नई दिल्ली@सीबीआई का खुलासा,एग्जाम से एक दिन पहले पेपर हुआ लीक

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नई दिल्ली 21 जून 2024 (ए)।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के जरिए करवाई जाने वाली यूजीसी-नेट परीक्षा को रद्द कर दिया गया है। इसे लेकर काफी ज्यादा विवाद खड़ा हुआ है। शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि उन्हें गृह मंत्रालय के जरिए एग्जाम में गड़बड़ी की जानकारी मिली थी, जिसके बाद पेपर रद्द किया गया। वहीं, इस मामले की जांच कर रही सीबीआई के हाथ बड़ी जानकारी लगी है। सीबीआई ने अपनी जांच के बाद कहा है कि यूजीसी-नेट का पेपर लीक हुआ था। एग्जाम से पहले पेपर को डार्कनेट पर अपलोड किया गया था। सरकार ने पेपर रद्द करने के बाद इसकी जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी है।सीबीआई को शुरुआती जांच में पता चला है कि प्रश्न पेपर सोमवार (17 जून) को लीक हुआ था, जिसके बाद उसे एंक्रिप्टेड सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डाला गया था। पकड़े जाने से बचने के लिए आरोपियों ने लीक प्रश्न पेपर को डार्कनेट पर डाला था। सीबीआई केस से जुड़ी डिटेल्स इकट्ठा करने के लिए एनटीए और अन्य एजेंसियों के संपर्क में है।


उधर सूत्र बताते हैं कि सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म टेलीग्राम के जरिए पेपर लीक किया गया था और एक दिन पहले ही पेपर के लिए कीमत मांगी जाने लगी थी।टेलीग्राम पर प्रश्नपत्र के स्क्रीनशॉट और कई
लिंक पोस्ट किए जा रहे थे। बाद में शिक्षा मंत्रालय ने जब उनको पेपर से मैच कराया तो यह सेम निकला। 14 सी के अधिकारियों से हवाले से इस रिपोर्ट में बताया गया कि यूजीसी-नेट के प्रश्न पेपर टेलीग्राम पर 5 हजार रुपये में बेचे जा रहे थे। अधिकारियों को एक अन्य ग्रूप के बारे में पता चला था जिसपर 10 हजार रुपये में प्रश्न पत्र को बेचा जा रहा था। परीक्षा के एक दिन पहले ही कई ग्रुप पर पेपर उपलब्ध था।
सूत्रों का कहना है कि टेलिग्राम ही पेपर लीक का एपिसेंटर बनकर सामने आया है। शिक्षा मंत्रालय को कई ऐसे लिंक दिए गए थे जिनपर पेपर बेचे जा रहे थे। हालांकि इस बात का अब तक पता नहीं चला है कि टेलिग्राम ग्रुप वालों को पेपर कहां से मिले। आशंका है कि डार्क वेब के जरिए ये पेपर जुटाए गए। सोशल मीडिया ऐप पर एनईटी के पेपर के बारे में जानकारी भेजी जा रही थी। जब इसके बारे में पता चला तो इसे शिक्षा मंत्रालय को सौंप दिया गया।


वहीं, शिक्षा मंत्रालय ने गुरुवार (20 जून) को कहा कि यूजीसी-नेट परीक्षा का आयोजन फिर से किया जाएगा। इसके लिए तारीखों समेत अन्य जरूरी चीजों का ऐलान अलग से किया जाएगा। यूजीसी-नेट एग्जाम के माध्यम से भारतीयों को जूनियर रिसर्च फेलोशिप, सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति और देश की यूनिवर्सिटी एवं कॉलेजों में पीएचडी में एडमिशन के लिए एलिजिबिलिटी निर्धारित की जाती है। हर साल लाखों की संख्या में छात्र इस एग्जाम में बैठते हैं।


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