जिला प्रशासन से मिला डॉक्टरों को आश्वासन…काम पर लौटे अब होगी सीएस प्रकरण की जांच…परिजनों का अभी भी कहना ईलाज के लिए हुई रूपयो की मांग…
-रवि सिंह-
कोरिया,29 जून 2024 (घटती-घटना)। कोरिया जिला मुख्यालय स्थित जिला चिकित्सायल में चल रही भर्राशाही और अव्यवस्था थमने का नाम नही ले रही है,जिला चिकित्सालय में मरीजों के ईलाज का मामला हो या फिर साफ-सफाई का, हर प्रकार से यह चिकित्सालय सुर्खियां बटोर रहा है। एक ताजा मामला सीएस सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक का सामने आया जिसमें एक मरीज के परिजनों ने सीएस पर ऑपपरेशन के बदले पैसा मांगने का आरोप लगाया था,आरोप लगाये जाने के बाद आनन फानन में स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर सीएस को निलंबित कर दिया गया है जिसके बाद चिकित्सकों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए जिला चिकित्सालय में ओपीडी सेवा बंद कर दिया था देर शाम जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद उन्होने ओपीडी सेवा शुरू करने का निर्णय लिया अब जिला प्रशासन द्वारा सीएस के मामले में जांच की जाएगी। स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील मामले पर इस प्रकार का आलम बहुत ही आश्चर्यजनक विषय है और इससे कहीं ना कहीं सरकार की किरकिरी भी हो रही है। वहीं प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल का पड़ोसी जिला होने के बाद भी जिला चिकित्सालय में जो हाल देखने को मिल रहा है वह मंत्री की कार्यक्षमता को दर्शाता है उनके द्वारा जब यहां की व्यवस्था में सुधार नही किया जा सका तो बाकी का हाल क्या होगा यह आसानी से समझा जा सकता हैं।
परिजनों ने लगाया है पैसा मांगने का आरोप
इस बारे मे जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार एमसीबी जिले के हल्दीबाड़ी निवासी विकास केंवट का सड़क दुर्घटना में हाथ टूट गया था। जिसके बाद वे 21 जून की रात सीएस डॉ. राजेन्द्र बंसरिया के निवास पर पहुंचे थे, जिसके बाद कच्चा प्लास्टर करने के बाद ऑपरेशन के लिए 26 -27 जून को आने के लिए कहा गया था। इसके बाद मरीज विकास की मां कलावती उसे लेकर 27 जून को जिला चिकित्सालय पहुंचे यहां कच्चा प्लास्टर निकालने के बाद मरीज को ऑपरेशन कक्ष ले जाया गया था,और इसके बाद परिजन से पैसे की मांग की गई। तब परिजन ने इसकी शिकायत मोबाईल के माध्यम से स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल से की थी,शिकायत के बाद ही स्वास्थ्य मंत्री ने सीएमएचओ को प्रतिवेदन देने हेतु निर्देशित किया था। आनन-फानन में सीएमएचओ ने मंत्री को खुश करने सीएस का पक्ष लिये बगैर प्रतिवेदन स्वास्थ्य मंत्रालय भेज दिया और देर शाम ही सीएस को निलंबित करते हुए जेडी कार्यालय अंबिकापुर संलग्न कर दिया गया था।
