कोरिया/कोरबा@क्या भाजपा कोरबा की लोकसभा प्रत्याशी कोरिया एमसीबी जिले के विधायक मंत्री व संगठन के चक्रव्यूह में फंसकर हार गई?

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-रवि सिंह-
कोरिया/कोरबा,06 जून 2024 (घटती-घटना)। लोकसभा चुनाव संपन्न हो गया,भले ही देश में एनडीए की सरकार बन रही है पर समीक्षा छत्तीसगढ़ के चुनाव की हो रही। वह इसलिए की जा रही है,क्योंकि छत्तीसगढ़ में भाजपा क्लीन स्वीप कर सकती थी पर एक सीट उन्होंने कांग्रेस को सिर्फ लापरवाही में दे दिया। मोदी लहर के बावजूद कोरबा लोकसभा में भाजपा प्रत्याशी का हार कहीं ना कहीं भाजपाइयों को भी पच नहीं रहा। ऊपर बैठे संगठन को भी यह बात अब खटक रही होगी। जिस प्रकार से भाजपा प्रत्याशी सरोज पाण्डेय की हार हुई है ऐसी उम्मीद बिल्कुल भी बीजेपी नहीं लगाई होगी पर जो समीक्षा सामने आ रही है उसके अनुसार तो यही कहा जा रहा है कि कोरिया एमसीबी के मंत्री विधायक व संगठन के नेताओं के चक्रव्यूह में फंसकर हार गई । कोरबा लोकसभा प्रत्याशी सरोज पाण्डेय के बारे में ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में जिस कोरिया जिले से 45000 की बढ़त भाजपा प्रत्याशी को मिली थी वह बढ़त कहां चली गई यह बात समझ नहीं आ रहा है। कोरबा कटघोरा के बढ़त के बावजूद भरतपुर सोनहत, मनेन्द्रगढ़ व बैकुंठपुर विधानसभा से पीछे हुई भाजपा लोकसभा प्रत्याशी के लिए हार का कारण बनी। दैनिक घटती- घटना की समीक्षा में यही सामने आया कि संगठन काम नहीं कर पाया या फिर काम करने का प्रयास ही नहीं किया। दैनिक घटती घटना ने लगातार कोरिया जिला अध्यक्ष को लेकर उनकी कार्यप्रणाली को लेकर इस बात का अंदेशा जताया था की वह हार का कारण बन सकते उनकी एकला चलो नीति भाजपा भांप नहीं पाई और कोरिया में संगठन बिखर गया और कोरिया की पुरानी बढ़त से पिछड़ गई भाजपा और प्रत्याशी का परिणाम हार में तब्दील हो गया।
ज्ञात हो कि कोरबा लोकसभा के रोचक चुनावी मुकाबले में आखिरकार कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती ज्योत्सना चरणदास महंत ने 43 हजार से अधिक मतों से जीत हासिल कर ही लिया है। पूरे लोकसभा क्षेत्र का समीकरण भाजपा के पक्ष में होने के बावजूद भाजपा प्रत्याशी का अविभाजित कोरिया से उम्मीद के विपरीत पिछड़ना और अब तीनों विधायकों समेत भाजपा के जिम्मेदार नेताओं की विश्वसनीयता पर भी सवालिया निशान लगा रहा है। इस चुनाव को जिताने की जिम्मेदारी पूरी तरह से स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल को थी लेकिन पूरे लोकसभा तो क्या अपने विधानसभा क्षेत्र से भी वे लीड नही दिला सके जिसके बाद अब उनकी कुर्सी पर भी खतरा मंडराता हुआ नजर आ रहा है। वैसे भी प्रदेश में मंत्रिमंडल का गठन लोकसभा चुनाव को देखते हुए किया गया था,भाजपा ने प्रदेश में 10 लोकसभा सीट पर जीत हासिल कर लिया है एकमात्र कोरबा लोकसभा सीट से मिली हार स्वास्थ्य मंत्री के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। राजधानी रायपुर के भाजपा सूत्रों का भी यही कहना है कि अपने कड़ी मेहनत के बल पर भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडेय ने 5 लाख से अधिक मत हासिल किया है लेकिन वे 43 हजार से पीछे रह गई, उनकी हार ने भाजपा नेताओं के सामने कई सवाल खड़े कर दिए है। चुनावी प्रकिया के दौरान समय-समय पर खबरों के माध्यम से घटती-घटना अखबार ने कई कमियों को उजागर करने का प्रयास भी किया लेकिन स्थानीय नेताओं ने उसके बाद भी भाजपा प्रत्याशी को दिग्भ्रमित करने में कोई कमी नही की थी। प्रदेश संगठन को स्थानीय नेताओं के कारनामों की सूक्ष्मता से रिपोर्ट तैयार कराकर आवश्यक कार्यवाही करनी चाहिए जिससे कि आगामी समय के लिए सबक मिल सके।
क्या राजनैतिक षडयंत्र की शिकार हुई सरोज पांडेय?
