कोरोना सुरक्षात्मक उपायों को लेकर क्यों दे दी जाती है बार-बार ढील
मास्क व सामाजिक दूरी नियम की अनिवार्यता हमेशा के लिए जारी करने की जरूरत
रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 06 जनवरी 2022 (घटती-घटना)। एक बार फिर वैश्विक महामारी कोरोना की जद में लोग आते जा रहें हैं और वह अपनी लापरवाहियों की वजह से जद में आ रहें हैं यह भी सत्य है क्योंकि यह संक्रमण से फैलने वाली बीमारी है और संपर्क की वजहों से इसका फैलाव ज्यादा हो रहा है। कोरोना को लेकर जब इसका पहली बार मनुष्य के जीवन मे प्रवेश हुआ था और यह देश राज्य से होकर गांव की गलियों तक के लोगों को प्रभावित करते हुए लाखों मौत का कारण बन चुका था तब के प्रशासन द्वारा जारी प्रतिबंधों व आज की छूट को यदि देखा जाए तो यह साबित होता है कि जब प्रतिबंध लगाए गए इसका फैलाव रुकता गया और जब प्रतिबंध हटाये गए इसका फैलाव बढ़ता गया अब जब यह तय हो चुका की यह आपसी सम्पर्क व आपसी छुवाछुत सहित सांसों के माध्यम से शरीर मे प्रवेश करने वाली बीमारी है तो यह क्यों नहीं तय कर दिया जाता कि फिलहाल सुरक्षात्मक उपायों को लेकर ढील नही दी जाएगी और व्यवहार में सुरक्षा उपायों को शामिल करते हुए आगे चलना होगा। अभी पिछला समय जो बिता गर्मियों में और जिस तरह कोरोना ने लाखों लोगों को अपनी गिरफ्त में लिया लाखों लोगों को मौत के मुंह मे भी जाना पड़ा यदि उससे भी प्रशासन ने सीख ले ली होती आज जिस तेजी से संक्रमण का फैलाव हो रहा है नहीं होता।
अभी विगत कुछ महीनों पहले से लेकर अभी तक प्रतिबंधों पर ढील क्या मिली सैकड़ो हजारों लोगों को एकसाथ एक जगह देखा गया विवाह अवसरों, सामाजिक किसी आयोजनों सहित कई राजनीतिक रैलियों में जो भीड़ जुटती रही वह भी इसके व्यापक फैलाव का कारण रही। आज कोरोना का फैलाव यदि रोका जा सकता है तो वह केवल और केवल सामाजिक दूरी और खुद को अधिक से अधिक आपसी संपर्कों से दूर रखकर वहीं यह सभी उपायों के साथ बाहर निकलने पर मास्क पहनकर, लेकिन अभी कुछ महीनों से देखा जा रहा था कि मास्क तो दूर की बात सामाजिक दूरी भी कहीं नहीं देखी जा रही थी और सबकुछ सामान्य है ऐसा प्रतीत होने लगा था। सब कुछ सामान्य है यह प्रतीत होने के कारण ही स्थितियां बिगड़ी और अब नाइट कर्फ्यू सहित लॉक डाउन की ओर जिला अग्रसर है। यदि सुरक्षा उपायों को लेकर छूट न दी गई होती तो यह स्थिति नहीं आती यह भी तय है। आज लापरवाहियों और सुरक्षा उपायों से दूर जाकर फिर वहीं पुरानी स्थिति निर्मित हो चुकी है जिसकी कल्पना भी कोई नहीं करना चाहता था और अब न चाही जाने वाली कल्पना साकार हो गई और कोरोना का प्रसार तेजी से होने लगा, विद्यालयों के बंद होने की स्थिति उत्पन्न हुई छात्रों का नुकसान फिर संभावित इस वर्ष भी नजर आने लगा अब प्रतियोगी परीक्षाएं भी होंगी नहीं होगीं रोजगार के लिए तीन वर्षों से तैयारियों में लगे बेरोजगारों का क्या होगा यह भी प्रश्न फिर से खड़ा हो गया जबकि यदि सुरक्षात्मक उपाय किये गए होते सभी कुछ सामान्य होता और आम जनजीवन जारी रहता निर्वाध।