किसानों का लिया बयान,प्रबंधक की ऊंची पहुंच के आगे कही ये जांच प्रतिवेदन भी दब न जाए
-रवि सिंह-
एमसीबी,28 जून 2024 (घटती-घटना)। जिले के कोटाडोल स्थित आदिम जाति सेवा सहकारी समिति में किसानों के नाम बिना उनके हस्ताक्षर लाखों रुपए के लोन निकल गए,जब शिकायत सामने आई तो अब किसानों के खातों में अचानक राशि आने लगी है, इधर, कलेक्टर एमसीबी ने मामले की जांच समिति बनाई और दो दिन से जांच समिति किसानों के बयान दर्ज कर रही है। अब तक 30 से ज्यादा किसानों के बयान दर्ज हो चुके है।
कलेक्टर एमसीबी के निर्देश पर कोटाडोल पहुंची जांच समिति किसानों को अलग अलग बुलाकर उनके बयान दर्ज कर रही है, किसान तहसीलदार कार्यालय के बाहर लगे नीम के पेड़ के नीचे बैठकर अपनी पारी का इंतजार कर रहे है, 35 किसानों ने पूर्व में शिकायत की थी अब नए शिकायतकर्ता किसान सामने आ रहे है, पूरे क्षेत्र से किसान जांच समिति के सामने आ कर अपनी आप बीती सुना रहे है। इससे पहले जब 25 किसानों ने सामने आ कर प्रबंधक की शिकायत की थी तो किसानों को उनकी शिकायत वापस लेने का दबाव भी बनाया गया, दूरस्थ गांव रुषनी तक जाकर उन्हें हस्ताक्षर करवाने की कोशिश की गई परंतु किसान अपनी शिकायत से तस से मस नही हुए थे।
रबी की फसल के नाम पर लोन
कोटाडोल क्षेत्र में सैकड़ो किसानों के ऊपर रबी की फसल के लिए लोन चढ़ा हुआ है जबकि इस क्षेत्र के 90 प्रतिशत किसान रबी की फसल नही लेते है, परंतु उनके नाम पर लोन दिखा रहा है,ऐसे किसान परेशान है कि जब उन्होंने लोन लिया ही नही तो उनके खाते में लोन चढ़ा कैसे और उनके नाम राशि आखिर किसने उठाई?ऐसे सवालों से किसान परेशान है।
बैंक ज्यादा जिम्मेदार?
कोटाडोल में हुए फर्जीवाड़े में कहीं न कहीं बैंक प्रबंधन ज्यादा जिम्मेदार है,ज्यादातर किसानों की माने तो उनको बैंक गए सालों बीत गया, उन्हें पता ही नही है उनके बैंक गए बगैर उनके फर्जी हस्ताक्षर कर कौन पैसे आहरण कर रहा है, क्या बैंक प्रबंधन को इस ओर कोई ध्यान नही है, बिना बैंक की मिलीभगत के राशि का आहरण होना संभव नही है।
अब खाते में आ रहे है पैसे
कोटाडोल समिति से जुड़े मिलरों पर भी अब तक नकेल नही कस पाई है, शिकायत के बाद अब किसानों के खाते में राशि डाली जा रही है, जिससे साफ है कि किसानों के नाम पर उन्हें बिना जानकारी के लोन चढ़ाया गया और जमकर विाीय अनियमितता बरती गई।
जांच प्रतिवेदन दबा
प्रबंधक के खिलाफ तहसीलदार जनकपुर की जांच का जांच प्रतिवेदन की कार्यवाही के लिए कलेक्टर कार्यालय पहुंची फ़ाइल दबा दी गई है, बताया जाता है कि सहकारिता विभाग कार्यवाही करने से पीछे हट रहा है जबकि जांच प्रतिवेदन में साफ किखा है कागजो पर धान खरीदी हुई और इसे मिलरों तक पहुंचाया भी गया। ऐसे के देखना है किसानों की शिकायत का जांच प्रतिवेदन पर क्या कार्यवाही होती है।
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