कोरबा लोकसभा का परिणाम देखने के बाद यही प्रतीत होता है कि सरोज पांडेय राजनैतिक षडयंत्र का शिकार हुई हैं। कोरबा लोकसभा मे चुनाव लड़ने हेतु कई नेता तैयार थे लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व ने सरोज पांडेय को यहां से उतारकर सभी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था। देखने में मिला कि चुनाव के दावेदार नेताओं ने मन लगाकर सरोज पांडेय के लिए काम नही किया ऐसे नेता अब तरह – तरह के बहाने बनाते और सफाई देते नजर आ रहे हैं। सूत्रो का कहना है कि सरोज पांडेय के खिलाफ कोरबा लोकसभा में एक माहौल पार्टी नेताओं के द्वारा ही तैयार किया गया था। तमाम तरह के दुष्प्रचार किए गए थे जिसका नुकसान उन्हे उठाना पड़ा है। भीतरखाने से दूसरे दल के साथ मिलकर सरोज पांडेय को नुकसान पहुंचाने की बात भी सामने आ रही है इससे भी इंकार नही किया जा सकता।
अपना कद घटनें को लेकर आशंकित थे स्थानीय नेता
सरोज पांडेय राष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाली नेत्री हैं और संगठन की विश्वास पात्र मानी जाती है। वे चुनाव भले ही हार गई हों लेकिन उनके कद में इससे कोई फर्क नही पड़ने वाला क्योकि दूसरा क्षेत्र होने के बावजूद रिस्क लेते हुए उन्हे संगठन ने यहां से चुनाव लड़ाया था। बतलाया जाता है कि कोरबा लोकसभा में निवासरत नेता और खासकर विधायक,मंत्री इस बात को लेकर परेशान थे कि यदि सरोज पांडेय जैसी नेत्री इस क्षेत्र से चुनाव जीतकर आती हैं तो उनका कद घट जाएगा। इसी डर के कारण नेताओ ने ईमानदारी पूर्वक काम नही किया जिससे कि कोरबा लोकसभा में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है।
अविभाजित कोरिया की तीनो सीटों पर हारना बड़ा सवाल
6 माह पूर्व अविभाजित कोरिया में भाजपा ने तीनों सीटों पर जीत हासिल किया था लेकिन 6 माह में ही इन तीनों विधानसभा क्षेंत्रों से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। सबसे बड़ी हार बैकुंठपुर विधानसभा में मानी जा रही है जहां से भाजपा को विधानसभा चुनाव में 25 हजार से अधिक मतों से जीत मिली थी आखिर क्या कारण रहा कि इस लीड को भाजपा बरकरार नही रख सकी और उल्टे 1024 मतों से पीछे रह गई। इसी प्रकार रेणुका सिंह ने विधानसभा का चुनाव लगभग 4700 मतों के अंतर से जीता था लेकिन इस विधानसभा से भाजपा 7000 से पीछे रह गई। मनेंद्रगढ विधानसभा से स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने लगभग 12000 मत से जीत हासिल किया था लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने यह लीड पाटकर 4500 से अधिक मतों से जीत हासिल किया है। तीनों विधानसभा मिलाकर 42000 की लीड पाटकर कांग्रेस ने लगभग 13000 मत से जीत हासिल किया है। भाजपा विधायक होने के बावजूद इस प्रकार की स्थिति के लिए विधायकों के साथ-साथ संगठन को भी जिम्मेदार माना जाता है।
