत्री साथ ही विधायक कर रहे हैं आइना दिखा रही खबरों से वह अक्रोषित हो रहे हैं और दैनिक घटती-घटना को ही कुचलने का प्रयास कर रहे हैं जो केवल अपना फर्ज निभा रहा है। यदि वर्तमान सरकार और उसके मंत्री विधायक खासकर सरगुजा संभाग के विधायक मंत्री दैनिक घटती-घटना की निष्पक्षता और उसकी सत्य प्रकाशित करने की प्रतिबद्धता से पूर्व सरकार के मंत्री विधायकों की तरह लड़ने की ही कोशिश करते रहेंगे तो वह अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं ला सकेंगे और आने वाले चुनाव में उन्हे भी शायद उसी तरह नुकसान होगा जैसा पूर्व के लोगों के साथ हुआ है। वैसे ऐसे विधायक और मंत्री खुद का तो नुकसान करेंगे ही अपनी हटधर्मिता के आगे वहीं पार्टी को भी वह सत्ता से बेदखल करने में अपनी भूमिका निभाने का काम कर जायेंगे। इसलिए जरूरी है की खबरों को एक सीख मानकर चलने की कोशिश करें और बैर मानकर विरोध मानकर समाचार पत्र को नुकसान पहुंचाने की मंशा से दूरी बनाए मंत्री विधायक।


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