संपादकीय@मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पूरे देशके भाजपा नेताओं सहित अन्य दलों के नेताओं लिए बने मिसाल!

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मुख्यमंत्री पद न मिलने के बावजूद भी अपने प्रदेश में भाजपा को लोकसभा चुनाव में भी दिलाई बड़ी जीत।जहां बड़ा पद न मिलने पर नेता अपने ही पार्टी को नुकसान पहुंचाते हैं वहीं शिवराज सिंह चौहान ने एक अलग ही मिसाल कायम कर दी।
पद से हटाए जाने के बावजूद भी निस्वार्थ भाव से प्रदेश में भाजपा को  जिताया।
राजनीति बड़ा रुतबा वाला मामला, पद पाना हर नेता का सपना नहीं मिलने पर पार्टी को ही झोंक देते हैं पद के आगे।
जिस नेता ने मध्यप्रदेश में चौथी बार भाजपा को पूर्ण बहुमत दिलाया उसने पद से हटाने के बाद भी पार्टी का साथ निभाया।
पीएम मोदी की कैबिनेट में मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को कृषि मंत्रालय दिया गया है।

लेख By रवि सिंह: 2024 लोकसभा का चुनाव बहुत कुछ बताता है और समझाता है वहीं कई मामलों में तो कई मिसाल भी देता है, जहां इस लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन की सरकार बनी है और ऐसी स्थिति निर्मित क्यों हुई? इसके पीछे भी भाजपा के नेताओं का षड्यंत्र किसी से छुपा नहीं है। पूर्ण बहुमत वाली भाजपा 2024 में गठबंधन पर आकर टिक गई, गठबंधन उसकी मजबूरी बनी इसका कारण भी भाजपा के नेता ही बने जो अपनी ही पार्टी को नुकसान पहुंचा सिर्फ पद की लालसा में और अपने आगे के भविष्य को लेकर ज्यादा सोच बैठे और पार्टी को नुकसान पहुंचाने से भी बाज नहीं आए पर वहीं इस बीच पूरे देश में एक ऐसा भी नेता था जो बिना पद लालसा  के भाजपा के लिए एक सच्चे सिपाही की तरह काम करता रहा और लोकसभा में भी अच्छी जीत दिलाई वह नाम है मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जिन्होंने मुख्यमंत्री का पद जाने के बावजूद भाजपा को लोकसभा में पूरी 29 के 29 सीट दिलाए, पूरे चुनाव में उन्होंने सबसे ज्यादा पार्टी के लिए प्रचार व दौरे किए। वहीं जहां बाकी राज्यों में भी मुख्यमंत्री बदले गए वहां पर इसका असर देखने को मिला, उत्तर प्रदेश ही एक ऐसा राज्य था जहां पर मुख्यमंत्री न बदलने के बाद भी ऐसा नहीं देखने को मिला की भाजपा अपना प्रदर्शन दोहरा पाई या बेहतर कर पाई वहीं पूरे देश में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भाजपा ने पुराने एहसानो को याद रखा और एक सच्चे सिपाही की तरह भाजपा नेताओं कार्यकर्ताओं के साथ  मिलकर काम किया काम किया। शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री रहते हुए भाजपा को वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में जीत दिलाई और यह कहना गलत नहीं होगा की शिवराज सिंह का चेहरा ही था जिसने मध्यप्रदेश में भाजपा को पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में कामयाबी दिलाई, वहीं जैसे ही प्रदेश में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला वैसे ही शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने का पार्टी ने फैसला सुना दिया और डॉक्टर मोहन यादव वहां के मुख्यमंत्री बना दिए गए।
बता दें की शिवराज सिंह चौहान की पहचान सफल प्रशासक के साथ विनम्र एवं मिलनसार नेता की रही है। वह 29 नवंबर 2005 को पहली बार एमपी के सीएम बने थे। उनकी अगुवाई में भाजपा ने 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीत दर्ज की थी। वह 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का सीएम चेहरा थे। हालांकि इस चुनाव में भाजपा को बहुमत नहीं मिला था। इसके बाद कमलनाथ की सरकार बनी लेकिन सिंधिया के भाजपा में आने से यह सरकार गिर गई थी। फिर शिवराज ने अपनी सरकार बनाई थी। 2023 में जब शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो पूरे प्रदेश में लोगों के मन में उदासी का भाव देखने को मिला और भाजपा का इसे गलत अन्यायपूर्ण निर्णय बताया गया लेकिन जब खुद शिवराज सिंह ने इस निर्णय को स्वीकार कर लिया और पार्टी का नए चेहरे को मौका दिए जाने पर समर्थन प्रदान कर दिया गया तब प्रदेश के लोगों ने भी भाजपा के निर्णय को स्वीकार कर लिया और प्रदेश की सरकार नए मुख्यमंत्री के साथ आगे बढ़ने लगी। चुनाव आए लोकसभा के तो यह माना गया की भाजपा के चेहरा परिवर्तन के निर्णय का असर लोकसभा चुनाव के परिणाम पर जरूर पड़ेगा और पार्टी को कुछ सीटों पर नुकसान होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ और पार्टी ने पूरे 29 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज कर यह साबित कर दिया की शिवराज सिंह