कोरिया में लगातार कमजोर हो रही पार्टी
पिछला विधानसभा चुनाव भले ही भाजपा ने यहां से जीत लिया हो लेकिन कोरबा लोकसभा चुनाव की हार पार्टी के लिए बड़ा सबक है। आखिर क्या कारण है कि यहां आपसी खींचतान ज्यादा है,गुटबाजी चरम सीमा पर है जिलाध्यक्ष खुद को सर्वे सर्वा मानकर सभी नेताओं को नीचा दिखलाने में कोई कमी नही करते। सेवा सत्कार करने वाले कार्यकताओं को जरूरत से ज्यादा महत्व दिया जाता है। वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार किया जाता है। हमेशा विवाद पैदा किया जाता है। किसी भी मंच पर पुत्रों को ज्यादा सक्रिय देखा जाता है जबकि मेहनत करने वाला कार्यकर्ता दूर खड़ा होकर तमाशा देखता रहता है। कार्यालय को खुद की संपçा समझा जाता है। जिलाध्यक्ष द्वारा वह हर कार्य किया जाता है जिससे पार्टी संगठन में टूट हो। जिलाध्यक्ष के रवैये के कारण ही कोरिया में पार्टी काफी कमजोर हो चुकी है। प्रदेश संगठन को अतिशीर्घ ऐसे जिलाध्यक्ष को किनारे करना चाहिए और काम करने वाले संगठन के प्रति हवा हवाई नही बल्कि वास्तव में ईमानदार और जनता तथा कार्यकर्ताओं से व्यवहार पूर्वक संवाद करने वाले व्यक्ति को जिलाध्यक्ष जैसे पद पर बैठाना चाहिए।
कोरबा लोकसभा में दो मंत्री,एक मंत्री ने अपने विधानसभा में दिलाई 50 हजार से अधिक की लीड
कोरबा लोकसभा में चुनाव भाजपा के लिए कई प्रश्न खड़ा कर रहा है इस लोकसभा में लखनलाल देवांगन और श्यामबिहारी जायसवाल दो मंत्री हैं। परिणाम के बाद देखने में मिला कि मंत्री लखनलाल देवागंन के विधानसभा कोरबा में जहां भाजपा प्रत्यशी ने 50 हजार से अधिक का लीड प्राप्त किया है तो वहीं मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल के विधानसभा क्षेत्र से लीड तो क्या हार का मूंह देखना पड़ा है। इस लिहाज से आने वाले समय में यदि मंत्रिमंडल पुर्नगठन में श्यामबिहारी जायसवाल पर गाज गिर जाए तो कोई बड़ी बात नही होगी क्योंकि उन्होने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ईमानदारी पूर्वक नही किया यह परिणाम देखकर भी प्रतीत हो रहा है।
चरण दास महंत ने अपनी पत्नी को लोकसभा चुनाव जीताकर कांग्रेस की बचाई लाज
वही डॉ चरण दास महंत छत्तीसगढ़ के कांग्रेस पार्टी में एक ऐसे नेता हैं जो हर बार अपनी पार्टी की लाज बचाते हैं चार बार के लोकसभा में तीन बार उन्होंने कांग्रेस को जीत दिलाई है एक बार स्वयं व सांसद बने लगातार दो बार से अपनी पत्नी ज्योत्सना महंत को सांसद बना रहे हैं, साथी छत्तीसगढ़ को क्लीनशिप से भी बचाया है।
