बैकुंठपुर/सुरजपुर@क्या मनमुताबिक खबरों से ही खुश होते हैं सूरजपुर के स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम और दोषपूर्ण कार्यप्रणाली उजागर करने पर होते हैं नाराज?

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जब दोषपूर्ण कार्यप्रणाली करता है समाचार पत्र प्रकाशित…लगाते हैं मानहानि का आरोप


-रवि सिंह-
बैकुंठपुर/सुरजपुर,04 जून 2024 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग के पूर्व प्रभारी डीपीएम वहीं सूरजपुर जिले के वर्तमान प्रभारी डीपीएम डॉक्टर प्रिंस जायसवाल जब अपने मन मुताबिक खबर समाचार पत्रों में पढ़ पाते हैं काफी प्रसन्न रहते हैं खुश रहते हैं वहीं उनकी दोषपूर्ण कार्यप्रणाली को लेकर यदि खबर का प्रकाशन कर दिया जाता है वह नाराज हो जाते हैं कानूनी कार्यवाही की धमकी देते हैं मानहानि की बात करते हैं। यह बात लगातार देखने को मिली है। यह बात ऐसे ही नहीं कही जा रही है यह बिल्कुल देखा गया है और सच बात है की प्रभारी डीपीएम डॉक्टर प्रिंस जायसवाल को खबर भी अपने मन मुताबिक चाहिए अखबारों में और जो पत्रकार ऐसा नहीं करता है उनके विरुद्ध उनकी दोषपूर्ण कार्यप्रणाली को लेकर समाचार लिखता है वह उसे दबाने का प्रयास करते हैं उसे डराने धमकाने के लिए वह कानूनी नोटिस भेजते हैं। वैसे घटती-घटना को भी प्रभारी डीपीएम ने नोटिस भेजा है जिसको लेकर घटती-घटना बिल्कुल तैयार है माननीय न्यायालय जाने के लिए और वहीं वह अपनी तरफ से साक्ष्य प्रस्तुत करेगा की वह किस आधार पर उनके विरुद्ध खबरों का प्रकाशन कर रहा है।
वैसे कोरिया जिले में कार्यरत रहते हुए प्रभारी डीपीएम ने जमकर भ्रष्टाचार किया है और भ्रष्टाचार की बदौलत उन्होंने अपनी ऊंची पकड़ भी स्थापित की है और अपने अनुसार वह कई समाचार पत्रों में खबरों का प्रकाशन भी करवाते हैं। कुल मिलाकर डॉक्टर प्रिंस जायसवाल सब कुछ अपने अनुसार चाहते हैं और ऐसा नहीं होने पर वह उग्र हो जाते हैं और अपना आपा खो देते हैं। वैसे उनको लेकर यह भी देखा गया है की वह अपने स्वार्थ पूर्ति तक ही किसी के साथ रहते हैं स्वार्थ पूर्ति उपरांत वह खुद को किनारे कर लेते हैं और जिसने साथ दिया या जिसने उन्हे पैठ बनाने का पहला मौका दिया उसे ही वह ठिकाने लगाने का प्रयास करते हैं। ऐसा शर्मा अस्पताल बैकुंठपुर के संचालक के मामले में देखा गया है क्योंकि शर्मा अस्पताल के संचालक के साथ ही पहले वह नर्सिंग कॉलेज का संचालन करते हैं शर्मा अस्पताल के संचालक का भवन इस्तेमाल करते हैं और बाद में स्वार्थ सिद्धी उपरांत वह खुद शर्मा अस्पताल संचालक के विरुद्ध हो गए यहां तक की शर्मा अस्पताल संचालक के भवन को वह खाली भी नहीं करते बल्कि वह मामले में न्यायालय तक चले जाते हैं जबकि शर्मा अस्पताल के संचालक ही उन्हे सबसे पहले अवसर प्रदान करने वाले व्यक्ति थे। वैसे अब डॉक्टर प्रिंस जायसवाल खुद शिकायतकर्ता बन चुके हैं और अब वह जगह जगह लोगों के विरुद्ध शिकायत कर रहे हैं और इसके पीछे की वजह उनकी खीझ है क्योंकि उनकी जो भी कलई खोलता है उनके भ्रष्टाचार मामले को उजागर करता है वह उसके पीछे शिकायत-विज्ञप्ति लेकर घूमते देखे जाते है।
हाई प्रोफाइल प्रभारी डीपीएम अपने किसी उच्च अधिकारी से अनुमति लेकर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर रहे हैं व अधिवक्ताओं के माध्यम से नोटिस पत्रकारों को भेज कर शिकायत कर रहे हैं?
प्रभारी डीपीएम सूरजपुर किन अधिकारियों से अनुमति लेकर अन्य लोगों की शिकायत कर रहे हैं प्रेस विज्ञप्ति जारी कर रहे हैं और अधिवक्ताओं के माध्यम से पत्रकारों को नोटिस भेज रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी डीपीएम के द्वारा विभाग में किए जा रहे भ्रष्टाचार और अनियमितता की खबर मामले में वह व्यक्तिगत शिकायत कर रहे हैं जबकि वह एक शासकीय कर्मचारी हैं उन्हे मामले में उच्च अधिकारियों का निर्देश आदेश प्राप्त कर ही ऐसा करना चाहिए क्योंकि वह विभाग नहीं हैं वह एक कर्मचारी हैं मात्र। खुद पर आरोप स्वीकार करना ही उनकी बड़ी कमी है जबकि कोई समाचार विभाग के लिए प्रकाशित होती है।