ने पार्टी के निर्णय को सहर्ष बिना नाराजगी स्वीकार किया और इसीलिए उन्होंने पार्टी के लिए पूरे मन से काम किया और पूरी की पूरी सीटें प्रदेश की भाजपा के खाते में आ गईं। खुद कमलनाथ के गढ़ में उनके बेटे को चुनाव हारना पड़ा। शिवराज सिंह ने पूरे चुनाव में काफी मेहनत की उन्होंने प्रदेश में काफी सभाएं की और पार्टी प्रत्याशी के लिए पूरी मेहनत दिल से की। उनका ही चेहरा पुनः प्रदेश में विजय दिलाने में पार्टी को कारगर हुआ यह कहना गलत नहीं होगा। शिवराज सिंह ने मुख्यमंत्री पद चुनाव जीतकर दिलाने के बाद भी पार्टी के निर्देश कर छोड़ा लेकिन उन्होंने पार्टी के साथ भीतरघात नहीं किया जैसा अन्य जगह देखने सुनने को मिला। शिवराज सिंह की नाराजगी कहीं सुनाई नहीं दी बल्कि उनकी उर्जा और उनका समर्पण चुनाव के दौरान देखा गया।
बात यदि अन्य राज्यों की की जाए तो राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी नेतृत्व परिवर्तन हुआ राजस्थान में पार्टी को काफी नुकसान हुआ और वहां मुख्यमंत्री पद के दावेदारों ने ही पार्टी को कमजोर किया यह माना जा रहा है वहीं उत्तर प्रदेश में यह माहौल बनाया गया की मुख्यमंत्री अन्य राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी बदल दिए जायेंगे और जिसके बाद लोकसभा चुनाव में इसका असर देखने को मिला और कहीं न कहीं पार्टी को बड़ी हार प्रदेश में सरकार होने के बावजूद मिली वहां यह माना जा रहा है। वैसे हरियाणा में भी यही हाल रहा पार्टी को नेतृत्व बदलने का ही नुकसान हुआ यह माना जा सकता है। कुल मिलाकर भाजपा या अन्य दलों के हिसाब से देखा जाए तो शिवराज सिंह को पार्टी का सच्चा किसी भी पार्टी का सच्चा सिपाही कहा जा सकता है वहीं राजनीति में पार्टी में अन्य को आगे बढ़ने देने का अवसर प्रदान करने वाला नेता कहा जा सकता है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित हरियाणा में जो कुछ देखने को मिला उसने वहां के वर्तमान नेतृत्व पर तो प्रश्न उठाया ही वहीं मुख्य पद की लालसा भी समझ में आई वहां क्यूंकि वहां की हार का कारण मुख्य पद की लालसा में पार्टी के निर्णय को मन से नहीं स्वीकारना माना जा रहा है। शिवराज सिंह अब केंद्र की राजनीति में अपनी योग्यता प्रतिभा और अनुभव का लाभ पार्टी और सरकार को पहुंचाएंगे वहीं उन्हे कृषि मंत्रालय का जिम्मा मिला है जिसका वह बेहतर निर्वहन करेंगे नाराज किसान संगठनों को वह उनके अनुसार प्रसन्न कर पाएंगे यह अब लगने लगा है क्योंकि शिवराज सिंह को एक बेहतर सामंजस्य स्थापित करने वाला साथ ही लोगों की मानसिकता समझने वाला नेता माना जाता है।
पीएम मोदी की कैबिनेट में मंत्रियों को उनके विभागों का बंटवारा हो गया है। मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को कृषि मंत्रालय दिया गया है। उन्हें एक और मंत्रालय की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। शिवराज के पास दो मंत्रालयों की जिम्मेदारी रहेगी। वह ग्रामीण विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभालेंगे। पिछले साल 5 वीं बार मुख्यमंत्री बनने से वंचित होने के बाद छठी बार विदिशा लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करने वाले शिवराज सिंह चौहाने रविवार को पहली बार केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ ली। कृषि मंत्रालय की कमान मिलने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली स्थित मध्य प्रदेश भवन में भाजपा कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। सनद रहे चुनावी अभियान शुरू होने से पहले ही पीएम मोदी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि वह शिवराज को केंद्र में ले जाना चाहते हैं। अब पीएम मोदी ने शिवराज सिंह चौहान को अपनी कैबिनेट में महत्वपूर्ण मंत्रालय दिया है। माना जा रहा है कि शासन में शिवराज सिंह चौहान के लंबे अनुभव का लाभ सरकार को मिलेगा। इससे सरकार को कृषि क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान करने में मदद मिलेगी। ‘मामाजी’ के नाम से मशहूर शिवराज सिंह चौहान अपने विनम्र एवं मिलनसार स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। शिवराज भाजपा के उन चंद नेताओं में शामिल हैं जिन्हें लंबे समय तक प्रदेश को चलाने का प्रशासनिक कौशल रहा है। शिवराज अपनी सादगी के लिए भी जाने जाते है। विदिशा में अक्सर पैदल चलने के कारण लोग उन्हें ‘पांव पांव वाले भैया’ के नाम से भी जानते हैं। शिवराज सिंह चौहान को ‘लाडली बहना’ जैसी लोकप्रिय योजना को लाने का भी श्रेय जाता है।


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