प्रदेश में एकमात्र कोरबा लोकसभा सीट हारने के बाद भाजपा क्या करेगी जिम्मेदार नेताओं पर कार्यवाही,बड़ा प्रश्न
भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने कोरबा सीट को काफी महत्वपूर्ण मानकर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडेय को उनके मर्जी के बगैर यहां से चुनाव लड़ाया था यही कारण था कि खुद गृह मंत्री अमित शाह ने कटघोरा में सभा की थी। इसके बाद भी कोरबा सीट भाजपा नही जीत सकी। प्रदेश में 10 सीट जीतकर भी कोरबा सीट पर हार भाजपा के लिए बड़ा प्रश्न है। इस सीट पर हार सिर्फ और सिर्फ अविभाजित कोरिया से पीछे होना माना जा रहा है। कांग्रेस ने बीते विधानसभा के 42हजार के अंतर को पाटकर लगभग 13 हजार की बढत तीनों विधानसभा से हासिल की है। यदि यही लीड बरकरार होती तो भाजपा प्रदेश में 11 सीट पर काबिज हो जाती। इस सीट पर हार अविभाजित कोरिया के भाजपा नेताओं के लिए कई सवाल पैदा कर रहा है,सवाल निष्कि्रयता का है। आखिर कोरबा सीट हारने के बाद यहां के नेताओं के खिलाफ कोई कार्यवाही होती है या नही यह देखने वाली बात होगी।
कोरिया और एमसीबी भाजपा जिलाध्यक्ष ने किया पार्टी का बेड़ागर्क
यह बात सर्वविदित है कि कोरिया एवं एमसीबी भाजपा जिलाध्यक्ष के कार्यकाल में पार्टी पदाधिकारियों से लेकर कार्यकर्ताओें में उत्साह नही है। एकला चलो और संगठन,संगठन की माला जपने और हवा हवाई दावों के साथ दोनो जिलाध्यक्ष जनता के बीच भी अलोकप्रिय हैं। कोरिया जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल एवं एमसीबी जिलाध्यक्ष अनिल केशरवानी ने पार्टी का बेड़ागर्क कर रखा है,जिससे कि लोकसभा चुनाव का परिणाम विपरीत आया है। इन दोनो जिलाध्यक्ष के खिलाफ प्रदेश संगठन को तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए ऐसी मांग अब कार्यकर्ता अंदरखाने कर रहे हैं
प्रभारी मंत्री रामविचार नेताम ने भी नही दिया ध्यान
प्रदेश के कृषि मंत्री रामविचार नेताम को कोरिया एवं एमसीबी जिले का प्रभारी मंत्री बनाया गया है इस लिहाज से उनकी भी जिम्मेदारी थी कि वे इस लोकसभा के अपने प्रभार जिले में प्रत्याशी का प्रचार प्रसार करें लेकिन पूरे चुनाव के दौरान उन्होने प्रभार जिले में आना जरूरी नही समझा। प्रभारी मंत्री ने चुनाव की दृष्टि से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नही किया जिस पर संगठन को संज्ञान लेना चाहिए।
क्षेत्र में निष्कि्रय और दूसरे प्रदेश में जी तोड़ मेहनत चर्चा का विषय