दैनिक घटती घटना अखबार व पत्रकार तब तक प्रिंस जायसवाल के लिए सही है जब तक उनके मन मुताबिक खबर छपती थी?
दैनिक घटती-घटना अखबार सभी की आवाज बनने का प्रयास करता है सभी की शिकायतों पर खबर प्रकाशन करने का प्रयास करता है सभी के मुसीबत पर खबर प्रकाशन उसके मुसीबत काम करने का प्रयास करता है,अखबार का एक ही उद्देश्य है हर मामले को सबके सामने रखना व संबंधित को उसे मामले से अवगत कराना,कुछ ऐसा ही प्रिंस जायसवाल के पत्नी का नर्सिंग कॉलेज को लेकर समस्या थी इसकी शिकायत पर दैनिक घटती-घटना खबर प्रकाशन किया था उस समय अखबार व पत्रकार डॉक्टर प्रिंस जयसवाल के लिए सही थे? आज जब उनकी कमियों की खबर प्रकाशित हो रही है तो यह दोनों गलत है और उनकी मानहानि कर रहे हैं उनके प्रतिष्ठा धूमल कर रहे हैं।
सरकारी कर्मचारी होते हुए आखिर किसकी अनुमति से करते हैं शिकायत?
डॉक्टर प्रिंस जायसवाल एक शासकीय कर्मचारी हैं, शासकीय कर्मचारी रहते हुए वह काफी चर्चित भी रहे हैं और हैं भी क्योंकि उनकी कार्यप्रणाली हमेशा दोषपूर्ण रही है और भ्रष्टाचार से उनका नाता जुड़ता रहा है ऐसे में उनकी शिकायत भी होती रही है और हो भी रही है। अब वह उन सभी के विरुद्ध शिकायत करते नजर आ रहे हैं जो उनकी कार्यप्रणाली को लेकर उनका पोल खोलने का प्रयास कर रहे हैं। अब सवाल यह उठता है की क्या उन्हे शासकीय कर्मचारी रहते हुए इसका अधिकार है? क्या वह एक शिकायतकर्ता बनकर काम करने के लिए स्वतंत्र हैं जबकि उन्हे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली हुई है? क्या वह अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं रहे हैं? क्या वह कहीं न कहीं गलत नहीं कर रहे हैं यह सवाल खड़ा हो रहा है। वैसे डॉक्टर प्रिंस जायसवाल की तरह ही क्या अन्य सभी कर्मचारियों को इस तरह की छूट है। वैसे यदि एक शासकीय कर्मचारी अन्य की शिकायत ही करता रहेगा वह अपनी जिम्मेदारी कैसे निभाएगा यह भी सवाल खड़ा है।
सूरजपुर के प्रभारी डीपीएम कार्य के समय डीपीएम नहीं शिकायतकर्ता बने बैठे
सुरजपुर जिले के प्रभारी डीपीएम को सरकार ने जिले के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की जिम्मेदारी दी है। स्वास्थ्य विभाग लोगों के स्वास्थ्य मामलों की जिम्मेदारी निभाने के लिए उन्हे बड़ी जिम्मेदारी प्रदान कर रखा है वहीं वह जिम्मेदारी निभाने की बजाए शिकायतकर्ता बन चुके हैं। डॉक्टर प्रिंस अब कार्य समय में भी शिकायत की ही तैयारी करते हैं और वह उसी में व्यस्त रहते हैं।वह कहीं न कहीं मिली हुई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं और अपने कर्तव्य के साथ वह गद्दारी कर रहे हैं। यह भी कहना गलत नहीं है की वह कहीं न कहीं वेतन सरकार से ले रहे हैं और काम अपने विरुद्ध होने वाली शिकायतों के लिए शिकायतों की ही तैयारी कर रहे हैं।
संविदा कर्मचारी आचरण संहिता का भी नहीं कर रहे पालन?
देखा जाए तो प्रभारी डीपीएम सूरजपुर कर्मचारी आदर्श आचरण नियम का भी पालन नहीं कर रहे हैं। शासकीय कर्मचारी का सबसे पहला कर्तव्य होता है की वह अपने मूल कर्तव्य के लिए समर्पित रहे और उसकी कार्यप्रणाली भी दोषपूर्ण न हो जिससे वह जिस विभाग के लिए काम करे उसकी भी छवि बेहतर बनी रहे। डॉक्टर प्रिंस जायसवाल के मामले में देखा जाए तो यह देखने को मिलेगा की वह एक कर्मचारी होने का भी फर्ज नहीं निभा पा रहे हैं वह अपने हित और अपने कार्यप्रणाली को बेहतर साबित करने के लिए अन्य की शिकायत करने में व्यस्त है जबकि उन्हे अपनी कार्यप्रणाली सुधारने की जरूरत है।


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