लखनपुर@बिना परमिशन सैकड़ों पेड़ों को काट कर बनाया जा रिसार्ट

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  • मनोज कुमार –
    लखनपुर,01 जून 2024 (घटती-घटना)
    ।सरगुजा जि़ला आदिवासी बहुल क्षेत्र है जहां बड़ी संख्या में आदिवासी जनजाति के लोग निवास करते हैं। यहां निवास करने वाले आदिवासी और भोले-भाले लोगो को डरा धमका कर जमीन की खरीदी बिक्री की जा रही है। कुछ ऐसा ही मामला सरगुजा जिले के लखनपुर विकासखंड के ग्राम सोयदा में देखने को मिला जहां बड़े पैमाने पर आदिवासी के जमीनों को खरीदी बिक्री करने का खेल जारी है इस क्षेत्र में लंबे समय से भू माफिया सक्रिय हैं। लखनपुर तहसिल क्षेत्र के कुन्नी राजस्व बीट अंतर्गत ग्राम चांदो और सोयदा में भू माफियाओ द्वारा आदिवासी लोगो को लोभ प्रलोभन व डरा धमका कर उनकी जमीनों को खाली करा कर राजस्व के अधिकारियों व पटवारियों से साठ गांठ कर पट्टा बनवा खरीदी बिक्री किया जा रहा है। जमीन की खरीदी बिक्री के बाद बिना अनुमती सैकड़ो पेड़ो को काटकर समतलीकरण किया जा रहा है। और जो जमीन की बिक्री हो गई है उन जमीनों पर रिसोर्ट बनाया जा रहा है। जिस जमीन पर रिसोर्ट बनाया जा रहा है। उस जमीन पर कई वर्षो से तेमा तुरी सहित अन्य ग्रामीण काबिज थे। जहां पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा था वही भू माफिया जमीनों की खरीदी-बिक्री में मस्त थे। भू माफियाओं के द्वारा जनवरी 2021 में आरआई,पटवारी से मिलकर उक्त भूमि को जिला के बड़े अधिकारियों को बेच दिया गया था। तहसील कार्यालय के आदेश बिना अप्रैल 2021 में उक्त भूमि में काबिज ग्रामीणों को जबरन वहां से हटकर जेसीबी मशीन से जमीन को समतलीकरण कर तार फेसिंग से घेर दिया गया। और अनेक पेड़ों की कटाई कर रिजॉर्ट बना दिया गया है। और रिसॉर्ट के अगल-बगल वाले भूमियों की भी खरीदी बिक्री की गई थी ग्रामीण महिला की शिकायत पर कलेक्टर के निर्देश पर खरीदी बिक्री को निरस्त कर दिया गया था।
    सोयदा के खसरा नंबर 1/8, 54/1,1/25,1/108तहसील कार्यालय से मार्च 2021के आदेश के बाद चांदो हलका के तत्कालिन आर आई सबल साय एक्का तत्कालीन पटवारी हेमलता श्रीवास ने 28 एकड़ 15 डिसमिल भूमि का सीमांकन कर चिन्हांकित किया गया उक्त भूमी पर सोमारू और थेंमा तूरी काबिज थे। तहसीलदार कार्यालय के बिना आदेश के पटवारी,आरआई जेसीबी मशीन लगाकर उक्त भूमि को समतलीकरण कराये और जिले के बड़े अधिकारी को कजा दिलाया। वर्ष 2021 अप्रैल में अखबारों में खबर प्रकाशित हुई थीं। अब समझने वाली बात यह है की खसरा नंबर अलग-अलग होने के बाद भी पीछे जंगल और सामने सड़क दोनो के बिच एकचक प्लाट बना दिया गया है। और चारों ओर से फेंसिंग तार लगा घेर दिया गया है। जो जांच का विषय है।

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