जांच के बाद करनी थी कार्यवाही,लेकिन सीएमएचओ ने निभाई दुश्मनी
पूरे मामले में जानकारो का कहना है कि चूकिं जिला चिकित्सालय में कार्यरत चिकित्सकों एवं सीएमएचओ डॉ. सेंगर के बीच पूर्व डीपीएम के कारण दूरियां बढ गई हैं,सीएमएचओ द्वारा गुटबाजी कर दी गई है। वे चिकित्सको से दुश्मनी निभाते दिखाई देते हैं इसीलिए उनके द्वारा आनन- फानन में प्रतिवेदन भेज दिया गया था जबकि सीएस का पक्ष लिया जाना चाहिए था। सारे बिंदुओं पर जांच कर पक्ष लेने के बाद यदि कार्यवाही होती तो जाहिर सी बात है कि इतना बवाल नही होता लेकिन सीएमएचओ ने दुश्मनी निभाते हुए जिस प्रकार जल्दबाजी दिखाई इसी वजह से चिकित्सकों ने कार्यवाही का विरोध कर दिया था।
काम पर लौटे चिकित्सक,डॉ.भास्कर को अस्थायी प्रभार
सीएस का गुरूवार शाम निलंबन आदेश भेजा गया था जिसके बाद शुक्रवार सुबह चिकित्सकों ने अपात बैठक कर ओपीडी बंद कर दिया था। दिन भर मरीज परेशान रहे,जिला प्रशासन द्वारा भी इस पर लगातार नजर रखा गया था। देर शाम चिकित्सकों और जिला प्रशासन के बीच सुलह की खबरें मिली जिसके अनुसार अब सीएस मामले में जांच की जाएगी। सीएस के निलंबन के बाद शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. भास्कर मिश्रा को अस्थायी तौर पर प्रभार जिला प्रशासन द्वारा दिया गया है। जिला प्रशासन से मिले आश्वासन के बाद शनिवार को जिला चिकित्सालय में ओपीडी का सुचारू रूप से संचालन किया गया ।
दलालो को शहर के नेताओं का आशीर्वाद
जिला चिकित्सालय में दलाल सक्रिय हैं यह बात शहर के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को भी अच्छी तरह से मालूम है। कांग्रेस हो या भाजपा सभी के नेता इन दलालो को पहचानते भी हैं और उनके करतूत से वाकिब भी हैं लेकिन उनके द्वारा कभी कोई आवाज नही उठाई जाती है उल्टे दलालो का समर्थन किया जाता है। दलालो के द्वारा सत्ता के हिसाब से आंका भी बदला जाता है,जब कांग्रेस की सरकार थी तब उनके आंका स्थानीय विधायक के चंगु-मंगु थे अब सरकार बदल जाने के बाद आंका भाजपा के स्थानीय नेता हो गए हैं जो जनता के हित का ढोंग करते फिरते हैं। जिला चिकित्सालय में पहंुचकर शहरी नेता सबसे पहले दलालो से ही संपर्क करते हैं और दलालो के द्वारा नेताओं का भी आवभगत कर उन्हे खुश किया जाता है जिससे कि सब कुछ जानते हुए भी शहरी नेता चुप रहते हैं और दलालो का बचाव किया जाता है। आखिर क्या कारण है कि दलालों की जानकारी होने के बाद भी कभी भी नेता उनके खिलाफ आवाज नही उठाते। सब कुछ जानते हुए भी जिला चिकित्सालय में दलालो को मजबूत करने का काम इन नेताओ द्वारा ही किया जा रहा है जो कि अत्यंत शर्मनाक है।
क्या दलाल ने मांगे थे रूपये?