कोरबा लोकसभा मे 7 मई को मतदान खत्म होने के बाद संगठन ने स्थानीय विधायक समेत नेताओं को झारखंड में चुनाव की जिम्मेदारी थी देखने में मिला कि सभी नेता कोरबा लोकसभा से ज्यादा सक्रिय झारखंड में थे। लाव लस्कर लेकर और ड्रोन कैमरा के साथ भी फोटो ग्राफी तथा ऐश करते स्वास्थ्य मंत्री को देखा गया था। क्षेत्र में मंत्री और विधायक उतने सक्रिय नही थे लेकिन झारखंड में सक्रियता चर्चा का विषय है। ड्रोन कैमरा लेकर फोटोग्राफी और वहां भ्रमण करते लगातार नजर आए मंत्री जी,वैसे वहां भी हार गया गठबंधन का प्रत्याशी।
अपने विधानसभा क्षेत्र तक सीमित थे मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल
पूरे लोकसभा चुनाव के दौरान देखने में मिला कि मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्र तक ही सीमित थे,पड़ोसी जिले में भी उन्होने प्रचार प्रसार करना जरूरी नही समझा। एक मंत्री होकर और चुनाव जिताने की जिम्मेदारी होने के बावजूद एक विधानसभा में सीमित रहना अनेक संदेहो को जन्म देता है।
बैकुंठपुर विधायक के गृह क्षेत्र से भी नही मिला पर्याप्त समर्थन
नवंबर 2023 के विधानसभा चुनाव में बैकुंठपुर से विधायक निर्वाचित हुए भईया लाल राजवाड़े ने अपने गृह क्षेत्र से जोरदार बढत बनाई थी बढत इतनी थी कि वह अंतिम तक 25 हजार से अधिक की लीड को पार करने में अहम थी। विधानसभा चुनाव में पहले तीन चक्र के परिणाम में भाजपा जहां 8 हजार से अधिक मतों से आगे थी वहीं लोकसभा चुनाव में यह लीड आधी भी नही आ सकी। राजवाड़े समाज बाहुल्य क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडेय को कम वोट मिलना स्वयं विधायक भईया लाल राजवाड़े के लिए सवालिया निशान है। सवाल उठता है कि आखिर इसके लिए उन्होने क्यों मेहनत नही किया, अपने लोगो को अपने समर्थको को उन्होने साधना और उनसे चुनाव में सक्रिय होने के लिए कहना आखिर भईयालाल राजवाड़े ने क्यों जरूरी नही समझा। विधायक भईयालाल राजवाड़े के प्रभाव क्षेत्र सरडी, चरचा, विशुनपुर, उमझर, खरवत आदि क्षेत्रों से भाजपा प्रत्याशी ने विधानसभा चुनाव की तुलना में काफी कम वोट हासिल किया जिसके बाद सवाल उठना लाजमी है।
भईया लाल राजवाड़े ने किया था 1 लाख से जीत का दावा…दावा साबित हुआ फिसड्डी
चुनावी सभाओं के दौरान विधायक भईयालाल राजवाड़े ने हर मंच से यह दावा किया था कि भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडेय अविभाजित कोरिया से 1 लाख से जीत दर्ज करेगी लेकिन उनका दावा हवा हवाई ही साबित हुआ। यह स्पष्ट देखने को मिला कि अपने दावे को हकीकत में बदलने के लिए उन्हाने कोई खास मेहनत नही किया।
बड़बोले भाजपा जिलाध्यक्ष ने किया था 50 हजार से जीत का दावा,कहां गई बढ़त पता नहीं…
भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडेय चुनाव जीतेंगी और कोरिया से उन्हे 50 हजार से अधिक की लीड मिलेगी इसके लिए कार्यकर्ता पूरी ईमानदारी से मेहनत कर रहे हैं ऐसा दावा भी कोरिया भाजपा के बड़बोले जिलाध्यक्ष ने हर मंच से किया था,जिलाध्यक्ष का यह दावा इतना बेमानी साबित हुआ कि यह लीड तो दूर की बात उल्टे यहां से भाजपा प्रत्याशी की हार हो गई। कोरिया में भाजपा प्रत्याशी का पिछड़ना जिलाध्यक्ष के गलत कार्य व्यवहार का नतीजा भी माना जा सकता है। ज्ञात हो कि जिलाध्यक्ष द्वारा सिर्फ हवा हवाई बयानबाजी की जाती है उनके द्वारा बनाया गया संगठन पूरी तरह से फर्जी और कागजों तक ही सीमित है इस चुनाव में इसकी भी पोल खुल गई।
दोनो जिलों में संगठन के नेताओं पर दिख रहा कार्यकर्ताओं का आक्रोश
लोकसभा चुनाव मे प्रदेश की 10 लोकसभा सीट पर जीत और कोरबा लोकसभा सीट पर हार के कारण भाजपा के कर्मठ और ईमानदार कार्यकर्ता निराश नजर आ रहे हैं इसके पीछे एक अहम कारण दोनो जिले में भाजपा का संगठन ही नजर आता है। कोरिया में बड़बोले जिलाध्यक्ष ने पार्टी को तार तार करके रखा है ठीक इसी तरह का हाल एमसीबी जिले के जिलाध्यक्ष अनिल केशरवानी का है। एमसीबी जिले में कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष के रवैये से परेशान हैं,कई बार प्रदेश संगठन तक वे विरोध में मुखर भी हो चुके हैं। विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव दोनों में एमसीबी जिलाध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं को हर स्तर पर नीचा दिखलाने की कोशिश की, एमसीबी के कार्यकर्ता भी जिलाध्यक्ष के रवैये से त्रस्त हैं। कोरिया एवं एमसीबी जिलाध्यक्ष के कारण कार्यकर्ताओं में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिलता है।
क्या गोंगपा का वोट बैंक कांग्रेस में शिफ्ट करने का बहाना बना अपनी कमियों पर पर्दा डालना चाह रहे विधायक और मंत्री?
कोरबा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार की हार के बाद अब एमसीबी से आने वाले प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल हो या विधायक भईयालाल राजवाड़े एवं रेणुका सिंह, इनके द्वारा खुद को पाक साफ साबित रखने के लिए हार के पीछे गोंगपा का वोट कांग्रेस में शिफ्ट होने का बहाना भले ही बनाया जा रहा है लेकिन इसके पीछे यह सबसे बड़ा कारण है कि स्वास्थ्य मंत्री समेत दोनो विधायकों ने अपने-अपने क्षेंत्रों में ही उतना ध्यान नही दिया जिससे कि परिणाम विपरीत आया है। तीनों विधायक विधानसभा में खुद को मिली लीड भी बरकरार रख लेते तो भाजपा प्रत्याशी को जीत मिल सकती थी लेकिन ऐसा नही हुआ। पर सवाल यह भी है कि यदि गोंगपा का वोट विधानसभा में भाजपा को मिला और क्या लोकसभा में कांग्रेस को चला गया जब गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का वोट कांग्रेस पा सकती थी तो क्या बीजेपी नहीं पा सकते थी या फिर उसके लिए प्रयास ही नहीं किया?
चिरमिरी में बागेश्वर बाबा की कथा के बाद ढीले पड़े थे मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल
लोकसभा चुनाव के दौरान ही स्वास्थ्य मंत्री के विधानसभा मनेंद्रगढ अंतर्गत चिरमिरी में बागेश्वर बाबा की कथा भी आयोजित की गई थी,जिसके बाद से यह देखने को मिला के इससे स्वास्थ्य मंत्री इतने उत्साहित हो गए कि उन्होने मेहनत करना ही छोड़ दिया था,कथा के भरोसे वे जीत का सपना देख रहे थे जो कि गलत साबित हुआ।
स्वास्थ्य मंत्री पर थी लोकसभा जीताने की जिम्मेदारी अपना विधानसभा भी नही जिता सके
प्रदेश में सरकार बनने के बाद मनेंद्रगढ से विधायक श्यामबिहारी जायसवाल को मंत्री बनाया गया और स्वास्थ्य जैसे अहम विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी। मंत्रिमंडल का गठन लोकसभा चुनाव को देखते हुए किया गया था। चुकि कोरबा लोकसभा कांग्रेस के पास था इस लिहाज से राष्ट्र्रीय नेतृत्व ने भी इस लोकसभा से दो मंत्री बनाने की इजाजत दी थी। कोरबा लोकसभा जिताने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल पर थी,लेकिन इसे दुर्भाग्य ही माना जाएगा कि वे लोकसभा तो क्या खुद अपना विधानसभा भी नही जिता सके। मनेंद्रगढ विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडेय लगभग 4500 मतो से पीछे थीं। वहीं मंत्री के गृह क्षेत्र खड़गवां से भाजपा प्रत्याशी के 10 हजार से भी अधिक वोट से पीछे रहने की खबर है जो कि स्वास्थ्य मंत्री के लिए एक बहुत बड़ा प्रश्न है। इस परिणाम के बाद उनके मंत्री पद पर भी तलवार लटकता दिखलाई दे रहा है और वैसे भी प्रदेश भर में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल बेहाल है।
रेणुका सिंह ने भी नही दिखाई सक्रियता
भरतपुर सोनहत विधानसभा का चुनाव रेणुका सिंह ने काफी कड़े मुकाबले में जीता था लेकिन इस चुनाव में यह देखने को मिला कि उन्होने आधी सक्रियता भी नही दिखलाई। चुनाव में उन्होने उतना रूचि नही लिया सिर्फ औपचारिकता निभाते ही उन्हे देखा गया। सूत्रों का कहना है कि विधायक रेणुका सिंह के एक स्टॉफ के द्वारा भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडेय के खिलाफ काम करने के लिए कार्यकर्ताओं से बात का एक आडियो भी वायरल हुआ है जो कि बड़ी बात है और कई प्रश्न खड़ा करता है।
भईयालाल राजवाड़े भी नही थे सक्रिय
खुद के चुनाव में जी तोड़ मेहनत कर विधायक बनने के बाद क्षेत्र में भईयालाल राजवाड़े की निष्कि्रयता चर्चा का विषय है। चुनिंदा चाटुकार,कान भरने और पैर छूने वाले कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेसियों को संरक्षण देने में विश्वास रखने वाले विधायक भईयालाल राजवाड़े ने हवा हवाई दावा करने के बाद भी इस चुनाव में सक्रियता नही दिखलाई चुनाव के 10 दिनों तक वे पुरी तरह से ढीले पड़े रहे, पटना में सीएम की सभा फेल होने के पीछे उन्हे भी जिम्मेदार माना जाता है। चुनाव के अंतिम समय में कुछ क्षेत्रों में जाकर उन्होने औपचारिकता निभाई,कई कार्यकर्ता और समर्थक भईयालाल राजवाड़े के द्वारा जिम्मेदारी देने का इंतजार करते रह गए। बचरापोड़ी और शिवपुर चरचा क्षेत्र में मंडल अध्यक्ष जिनसे कि क्षेत्रीय जनता मे ंभारी आका्रेश व्याप्त है ऐसे लोग भईयालाल रजवाडे के खास बनकर पार्टी का बेड़ागर्क कर रहे हैं।
संगठन के नेताओं ने सरोज पांडेय को रखा अंधेरे में
सरोज पांडेय वर्तमान में संगठन की नेता मानी जाती है वे राष्ट्र्रीय उपाध्यक्ष के तौर पर काम भी कर रही हैं इस लिहाज से चुनाव मैदान में आने के बाद उन्होने संगठन के नेताओं को खासा महत्व दिया था,उन पर ही विश्वास व्यक्त किया था। लेकिन उनके विश्वास को तोड़ते हुए संगठन के नेताओं ने अंधेरे में रखने में कोई कमी नही की। ऐसा कोई प्रयास संगठन द्वारा नही किया गया जिससे कि चुनाव जिता जा सके। बतलाया जाता है कि संगठन की पूरी नजर सिर्फ चुनावी खर्च पर थी।


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