जिला चिकित्सालय के सूत्रों का कहना है कि मरीज के परिजन से पैसे की मांग दलाल के द्वारा की गई थी,दलाल सीएस का खास है। नेताओं से संबंध का हवाला देकर दलाल चिकित्सकों को बरगला कर अपने कब्जे में रखता है।
अब दलालो को दूर करना घटती-घटना की प्राथमिकता
जिला चिकित्सालय में भर्राशाही लंबे समय से व्याप्त है,दलालो के कारनामों की खबरें भी लगातार सामने आती है। चिकित्सक मुख्य पेशे से भटककर ज्यादा आर्थिक लाभ में मस्त हैं। गरीब तबके का मरीज इस कदर परेशान है कि उसे चिकित्सालय आकर परेशानी उठानी पड़ रही है। कुल मिलाकर चिकित्सालय राजनीति और परेशानी का केन्द्र बन गया है। दलालो ने इसे अपने कब्जे में ले लिया है, उन दलालो की पहचान घटती-घटना को है, और जब तक इन दलालों को जिला चिकित्सालय से दूर नही कर दिया जाएगा तब तक अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए खबर का प्रकाशन किया जाएगा,हर रोज किया जाएगा। जनप्रतिनिधियांे समेत जिला प्रशासन एवं जिम्मेदार नागरिकों से भी आग्रह है कि वे इस मुहिम से जुड़े और मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने में अग्रणी भुमिका निभा रहे जिला चिकित्सालय के दलालों को बाहर हटाते तक इस अभियान में साथ दें।
आखिर कोई वरिष्ठ चिकित्सक क्यों नही बनना चाहता सीएस
कोरिया जिला चिकित्सालय लंबे समय से विवाद का केन्द्र बना हुआ है ज्यादा विवाद सीएमएचओ के कारण उत्पन्न होता है। पूर्व में डॉ. रामेश्वर शर्मा जब सीएमएचओ के प्रभार में थे उस दौरान भी सीएमएचओ और चिकित्सको के बीच तनातनी का माहौल था अब भी वही स्थिति बनी हुई है। बीच में बाहर से सीएस की नियुक्ति की गई थी लेकिन कुछ दिन बाद उनका भी तबादला कर दिया गया। लोकसभा चुनाव की अचार संहिता के ठीक पहले अस्थी रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेन्द्र बंसरिया को सीएस बनाया गया था,लेकिन उनके द्वारा भी चिकित्सालय को नही सुधारा जा रहा था। इसी सप्ताह विधायक भैयालाल राजवाड़े भी जिला चिकित्सायल पहुंचे थे और उन्होने गंदगी सहित अन्य कमियां देखकर जमकर नाराजगी जताई थी।
दलाली में बर्बाद हुआ जिला चिकित्सालय जिस पर नही पड़ती किसी की नजर
वास्तव में जिला चिकित्सालय को जो आज आलम है उसके पीछे दलाल भी प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं। बतलाया जाता है कि दलालो ने पूरी व्यवस्था चैपट कर रखी है। दलाली वहां के कुछ नियमित एवं संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों द्वारा ही की जा रही है। दलाल सीएस एवं अन्य चिकित्सकों की लगातार आवभगत करते हैं। मौका पड़ने पर एवं अपना उल्लू सीधा ना होने पर नेताओं से चिकित्सकों की शिकायत एवं कमियों को भी दलाल बाहर पहुंचाते हैं। दलाल ब्लड बैंक से लेकर एंबुलेंस तक की व्यवस्था में बराबर हस्तक्षेप रखते हैं। बतलाया जाता है कि जब भी कोई वरिष्ठ अधिकारी या जनप्रतिनिधी निरीक्षण में आते हैं तो यह दलाल कान लगाकर उनके आगे पीछे घुमते हैं और फिर उसी का फायदा उठाते हैं। दलालों द्वारा गलत तरीके से आर्थिक लाभ भी अर्जित किया जाता है और उसी आय से चिकित्सकों का सेवा सत्कार किया जाता है। दलाल चिकित्सक एवं कोई भी सीएस हो उसका तरीके से आवभगत करके खुश रखते हैं जिससे की उनकी दलाली चलती रहे। दलाल ही जिला चिकित्सालय के मालिक बन कर बैठे हुए हैं और उनके द्वारा पूरी व्यवस्था को चैपट कर दिया गया है। मरीज एवं परिजन से एंबुलेंस एवं डीजल के नाम पर पैसा मांगना,उन्हे बेड उपलब्ध कराना,ब्लड दिलाना समेत अन्य सुविधा के बदले मोटी रकम की मांग दलालो द्वारा की जाती है। स्वास्थ्य विभाग की गोपनीय जानकारी भी दलालो द्वारा ही बाहर दी जाती है। देखा जाए तो इन दलाल कर्मचारियों की वजह से ही जिला चिकित्सालय दीमक की तरह चट हो रहा है लेकिन इन पर आज तक प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों की नजर नही पड़ रही है जिससे इनके हौसले बुलंद हैं।